Jaipur News – प्रदेश में सौर व पवन ऊर्जा (Solar and wind energy) का उत्पादन बढाने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Chief Minister Ashok Gehlot) ने गुरूवार को नई सौर व पवन ऊर्जा नीति जारी की। इसमें सौर ऊर्जा के क्षेत्र में 30 हजार मेगावाट तथा पवन ऊर्जा से अगले पांच वर्ष में दो हजार मेगावाट बिजली उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। प्रदेश में अभी 4650 मेगा वाट सौर ऊर्जा (4650 Mega Watt Solar Power) का उत्पादन हो रहा है। नई नीति के तहत आने वाले दिनों में सभी सरकारी भवनों पर भी सोलर प्लांट लगाने की योजना है। नई नीति में प्रदेश में सौर और पवन ऊर्जा के क्षेत्र में निवेश और प्लांट लगाने वाले उद्यमियों को कई रियायतें दी गई हैं।
नई नीति के तहत सभी 33 जिला मुख्यालयों पर नेट मीटरिंग स्कीम (Net metering scheme) के तह 300 मेगावाट क्षमता के रूफटाप संयंत्र लगाकर ग्रीन एनर्जी सिटी के रूप में विकसित किया जाएगा। इसके साथ ही घरेलू उपभोक्ताओं को दिए जाने वाले सभी लाभ राजकीय भवनों पर लगाए गए सौर ऊर्जा संयंत्रों पर भी दिए जाएंगे। ग्रोस मीटरिंग स्कीम (Gross metering scheme)और रेस्को मोड (Resco mode)के तहत भी रूफटाप सौर ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना की जाएगी और स्टार्टअप कम्पनियों को रूफटाप संयंत्र लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
सौर ऊर्जा नीति के तहत सभी कार्यों के लिए नोडल एजेन्सी राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम होगी।सौर व पवन ऊर्जा नीति के तहत अगले पांच वर्षों में अक्षय ऊर्जा आधारित 500 चार्जिंग स्टेशन को रियायती दर पर भूमि का आंवटन किया जाएगा। साथ ही सोलर पार्क के लिए सरकारी भूमि का आवंटन किया जाएगा। सौर ऊर्जा उत्पादक निजी कृषि भूमि पर भी प्लांट लगा सकेंगे और इसके लिए भू रूपान्तरण की जरूरत नहीं होगी। सौर उपकरणों के निर्माण के लिए स्टाम्प शुल्क में 100 प्रतिशत की छूट, 50 प्रतिशत की रियायत पर भूमि का आवंटन, 10 वर्ष तक विद्युत शुल्क में छूट दी जाएगी।
सौर व पवन ऊर्जा उत्पादकों को उद्योग विभाग की योजनाओं के तहत प्रोत्साहन दिया जाएगा। सौलर पैनल व हाईब्रिड ऊर्जा उत्पादकों के लिए पानी की व्यवस्था की जाएगी। उत्पादित बिजली के उपभोग और बिक्री के लिए बैंकिंग सुविधा उपलब्ध करवाई जाएगी। उत्पादक अगर बिजली का खुद ही उपयोग करता है तो उसे विद्युत शुल्क में छूट दी जाएगी।