कर्नाटक में विश्वास मत के दौरान सदन से बाहर रह सकेंगे 15 बागी

liyaquat Ali
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FILE PHOTO-SUPRME COURT

बेंगलुरू

सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को कर्नाटक के बागी विधायकों की याचिका पर फैसला सुनाया। शीर्ष अदालत ने कहा कि विधायकों को सदन की कार्यवाही का हिस्सा बनने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। अब बागी विधायकों पर व्हिप लागू नहीं होगा और वह सदन की कार्यवाही से दूर रह सकते हैं।
सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद कर्नाटक में कांग्रेस व जनता दल-सेक्युलर (जद-एस) गठबंधन सरकार की मुश्किलें बढ़ गई हैं। अब गुरुवार को विश्वास मत के दौरान बागी विधायकों के सदन छोड़ने के बाद गठबंधन के पास बहुमत साबित करने के लिए पर्याप्त सदस्य नहीं होंगे।

मुंबई के एक होटल में बात करते हुए जद-एस के बागी विधायक ए.एच. विश्वनाथ ने कहा, “हम गुरुवार को विधानसभा में भाग लेने के लिए बेंगलुरू नहीं जा रहे हैं। हमें सत्र से हटने की अनुमति देने के लिए सर्वोच्च न्यायालय का धन्यवाद करते हैं। हम अध्यक्ष को इस्तीफा दे चुके हैं और इसके तुरंत स्वीकृत होने की उम्मीद कर रहे हैं।”
बागियों की संयुक्त याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए शीर्ष अदालत के प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता में गठित तीन न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि विधानसभा की कार्यवाही और विश्वास मत में भाग लेने के लिए उन पर कोई बाध्यता नहीं है।
विश्वनाथ ने मौजूदा राजनीतिक संकट के लिए गठबंधन के नेताओं पर आरोप लगाते हुए कहा कि बागी विधायक तो महज खराब शासन और कुप्रबंधन के कारण राज्य में फैली अराजकता को खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं।

फिलहाल मुंबई में डेरा डाले 14 बागियों में से कांग्रेस के 11 और जद-एस के तीन विधायक हैं। इसके अलावा दो अन्य कांग्रेस के बागी विधायक आर. रामालिंगा और आर.रोशन बेंगलुरू में डटे हुए हैं।

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