शिक्षा विभाग- स्कूल के बाबू ने मृत पिता की आईडी और स्वंय की दो आई डी बना किया 32 लाख का गबन,GPF और प्रिंसिपल संदेह के …

Dr. CHETAN THATHERA
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भीलवाड़ा/(चेतनठठेरा/आजाद नेब)/ राजस्थान सरकार के बीज निगम अध्यक्ष( राज्य मंत्री) धीरज गुर्जर के  विधानसभा क्षेत्र की शकरगढ़ ग्राम पंचायत मुख्यालय पर स्थित राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय के बाबू ( कनिष्ठ सहायक) द्वारा स्वयं की दो विभाग या आईडी बनाकर तथा अपने मृत पिता( जो की लेबबाॅय पद पर रहते हुए देवलोक हुए) की बंद हुई आईडी को फिर से शुरू कर उनको वरिष्ठ अध्यापक बनाकर वेतन सहित सभी परिलाभ उठाते हुए पिछले 4 साल की अवधि में 32 लाख का गबन और राजकोष को चूना लगाया है इससे पहले यह बाबू वेतन बिलों में 13 लाख का गबन लगा चुका था ।

मृत राज्य कर्मचारी की बंद आईडी फिर से कैसे खुली ? बंद आईडी को खोलने का अधिकार GPF को इससे GPF के कार्मिको तथा स्वीकृत करने धाले प्रिंसिपल की भूमिका भी सवालो के घेरे मे ? 

शकरगढ़ मुख्यालय पर स्थित राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में कनिष्ठ सहायक के पद पर कार्यरत नीलेश वैष्णव पुत्र स्वर्गीय भगवान लाल वैष्णव सितंबर 2019 से ही वेतन बिलों की राशि में हेराफेरी कर 13 लाख रुपए के गबन करने का मामला 13 जुलाई 2022 को विद्यालय की तत्कालीन प्रिंसिपल लक्ष्मी शर्मा के कार्यकाल के दौरान सामने आया था और इसका सबसे पहले खुलासा दैनिक रिपोर्टर डॉट कॉम ने ही खुलासा किया था ।

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और तब तत्कालीन मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी ब्रह्मा राम चौधरी ने बाबू नीलेश वैष्णव के खिलाफ प्रिंसिपल को मुकदमा दर्ज कराने के निर्देश दिए थे इस पर शकरगढ़ थाने में बाबू नीलेश वैष्णव के खिलाफ मुकदमा 0152 FIR दर्ज कराई गई थी और तत्कालीन सीडीईओ चौधरी ने इसकी विस्तृत जांच के लिए ऑडिट कमेटी बनाई थी ।

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कमेटी ने जांच पड़ताल भी की लेकिनGO 55 नहीं खुलने से कुछ खास सामने नहीं आया था और उक्त गबन की राशि बाद में बाबू नीलेश वैष्णव ने सरकारी खाते में जमा भी करा दी 

अब आया चौकांने वाला खुलासा

स्कूल कीOA जगदीश मीणा द्वाराGO 55 खोल कर की गई विस्तृत जांच पड़ताल से चौंकाने वाला खुलासा सामने आया कि बाबू नीलेश वैष्णव ने अपने नाम से दो सरकारी आईडी बना रखी थी और दोनों में ही वह सरकार से वेतन उठा कर जमा कर रहा था आखिर यह कैसे संभव हुआ ? इसको लेकर विभाग के अधिकारी भी अंचभे मे है एक सरकारी कर्मचारी की दो आईडी कैसे हो सकती है ? और आईडी जरनेट अर्थात खोलने की स्वीकृति प्रिंसिपल के आदेश सा GPF की होती है । 

मृत पिता की बंद सरकारी आईडी खोल दी,कैसे ..?

सबसे बड़ा चौंकाने वाला सच यह और सामने आया कि कनिष्ठ सहायक नीलेश वैष्णव जिसके पिता भगवान लाल वैष्णव शिक्षा विभाग में ही लेबबॉय समकक्ष चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के पद पर कार्यरत थे और नौकरी के दौरान ही उनका सन 2017 में निधन हो गया था और उसके बाद उनके सारे भुगतान और परिलाभ का निस्तारण करके नियम अनुसार उनकी सरकारी आईडी बंद कर दी गई थी । और नीलेश वैष्णव अपने पिता की मौत के बाद अर्थात मृत आश्रित कोटे से अनुकंपा नियुक्ति के तहत कनिष्ठ सहायक के पद पर 2018 में नियुक्त हुआ था । 

