आखिर क्यों अशोक गहलोत ने सचिन पायलट को विधायकों की बाढ़े बंदी से दूर रखा?

liyaquat Ali
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File photo

Jaipur News (फ़िरोज़ उस्मानी )। राजस्थान की सत्ता दो धड़ों में बटी होने के चलते अब तक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (ashok Gehlot )अपनी कुर्सी बचाने में कामयाब रहे है। लेकिन अब मध्य प्रदेश संकट के बाद कब राजस्थान की राजनीति में भूचाल आ जाए कहा नही जा सकता। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट (Sachin Pilot) की आपसी कलह कई बार देखने को मिलती रही है। कई मसलों पर उपमुख्यमंत्री सरकार के खिलाफ बोलते दिखाई दिए है। हांलाकि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की जादूगरी के आगे एक नही चली।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कई कांग्रेस के कई बड़े संकटों में उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट को दूर ही रखते आए है। जिसका उदाहरण मध्य प्रदेश के संकट मौचन बने अशोक गहलोत ने मध्य प्रदेश से आए विधायकों को राजस्थान में अपने सरंक्षण में रखा। साथ ही अपने विश्वास पात्र मंत्रियों की निगरानी में छोड़ा। वहीं गहलोत ने उपमुख्यमंत्री व प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट को नजर अंदाज किया । इसी तरह उनके विश्वास वाले मंत्रीं व विधायकों से भी दूरी बना दी।

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सूत्रों की माने तो इसकी वजह सीधे तौर पर उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट से ज्योतिराज सिंधिया (jyotiraditya scindia) से दिल्ली में अपनी अवास से एक घंटें की मुलाकात के बाद ज्योतिराज सिंधिया ने कांग्रेस छोडऩे का फैसला किया था। सूत्रों की माने तो कांग्रेस कालाकमान व अशोक गहलोत सचिन पायलट पर भी भरोसा नही जता रहे है।

आने वाले समय में राजस्थान में अशोक गहलोत व सचिन पायलट के बीच की लड़ाई कांग्रेस आलाकमान क्या सुलझा पाती है, या नही? देखने वाली बात होगी। कुछ दिनों में बीते घटनाक्रम पर कई सावालियों निशान खड़े होते है जैसे पायलट खेमे के माने जाने वाले मंत्री और विधायक भी मेहमान विधायकों से मिलने क्यों नहीं पहुंचे हैं? क्या कांग्रेस में सबकुछ ठीक चल रहा है? क्या कांग्रेस को अपने ही प्रदेश अध्यक्ष पर भरोसा नहीं है? क्या मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री के बीच लड़ाई निर्णायक मोड पर है? क्या सियासी संकट के समय भी गहलोत को सिंधिया की तरह पायलट पर विश्वास नहीं है?

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