बैंक में नकली सोना गिरवी रख दिलाया 2 करोड़ का लोन,वेल्यूअर की मिली भगत

banks, now there is no need of ATM, cardless transaction soon, from today the timings of banks have also changed.

अजमेर/ राजस्थान के अजमेर में बैंक ऑफ इंडिया की शाखा में नकली सोना को असली सोना बताकर गिरवी रख दो करोड़ रुपए के लोन ग्राहकों को दिए जाने का मामला सामने आया है यह खुलासा होने के बाद बैंक प्रशासन में खलबली मच गई है और अधिकारियों के हाथ पांव फूल गए हैं ।

इस फर्जीवाड़े में बैंक द्वारा नियुक्त वैल्यूअर की भूमिका सामने आई है तो वही इसमें बैंक कार्मिक की मिलीभगत की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता है इस मामले अभी तक बैंक प्रबंधन की ओर से किसी तरह की कानूनी कार्रवाई हेतु एफ आई आर दर्ज नहीं कराई गई है।

अजमेर में अजय नगर स्थित बैंक ऑफ इंडिया की शाखा में बैंक ने सोना गिरवी रख कर लोन देने के लिए नियमानुसार बैंक ने सोने की परख करने के लिए अजमेर के महादेव ज्वेलर्स के प्रोपराइटर घनश्याम सोनी को नियुक्त कर रखा था ।

जो पिछले 4 साल से इस काम को कर रहा था बैंक द्वारा जब सोना गिरवी रख कर लोन दिया जाता है तो सोने की परख घनश्याम सोनी करता है और उसकी कीमत बताता है कि यह सोना इतनी कीमत का है और बैंक नियमानुसार उसकी कीमत का 75% मूल्य का लोन कस्टमर को देता है और इस सोने का हर साल नवीनीकरण किया जाता है ।

बैंक में रखे सोने की जब अभी जांच की गई तो 8 ग्राहकों द्वारा गिरवी रखा गया सोना नकली पाया गया और इस सोने के बदले बैंक द्वारा इन ग्राहकों को ₹20000000 का ऋण दिया जा चुका है नकली सोना का खुलासा होने पर बैंक प्रबंधन के हाथ-पैर फूल गए और बैंक प्रबंधन तत्काल प्रभाव से घनश्याम सोनी को हटाकर उसकी जगह नए गोल्ड वैल्यूअर के रूप में नया बाजार स्थित कमल सोनी को नियुक्त किया है और यह खुलासा रैंडम जांच के दौरान हुआ ।

इस नकली सोने का खुलासा होने के बाद बैंक ऑफ इंडिया किस शाखा से सोने को गिरवी रख कर लोन लेने वाले करीब 200 से अधिक ग्राहकों को बैंक बुलाकर उनके सामने ही नए नियुक्ति के सोने की कीमत पर रखने वाले वैल्यूअर कमल सोनी सिंह उन ग्राहकों द्वारा लिखे गए सोने की पर कराई जा रही है।

सूत्रों के अनुसार पुराने गोल्ड वैल्यूअर घनश्याम सोनी ने यह फर्जीवाड़ा अपने ही परिचितों मिलने वालों को नकली सोने को असली बता उसके बदले बदले बैंक से लोन दिला दिया नियमानुसार हर साल उसका नवीनीकरण करा दिया गया

और जब रेंडम चेकिंग में यह सोना नकली पाया गया तो बैंक ने अपने स्तर पर यह सभी आठ लोन रिकवर करने के लिए प्रयास किए लेकिन सफल नहीं होगे हालांकि बैंक प्रबंधन ने अभी तक इस मामले में घनश्याम सोनी के खिलाफ कोई एफ आई आर दर्ज नहीं कराई है और अपने स्तर पर ही जांच करने की बात बैंक प्रबंधन द्वारा की जा रही है।

अब सवाल यह उठता है कि यह फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद भी बैंक प्रबंधन द्वारा वैल्यूअर घनश्याम सोनी के खिलाफ आखिर f.i.r. क्यों नहीं दर्ज कराई और क्यों नहीं दर्ज कराना चाहते हैं ? क्या इस फर्जीवाड़े में बैंक कार्मिकों की भूमिका भी है ?