सरकारी नियम यह है कि कोई भी राजकीय कर्मचारी की सेवा में रहते हुए मौत के बाद उसके सारे अदाओं का निस्तारण होने के बाद उनकी सरकारी आईडी उर बैंक द्वार आ बैंक खाता बंद कर दिया जाता है लेकिन जांच में यह खुलासा हुआ कि कनिष्ठ सहायक निलेश वैष्णव ने अपने मृत राजकीय कर्मचारी पिता भगवान लाल वैष्णव की बंद आईडी को खोल दिया था और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के बजाय अपने पिता को वरिष्ठ शिक्षक बनाकर आईडी खोल दी और उस आईडी से वे उनके नाम से वेतन और सारे सरकारी परी लाभ उठा रहा था और यह राशि उसके मृत पिता के बैंक खाते मे जमा हो रही थी यह राशि करीब 27 लाख रुपए है । अब तक इस तरह से फर्जीवाड़ा करके सरकार को राजस्व नुकसान लगा चुका है । 

सवाल यह उठता है कि किसी भी राजकीय कर्मचारी की आईडी की स्वीकृति बंद करने और उसे खोलने की स्वीकृति आहरण अधिकार ई जो की स्कूल मे प्रिंसिपल हीता है उसकी तथा GPF विभाग की होती है इससे इस मामले में GPF से चूक हुई या फिर कुछ कार्मिकों की भूमिका संदेह के दायरे में .. इसका साथ ही संबंधित प्रिंसिपल की भूमिका भी संदेहजनक है ?

निलंबित बाबू नहीं आता ड्यूटी पर

14 जुलाई 2022 को 13 लाख का पहला गबन सामने आने के बाद शिक्षा निदेशालय से निदेशक कनिष्ठ सहायक गबन के आरोपी निलेश वैष्णव को निलंबित कर दिया था और निलंबन के दौरान मुख्यालय जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक विद्यालय भीलवाड़ा कार्यालय किया था बाबू नीलेश वैष्णव तब से ही निलंबित है लेकिन वह अपनी ड्यूटी पर डीईओ ऑफिस में नहीं आते हैं और आश्चर्य की बात है कि इस संबंध में अभी तक विभाग के अधिकारियों ने कोई कदम नहीं उठाया है बाबू के खिलाफ ? 

बैक के अधिकारियो की भूमिका…

इस मामले में बैंक के अधिकारियों की भूमिका भी संध्या जनक है क्योंकि किसी राज्य कर्मचारी की जब मौत हो जाती है तो उसका खाता परिजनों के द्वारा बंद कराया जाता है और अगर मान लिया जाए परिजनों ने इसकी सूचना नहीं दी और खाता बंद नहीं कराया तो भी बैंक राजकीय कर्मचारी के जीवित होने का प्रमाण पत्र हर साल लेता है तथा केवाईसी भी बैंक द्वारा कराई जाती है तो फिर आखिर बैंक ने केवाईसी क्यों नहीं कराई और कर्मचारी की जीवित या मृत होने का प्रमाण पत्र क्यों नहीं लिया ?

प्रिंसिपल ने दी 32 लाख के गबन की रिपोर्ट थाने मे 

राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय शकरगढ़ की वर्तमान कार्य वाहक प्रिंसिपल मोती लाल मीणा ने कनिष्ठ सहायक नीलेश वैष्णव की कारगुजारी तथा 32 लाख और

गबन में फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद विद्यालय के लेटर पैड पर शकरगढ़ थाना पुलिस को इस संबंध में सूचना दी है

नियम क्या है 

लेखा नियम और शिक्षा विभाग के अधिकारियों के अनुसार वेतन बिल मद मे एचआर सहित अन्य मिलने वाले अलाउंस की राशि का फाइनल सत्यापन डीडी पावर अर्थात आहरण वितरण अधिकारी जो कि स्कूल के प्रिंसिपल को होते हैं और उनकी जिम्मेदारी होती है कि वह कोष कार्यालय को फाइनल बिल भेजने से पहले संबंधित बाबू द्वारा बनाए गए बिलों का एक बार निरीक्षण और सत्यापन कर ले और उसके बाद ही बिल भेजें।

कितने प्रिंसिपल जिम्मेदार , क्यो नही हुई कार्रवाई 

नियमों के तहत जिन जिन प्रिंसिपल के कार्यकाल में यह गबन हुआ है वह सभी प्रिंसिपल भी इस गबन के लिए जिम्मेदार होंगे और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई के साथ-साथ विभागीय कार्यवाही भी हो सकती है ? 

