ट्राउट फिश इन हिंदी ,रेट,कारोबार, मुनाफा, फार्मिंग का तरीका ,पोषण

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क्या है ट्राउट मछली ?

उत्तराखंड में कहा जाता है कि असली के लिए जो जलवायु है वह काफी अच्छी है और वहां इसका काफी अच्छा उत्पादन हो सकता है इस बारे में बताया जाता है कि मछली जो है 120 साल पहले जब अंग्रेज भारत में आए थे तो उन्होंने उत्तराखंड में उत्तरकाशी के डोडी ताल में इसके डाले थे एक खबर में छठ के द्वारा बताया गया है कि उत्तराखंड की नदियों और महाशीर के 1 दर्जन से अधिक प्रजातियां पाई जाती है जो काफी महंगी बिकती है

Trout fish farming: ट्राउट फिश फार्म वर्तमान में किसानों के लिए ट्राउट बीज का उत्पादन कर रहा है. दक्षिण कश्मीर के कोकेरनाग क्षेत्र में एशिया का सबसे बड़ा है और जम्मू-कश्मीर मत्स्य पालन विभाग के संयुक्त निदेशक मुजफ्फर बजाज बताते हैं कि इस फार्म से हर साल 45 लाख ट्राउट फिश के बीजों का उत्पादन किया जा रहा है.

Trout fish farming: पारंपरिक रूप से खेती-किसानी में कम होते मुनाफे को देखते हुए भारत में किसान अब वैकल्पिक मार्ग अपना रहे हैं. ऐसे में भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में काफी संख्या में किसान मछली पालन की तरफ रूख कर रहे हैं और बढ़िया मुनाफा कमा रहे हैं.

इन दिनों मछली पालन में ट्राउट मछलियों(Trout fish farming) की धूम है. इसे मछली पालन के लिए सबसे अच्छी प्रजाति मानी जाती है. मीठे पानी में पाली जाने वाली ये मछलियां जेनेरा ओंकोर्थनचस और साल्वेलिनस परिवार से संबंध रखती हैं. कश्मीर का कम तापमान इनके जिंदा रहने के लिए सबसे उपयुक्त है. इसलिए यहां बड़े स्तर पर इन मछलियों का पालन किया जाता है.

ट्राउट मछलियों(Trout fish farming) का बीज बोने की प्रक्रिया

“ट्राउट मछलियों (Trout fish farming)का बीज बोने की प्रक्रिया नवंबर में शुरू होती है और फरवरी तक जारी रहती है. इस प्रकिया के पूरी होने के बाद हम इसे देश के अन्य राज्यों में भी निर्यात करते हैं. आपको बता दें ट्राउट फिश के एक बीज की बिक्री तकरीबन 1200 से 1300 रुपये में होती है. ऐसे में प्रदेश में ज्यादातर मछली पालक इसका कारोबार कर लाखों का मुनाफा कमा रहे हैं.

मत्स्य पालन विभाग के पास कश्मीर में 750 ट्राउट मछली पालन इकाइयाँ हैं और अगले साल यह संख्या 1000 इकाइयों तक पहुंच जाने की संभावना है.

 

ट्राउट की पैदावार के लिए साइट का चयन

ट्राउट की पैदावार के लिए इस तरह का स्थान चुनना चाहिए जहां नदी, झरने जैसे बारहमासी स्रोत के माध्यम से उचित गुणवत्ता और मात्रा में पानी उपलब्ध हो।

ट्राउट मछली के लिए तालाबों का निर्माण

ट्राउट मछली की पैदावार के लिए सीमेंट के पुख्ता तालाब/ रेस वे की आवश्यकता होती है। आयताकार तालाब गोल कुंड से बेहतर होते हैं। एक ट्राउट रेस वे का किफायती आकार 12-15 एम x 2-3 एमएस x1.2 -0.5 एम होना चाहिए जिसमें पानी की आवक और अतिप्रवाह एक तारजाल स्क्रू से कसा होना चाहिए ताकि पैदा की गई प्रजाति के निकास को रोका जा सके। पैदावार की उचित सुविधा तथा समय-समय पर टैंक की सफाई की सुविधा के लिए तालाब के पेंदे में एक ड्रेन पाइप होनी चाहिए|

तालाब में जल की आपूर्ति

ट्राउट के तालाब में पानी की आपूर्ति एक फिल्टर/ अवसादन टैंक के ज़रिए होनी चाहिए। इस क्षेत्र में विशेष रूप से मानसून के मौसम में गाद की बहुत समस्या होती है जब पानी मटमैला होता है, जो ट्राउट की पैदावार के लिए अच्छा नहीं है। एक ट्राउट फार्म के लिए पानी की मात्रा भंडारण के घनत्व, मछली के आकार के साथ ही पानी के तापमान से संबंधित है। इसलिए, यह आवश्यक है कि पानी का प्रवाह बहुत ध्यान से नियामित किया जाए। उदाहरण के लिए, 30,000 फ्राइज़ के लिए 15 लीटर/ मिनट पानी चाहिए, 250 ग्राम से कम की मछली के लिए 10-12 डिग्री सेंटीग्रेड पर 0,5 लीटर/किग्रा/मिनट प्रवाह की आवश्यकता है। उपर्युक्त किफायती आकार के पानी के टैंक में पानी का 15 डिग्री सेंटीग्रेड पर 5-50 ग्राम फिंगरलिंग्‍स के भंडारण के लिए 52 घन मीटर प्रति घंटा होना चाहिए। इस प्रकार, पानी का प्रवाह ऐसे नियंत्रित किया जाता है कि मछलियां एक जगह पर इकट्ठा नहीं हों और तेजी से चलें भी नहीं। पानी के तापमान में वृद्धि के साथ पानी का प्रवाह भी बढ़ाया जाना चाहिए।

