एम.इमरान टांक/9251325900 – सरवाड़। हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के बड़े साहबजादे हज. ख्वाजा फखरूद्दीन चिश्ती के सालाना उर्स की औपचारिक शुरुआत आज झंडे की रस्म के साथ हुई। झंडे का जुलुस गांधी चौक से शुरू होकर सदर बाजार होते हुए दरगाह पहुंचा। जहां बाब-ए-आफ़ताब दरवाज़े पर मिस्कीनों की तरफ़ से और बाब-ए-अब्दुल मन्नान बुलंद दरवाज़े पर मुंबई के ट्रष्टी हाजी अब्दुल मन्नान शेख़ की तरफ से सोनें का कामशुदा झंडा पेश हुआ। चांद दिखाई देने के बाद उर्स की विधिवत शुरुआत होगी। इस दौरान दिल्ली निज़ामुद्दीन ओलिया की दरगाह के ख़ादिम हाजी हम्माद निज़ामी, अजमेर दरगाह के ख़ादिम सैय्यद आरिफ़ उस्मानी चिश्ती, आफ़ताब शेख़, निलोफ़र शेख़ सहित सैंकड़ों अकीदतमंद मौजूद थे।
बुलंद दरवाज़ा बाब-ए-अब्दुल मन्नान पर पेश होता है सोनें का कामशुदा झंडा।
बुलंद दरवाज़ा बाब-ए-अब्दुल मन्नान का निर्माण मुम्बई के शफ़ी बापू मैमोरियल ट्रस्ट द्वारा करवाया गया है। इसकी बुनियाद 22 मई 2007 को ट्रस्ट के सदर हाजी मन्नान नें रखी। 2 जुलाई 2011 को तत्कालीन चिकित्सा मंत्री एमामुद्दीन अहमद की मौजूदगी में दरवाज़े को आवाम के लिए खोला गया। दरवाज़ा तक़रीबन सौ फ़िट ऊंचा है। इसी दिन जुलुस के रूप में ट्रस्ट के सदर हाज़ी अब्दुल मन्नान नें अपनें परिवार के साथ बुलंद दरवाज़े पर सोनें का कामशुदा झंडा पेश करनें की शुरुआत की, जो अबतक जारी है।
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