विभागीय सूत्रों के अनुसार शकरगढ़ राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय के सन 2019 से 2021 तक रामबाबू ज्योति प्रिंसिपल रहे उसके बाद 2021 में अगस्त तक मोती लाल मीणा प्रिंसिपल के पद पर रहे इसके बाद सितंबर 2021 से वर्तमान पिछले माह तक में लक्ष्मी शर्मा प्रिंसिपल थी और अब कार्यवाहक प्रिंसिपल के रूप मे मोतीलाल मीणा कार्य कर रहे है ।

13 लाख का कैसे किया था गबन

वेतन बिल आजकल कंप्यूटर से बनाए जाते हैं । लेखा विभाग के तकनीकी नियमों के अनुसार कंप्यूटर में सॉफ्टवेयर बिल जनरेट करते समय दो ऑप्शन मांगता है परसेंटेज ऑप्शन और फिगर यानी कि राशि का ऑप्शन इस मामले में बाबू नीलेश वैष्णव ने चालीकी दिखाते हुए फिगर ऑप्शन चयन किया इससे कंप्यूटर सॉफ्टवेयर फिगर ऑप्शन के आधार पर ही बिल जनरेट कर रहा था । बाबू ने बड़ी चालाकी से ही फिगर ऑप्शन का चयन किया जो फिगर वह कंप्यूटर में डालता वह उस पर जनरेट कर वह(बाबू) राशि बड़ा कर जनरेट कर देता था बाबू नीलेश ने डीए बिलों के फिगर राशि में उदाहरण के तौर पर जैसे 500000 का स्कूल का स्टाफ का डीए बिल बना और बाबू नीलेश में उसे फिगर ऑप्शन के बढ़ाकर 968000 कर दिया और वह पारित होकर राशि स्कूल खाते में आ गई । इस तरह 4.68 लाख का गबन किया इसी तरह साल 2019 सितंबर से गबन कर रहा था ।अप्रैल 2022 से पहले इस तरह जितना बजट होता था उसे वित्तीय वर्ष तक पूरा करना होता था लेकिन अप्रैल 22 के बाद व्यवस्था खत्म कर दी गई है।

इनकी जुबानी

इस मामले में जीपीएफ के अधिकारियों को तथा संबंधित बैंक के अधिकारियों को विभाग द्वारा पत्र जारी कर जानकारी मांगी जा रही है कि उन्होंने कैसे मृत कर्मचारी की आईडी और कनिष्ठ सहायक बाबू की दूसरी आईडी खोल दी तथा बैंक ने बिना केवाईसी के ही खाता जारी रखा कैसे और क्यों ? इसके साथ ही जो आहरण अधिकारी है अर्थात स्कूल का प्रिंसिपल उसकी अप्रूवल के बाद ही आईडी खुलती है तो इसमें प्रिंसिपल की भूमिका भी आती है ।

योगेश चन्द्र पारीक 

कार्यवाहक मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी भीलवाड़ा

 

इनकी जुबानी

 

कनिष्ठ सहायक निलेश वैष्णव को निदेशालय के आदेश से निलंबन कार्यकाल के दौरान जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक मुख्यालय पर लगा रखा है लेकिन वह बिना स्वीकृति के मुख्यालय छोड़ रखा है उसके खिलाफ चार्जशीट जारी की जाएगी

 

बंशीलाल कीर

जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक एवं कार्यवाहक माध्यमिक मुख्यालय , भीलवाड़ा

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चेतन ठठेरा ,94141-11350 पत्रकारिता- सन 1989 से दैनिक नवज्योति - 17 साल तक ब्यूरो चीफ ( भीलवाड़ा और चित्तौड़गढ़) , ई टी राजस्थान, मेवाड टाइम्स ( सम्पादक),, बाजार टाइम्स ( ब्यूरो चीफ), प्रवासी संदेश मुबंई( ब्यूरी चीफ भीलवाड़ा),चीफ एटिडर, नामदेव डाॅट काम एवं कई मैग्जीन तथा प समाचार पत्रो मे खबरे प्रकाशित होती है .चेतन ठठेरा,सी ई ओ, दैनिक रिपोर्टर्स.कॉम