एक ट्राउट फार्म के लिए आवश्यक भौतिक-रासायनिक मानक

ट्राउट की सफल पैदावार के लिए जिम्मेदार भौतिक-रासायनिक मानक हैं तापमान, घुलनशील ऑक्सीजन, पीएच और पारदर्शिता।

तापमान : मछली 5 से 18 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान सीमा के भीतर अच्छी तरह से पनपती है, लेकिन ऐसा पाया गया है कि यह 25 डिग्री सेंटीग्रेड तक तापमान बर्दाश्त कर सकती है और इसमें मछलियों की मौत नहीं होती। हालांकि, मछलियों की अधिकतम वृद्धि 10 से 18 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान सीमा के भीतर पाई जाती है।

घुलनशील ऑक्सीजन : ऑक्सीजन सांद्रता की सीमा 5.8-9.5 मिलीग्राम/लीटर है। यदि ऑक्सीजन सांद्रता 5 मिलीग्राम/लीटर हो तो पानी का प्रवाह बढ़ाना उचित होगा।

पीएच : ट्राउट के लिए न्‍यूट्रल या थोड़ा क्षारीय पीएच सबसे अच्छा है। सहन करने योग्य पीएच के न्यूनतम और अधिकतम मान क्रमशः 4.5 और 9.2 हैं, हालांकि, यही पीएच रेंज इस मछली के विकास के लिए आदर्श है।

पारदर्शिता : एकदम पारदर्शी पानी की जरूरत होती है और उसमें ज़रा भी गन्दगी नहीं होनी चाहिए। गंदगी का जमाव 25 सेमी से अधिक नहीं होना चाहिए।

भंडारण का घनत्व : यह जल आपूर्ति, पानी के तापमान, गुणवत्ता/पानी और चारे के प्रकार के साथ संबंधित है। यदि पानी का तापमान 20 डिग्री सेंटीग्रेड से ऊपर है, तो भंडारण का घनत्व सुझाए गए घनत्व से कम रखा जाना चाहिए। फ्राई फिंगरलिंग्‍स (5 से 50 ग्राम) का भंडार पानी की प्रति घन मीटर सतह पर 20 किलो मछली की दर से किया जाता है।

चारे की मात्रा मुख्य रूप से पानी के तापमान और मछली के आकार पर निर्भर करती है। यदि पानी का तापमान 18 डिग्री सेंटीग्रेड से ऊपर है, तो सुझाए गए चारे को आवश्यकता का ठीक आधा कर देना चाहिए और 20 डिग्री सेंटीग्रेड से ऊपर चारा देना बंद करना ही बेहतर होगा। आसमान में बादल छाने पर या मटमैला पानी होने पर भी चारा नहीं देना चाहिए।

सेवन योग्य आकार की मछली

250 ग्राम वजन पाने के बाद मछली निकाल लेने की सलाह दी जाती है क्योंकि इस आकार के बाद विकास की गति धीमी हो जाती है और उसे पाल कर बढ़ाना फायदेमंद नहीं होता है।

ट्राउट की पैदावार में स्वच्छता

ट्राउट की पैदावार में सफाई एक बहुत ही महत्वपूर्ण कारक है। समय-समय पर ट्राउट को या तो 10% फॉर्मेलिन या 4 पीपीएम पोटैशियम नाइट्रेट के घोल से साफ़ और कीटाणुरहित करना चाहिए। संक्रमित मछली को तुरंत टैंक से हटा दिया जाना चाहिए और यदि कोई रोग हो तो किसी मछली विशेषज्ञ से परामर्श लिया जाना चाहिए।

अनावश्यक छेड़छाड़:-

मछली को बार-बार छेड़ने से उसे हानि पहुंच सकती है | सघन मत्स्य पालन में अपर्याप्त आहार देने पर इसके गम्भीर परिणाम हो सकते हैं | यदि संभव हो तो मछली एक स्थान से दूसरे पर जल में ही पम्प के माध्यम से स्थानांतरित की जाए|

रोगों का फैलना :-

चूहों तथा पक्षियों जैसे शरारती जीव, सूक्ष्म जीवियों को फैलने में काफी भूमिका निभाते हैं | पक्षी आँख तथा पेट के विभिन्न परजीवियों को ही नहीं रखते परन्तु मछली के लिए हानिकारक सूक्ष्म जीव भी इनमें काफी समय तक जीवित रह सकते हैं | फार्म पर आने वाले आगंतुक भी सूक्ष्म जीवों को एक स्थान से दूसरे स्थान में परिवहन की भूमिका निभाते हैं | जंगली मछली पर कार्य करने अथवा अन्य फार्मों पर उपरान्त समस्त उपकरणों का रोगाणूनाशन, कपड़ों का बदलाव तथा हाथों को धोना आवश्यक है | फार्म प्रबंधक का यह दायित्व है कि वह आगंतुकों को समस्त सफाई नियमावली से परिचित करवाएं | इसके लिए उसे आगंतुकों की पूर्वत: सूचना आवश्यक है| फ़ार्म के मुख्य प्रवेश द्वार पर सफाई नियमावली का लिखित उल्लेख किया जाना चाहिए |

 

ट्राउट मछली का क्या प्राइस है ?What is the price of trout fish?

Trout fish price हर जगह बदलता रहता है और कम से कम 500 रुपये प्रति किलो से लेकर 1500 रुपये तक मिलता है । ससे ज्यादा इसकी मांग विदेशों और फाइव स्टार होटल में है ।

 

ट्राउट फिश की पोषण से जुड़ी जानकारी

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