भीलवाडा/ (राजेश जीनगर)/शहर की यातायात(Traffic ) व्यवस्था को लेकर हर बार बैठ के होती हैं सुझाव आते हैं और क्रियान्वित ई के दिशा निर्देश के लिए आदेश भी जारी होते हैं लेकिन यह सब कुछ सिर्फ कागजों में ही चलता रहता है मूल धरातल पर उसकी क्रियाविधि आज तक नहीं हो पाई है हर बार नए कलेक्टर के आने के साथ ही यातायात की व्यवस्था को लेकर बनी कमेटी की बैठक होती है जिसमें ट्रैफिक सिग्नल लाइटें (Traffic signal lights) शहर की पार्किंग व्यवस्था (parking system ) के मुद्दे विशेषकर छाए रहते हैं और उन पर विचार विमर्श होता है और फिर फाइबर के अंदर कागजों में यह विचार विमर्श दफन हो जाता है ।
लेकिन क्या इस बार नए कलेक्टर आशीष मोदी शहर की ट्रैफिक सिग्नल लाइटें और पार्किंग व्यवस्था की बनी योजना को मूल रूप से क्रियान्वित कराएंगे ।
वर्ष 2020 में जिला सड़क सुरक्षा एवं यातायात प्रबन्धन समिति की कलक्ट्रेट सभागार में आयोजित जिला कलक्टर एवं अध्यक्ष जिला सड़क सुरक्षा एवं यातायात प्रबन्धन समिति की बैठक में निर्णय किया गया था की जिला परिवहन व पुलिस विभाग के प्रस्ताव पर काम हुआ तो शहर की पांच में से दो ट्रेफिक लाइट सात दिन में चालू हो जाएगी, जबकि शेष तीन ट्रेफिक पन्द्रह दिवस में शुरू हो जाएगी तो वहीं अन्य नए ट्रेफिक प्वाइंट भी स्थापित किए जाने थे।
जिला कलक्टर एवं अध्यक्ष जिला सड़क सुरक्षा एवं यातायात प्रबन्धन समिति व तत्कालीन कलेक्टर शिव प्रसाद एम. नकाते की अध्यक्षता में हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया। बैठक में जिला परिवहन अधिकारी डॉ. वीरेन्द्र सिंह राठौड़ ने भी सड़क सुरक्षा को लेकर कई कार्ययोजना के प्रस्ताव रखे थे। वहीं बैठक के दौरान पूर्व निर्णयों को लेकर कलक्टर नकाते ने खासी नाराजगी भी जाहिर की थी। जिसमें बीओटी आधारित बस-ऑटो शेल्टर की स्थापना शामिल थी और राजस्व अर्जन के साथ जनसहभागिता आधारित बस-ऑटो शेल्टर स्थापित करने के निर्देश दिए थे।
इसमें 8 शेल्टर नगर परिषद एवं 7 शेल्टर नगर विकास न्यास द्वारा बनाए जाने थे। जिले में राष्ट्रीय राजमार्गों पर स्पीड नियंत्रण के लिए सड़क सुरक्षा फण्ड से पुलिस के लिए 4 इन्टरसेप्टर वाहन मंगाए जाने पर भी सहमति भी बनी थी। बैठक में शहर के सभी प्रमुख चौराहों पर ट्रेफिक लाइट लगाने एवं यातायात व्यवस्था को और प्रभावी बनाने का निर्णय लिया गया था।
इसके तहत शहर में बंद पड़ी ट्रेफिक लाइटों में गंगापुर चौराहा व रोडवेज बस स्टैंड चौराहा की लाइट सात दिन में चालू करने के निर्देश कलक्टर ने नगर परिषद आयुक्त दुर्गा कुमारी को दिए थे, लेकिन सालभर से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी ऐसा कुछ नहीं हो पाया तो संबंधित विभागों ने भी इन योजनाओं को ठंडे बस्ते में डाल दिया।
वहीं दुसरी और शहर में साइलेस जोन के रूप में ओवरब्रिज, कलक्ट्रेट से सेशन कोर्ट एवं आसपास का क्षैत्र, राजेन्द्र मार्ग उच्च माध्यमिक विद्यालय, एमएलवी कॉलेज, गल्र्स कॉलेज एवं उच्च माध्यमिक विद्यालय एवं समस्त महाविद्यालय एवं विद्यालयों के आसपास का क्षैत्र, महात्मा गांधी चिकित्सालय एवं समस्त चिकित्सालयों के आसपास के क्षैत्रों को विकसित किया जाना था।
आजाद चौक में होनी थी भूमिगत पार्किग
शहर में चौपाहिया, दुपहियां वाहनों, पिकअप, टेंपो ऑटो, पर्किंग, हाथ ठेला स्टैंड, वीडियो कोच बस आदि के पार्किंग स्थल नए सिरे से तय करने थे, जिसमें आजाद चौक, आर्युर्वेद चिकित्सालय के बाहर, बालाजी मार्केट क्षेत्र के लिए पार्किग की विशेष व्यवस्था होनी थी, लेकिन यहां भी ऐसा कुछ नहीं हो पाया, बल्कि ठैकेदार महेंद्र मीणा को 31 लाख रूपए की लागत से नगर परिषद ने चौक में इन्टरलोंकिग टाईल्स लगाने के टैंडर स्वीकृति कर दिए और अंडरग्राउंड पार्किंग टाईल्स के नीचे दफन हो गई।
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कलेक्ट्रेट सभागार में आयोजित बैठक के दौरान ये थे शामिल..
तत्कालीन पुलिस अधीक्षक प्रीति चन्द्रा, एडीएम सिटी रिछपाल सिंह बुरड़क, राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के तकनीकी मैनेजर देवेन्द्र कुमार बंसल, नगर परिषद आयुक्त दुर्गा कुमारी, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मुश्ताक खान, नगर विकास न्यास के अधीक्षण अभियंता रामेश्वरलाल शर्मा, खनिज अभियंता आसिफ अंसारी, मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी ब्रम्हाराम चौधरी, सहायक निदेशक गौरीकान्त शर्मा, शाहपुरा परिवहन अधिकारी राजीव त्यागी, रोडवेज यातायात प्रबन्धक आरके वर्मा, एसएचओ पुष्पा कसोटिया, ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन अध्यक्ष विश्वबन्धु सिंह तथा बस एसो के प्रतिनिधि निर्मल मेहता आदि मौजूद थे।
इनका कहना है
यातायात के बढ़ते दबाव को सुगम बनाने के लिए मेरे कार्यकाल में शहर में ट्रेफिक लाइटों को वर्ष 2010/2011 में शुरू किया गया था और ये सुचारू रूप से चालु थी। उसके बाद कब से बंद है इसकी जानकारी नहीं है।
राजमल खिंची, तत्कालीन यातायात प्रभारी
मेरे कार्यकाल में दो से तीन बार ट्रेफिक लाइटों को शुरू किया गया था और बंद होने पर वापस चालु करने के लिए जिला पुलिस अधीक्षक व नगर परिषद को भी लिखा था और पुनः सुचारू रूप से चालु भी हुई थी, लेकिन ट्रेफिक दबाव और बार बार जाम लगने की स्थिति में इन्हें बन्द करवा दिया गया था।
सुनीता गुर्जर, तत्कालीन यातायात प्रभारी