रेलकर्मी सहित तीन युवकों ने फांसी लगाकर की जीवनलीला समाप्त आत्महत्या नहीं है अंतिम रास्ता

liyaquat Ali
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अजमेर(नवीन वैष्णव) । शहर में तीन युवकों ने फांसी के फंदे पर झूलकर जान दे दी। मृतकों में एक रेलवे कर्मचारी भी शामिल है। तीनों युवक मानसिक अवसाद में बताए जा रहे थे, इनमें से एक मृतक के पिता ने भी आज से लगभग एक माह पहले फांसी लगाकर खुदकुशी की थी।
पत्नी वियोग में पहला मामला रामगंज थाना क्षेत्र के रामबाग चैराहा भगवानगंज का है। यहां रहने वाला 26 वर्षीय गजेन्द्र सिंह लोको कारखाना में कार्यरत था। भगवानगंज चैकी इंचार्ज मुकेश यादव ने बताया कि मृतक गजेन्द्र का उसकी पत्नी से उसका विवाद चल रहा था। उसकी पत्नी भी इन दिनों गर्भवती थी और आगामी दिनों में उसकी डिलीवरी भी होने वाली थी। इससे गजेन्द्र काफी डिप्रेशन में रहने लगा और अधिक मात्रा में शराब का सेवन करने लगा। बीती रात गजेन्द्र ने शराब के नशे में फांसी के फंदे पर झूल गया। उसके परिजनों ने इसकी जानकारी सुबह पुलिस को दी।
पिता की मौत का सदमा दुसरा मामला पलटन बाजार का है जहां रहने वाला 18 वर्षीय कामेश अपने पिता की मौत का सदमा नहीं सहन कर सका। कामेश ने बीती रात फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली। सिविल लाईन थाने के एएसआई रामनारायण ने बताया कि कामेश के पिता संतोष ने गत 17 मई को सुसाईड किया था। कामेश अपने पिता से बेहद प्यार करता था। पिता की मौत का उसे सदमा लग गया और वह सभी को बोलने लगा कि उसके पिता उसे भी बुला रहे हैं। इसी डिप्रेशन में उसने भी खुद को अकेला पाकर मौत को गले लगा लिया। एएसआई रामनारायण ने कहा कि मृतक का लिखा सुसाईड नोट बरामद नहीं हो सका है।
शादी की चिंता
तीसरा मामला क्रिश्चयनगंज थाना क्षेत्र के इन्द्रा कॉलोनी का है। यहां पार्वती नामक महिला के किराए के मकान में रहने वाला नांद, पुष्कर निवासी 25 वर्षीय गोगाराम जाट मोटर बाईंडिंग का काम करता था। वह यहां अकेला ही रहता था जबकि उसका परिवार नांद गांव में ही निवास करता था। गोगाराम ने देर रात फांसी लगाकर अपनी जान दे दी। क्रिश्चयनगंज चैकी इंचार्ज उगमाराम ने बताया कि हालांकि सुसाईड नोट बरामद नहीं हुआ है लेकिन परिजनों से पूछताछ में सामने आया कि शादी नहीं होने से यह अवसाद में चल रहा था और संभवतया इसके चलते ही उसने यह कदम उठाया है।
आत्महत्या नहीं है आखिरी उपाय
आज तीन युवकों ने आत्महत्या करके परिवार पर जो दुखों का पहाड़ तोड़ा है, उसे परिवारवाले ही समझ सकते हैं। कैसी भी परिस्थिति हो, उसका डटकर सामना करें। यदि सामना करेंगे तो आपकी जीत अवश्य होगा, यदि जीत भी नहीं हुई तो आप उससे सबक लें और वापस प्रयास करें। इस ब्लॉग के माध्यम से यही अपील करूंगा कि जिसे भी आत्महत्या का ख्याल आए, वह यह सोचे कि यह जीवन केवल मात्र उनका नहीं है, मां-बाप, बच्चे, दोस्त या अन्य कोई भी है जो उनको देखकर जी रहा है। आपके जाने से वह खुद को कमजोर समझेंगे। ऐसा नहीं है कि डिप्रेशन नहीं होता, मगर डिप्रेशन से बचने के लिए यार-दोस्तों के साथ या ऐसी जगह समय व्यतीत करें जिससे मन को खुशी मिल सके। डिप्रेशन दुर करने के लिए नशे का सहारा कभी नहीं लें, नशा भी आत्महत्या की ओर उकसाने का एक कारण है। डिप्रेशन के दौरान खुद को अकेला नहीं रखें। ओर कोई नहीं तो सार्वजनिक स्थान जैसे बाग-बगीचा या माॅल आदि में चले जाएं। इन सब उपायों से आप खुद को डिप्रेशन मुक्त कर पाएंगे और आत्महत्या जैसे विचार भी आपके मन से कोसों दुर निकल जाएंगे।

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