अजमेर/ सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के विश्व प्रसिद्ध दरगाह अजमेर शरीफ का उर्स आगामी 2 फरवरी से शुरू हो रहा है और कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर ने सरकार व अजमेर प्रशासन की नींद उडा दी है की उर्स मे कैसे भीडको नियंत्रित की जाए इसकू प्रयास जारी है और अजमेर प्रशासन सीएम गहलोत को पत्र लिखकर इस बार भी कोरोना को मद्देनजर पाक जायरीनो के जत्थे को जियारत के लिए मंजूरी नही देने का आग्रहकरने जा रहा है और संभवतया सरकार पाक जायरीन जत्थे को इजाजत नही देगी ।।
गरीब नवाज का 810वां सालाना उर्स 2 फरवरी से शुरू होगा । विश्व प्रसिद्ध गरीब नवाज के सालाना उर्स में देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी जायरीन शिरकत करने पहुंचते हैं। उर्स 2 फरवरी से शुरू होगा जो आगे 10 दिनों तक चलेगा। इस दौरान दरगाह 24 घंटे खुली रहती है और आस्ताना शरीफ भी आम जायरीन के लिए 24 घण्टे खुला रहता है। 10 दिनों में यहां लाखों की संख्या में जायरीन पहुंचते हैं और दुआ-खैर करके मन्नते मांगते हैं।
गरीब नवाज का दर वो दर है जहां किसी भी इंसान में कोई फर्क नहीं समझा जाता, फिर चाहे वो राजा हो या फ़क़ीर या फिर देश की सीमाएं। पाकिस्तान से उर्स में शिरकत करने के लिए हर साल करीब 500 जायरीनों का जत्था अजमेर पहुंचता है। लेकिन पिछले दो साल से पाकिस्तानी जायरीनों को यह मौका नहीं मिल रहा है। ऐसा नहीं है कि दोनों देशों के खराब रिश्ते इसमें आड़े आ रहे हैं बल्कि इसकी वजह कोरोना का बढ़ता ग्राफ है।
बढ़ते कोरोना की वजह से एक बार सख्तियां बढ़ाई जा रही हैं, जिसकी वजह से पाकिस्तान के जायरीन भी उर्स में शामिल नहीं हो पाएंगे।
कोरोना का बढ़ता दायरा अब अजमेर जिला प्रशासन की मुसीबतें बढ़ा रहा है। यही कारण है कि जिला प्रशासन ने उर्स को लेकर दरगाह कमेटी और खादिम संस्थाओं के पदाधिकारियों के साथ बैठक की। इस बैठक में कलेक्टर प्रकाश राजपुरोहित ने दरगाह कमेटी व खादिम संस्थाओं के पदाधिकारियों से अपील की कि बाहर से आने वाले जायरीनों को उर्स में शामिल नहीं होने के लिए समझाएं ओर उन्हें यह बताने की कोशिश करें कि उनकी जो भी मुरादें हैं वे अपने घर पर रहकर ही दुआ करके पहुंचाएं। वहीं जिला प्रशासन ने कहा कि पाकिस्तान से आने वाले जायरीन जत्थे को भी उर्स में शामिल होने की इजाजत नहीं देने के लिए राज्य सरकार को पत्र लिखेंगे।