जहाजपुर (आज़ाद नेब) मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा जनता को राहत देने हेतु चलाये जा रहे महंगाई राहत शिविर अधिकारियों की अनुपस्थिति से महज खानापूर्ति में सिमट रहे हैं।
एक तरफ मुख्यमंत्री राहत देने का वादा कर कांग्रेस को पुनः सत्तासीन करना चाह रहे हैं, वहीं दुसरी ओर अधिकारी कैम्पों में नहीं पहुंचकर मुख्यमंत्री की मंशा पर पानी फेर रहे हैं।
ऐसा ही नजारा एक और दो जून को कुंचलवाड़ा कला और टीकड ग्राम में महंगाई राहत शिविर के दौरान देखने को मिला। शिविर में सभी विभागों के कर्मी तो मोजूद थे पर अधिकारी नदारद थे। इसी तरह कई ग्रामीण अपने हाथ में सिर्फ कागज लेकर घूमते ही नजर आये।
इसी प्रकार टीकड गांव के राजकुमार मीणा ने बताया कि मैं दो दिवसीय केम्प में घरेलू कनेक्शन के लिये दो दिन से यहाँ आ रहा हुं, शिविर में मुझे यहाँ विधुत विभाग के लाइनमैन के अलावा कोई नहीं मिलता है। लाइनमैन कहता है कि साहब आयंगे जब आपकी फाइल देखेंगे।
इसी प्रकार कुंचलवाड़ा कला में चेतन शर्मा जब अपने कनेक्शन के सम्बंध में केम्प में जाकर पड़ताल करता है तो न तो केम्प में सहायक अभियंता मोजूद है और न ही कनिष्क अभियंता मौजूद है, तथा दोनों ही अधिकारी सरकार द्वारा जारी मोबाइल नंबर को या तो बंद रखते हैं या फिर रिसीव करने की जहमत ही नहीं करते हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि जब शिविर में बिजली उतभोक्ताओं को सरकार की जन कल्याण कारी योजनाओं की जानकारी और उनके रजिस्ट्रेशन तक नहीं हो पा रहे हैं और न ही उनकी समस्याओं का निदान हो पा रहा है, तो शिविर आयोजित करने का मतलब ही क्या है।