राजस्थान का सपूत अब्दुल सत्तार देश के लिए शहीद हुआ , जनाज़े में रोया पूरा गांव Read More »
रमज़ान माह में आई शहादत,
डीडवाना, नागौर। कश्मीर में लाइन ऑफ कंट्रोल पर शहीद हुए डीडवाना तहसील के ग्राम मावा निवासी सूबेदार अब्दुल सत्तार को पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई। इस दौरान कई बड़े नेताओं, अधिकारियों व सेना के अधिकारियों व जवानों ने शहीद को पुष्प चक्र अर्पित कर नमन किया। मंगलवार को सुबह विशेष वाहन से शहीद की पार्थिव देह उनके पैतृक गांव मावा लाया गया। इसके साथ ही गांव में सन्नाटा छा गया। घर में शहीद की देह के पहुंचने पर शहीद अब्दुल सत्तार के परिजन उनकी पार्थिव देह से लिपटकर फफक पड़े। जबकि शहीद की पत्नी व बच्चों का रो-रोकर बुरा हाल हो रखा था। शहीद के पिता भी बेहद गमगीन हो गए। रिश्तेदारों ने शहीद के परिजनों को ढ़ांढस बंधाया। इसके बाद गांव में शहीद का जनाजा रवाना हुआ, जिसमें सैकड़ों लोगों ने शिरकत की। जनाजे में चल रहे लोग तिरंगे में लिपटी शहीद की पार्थिव देह पर पुष्प वर्षा कर रहे थे। जबकि कई लोग शहीद के जयकारे लगा रहे थे।
शहीद की अंत्येष्ठी के समय सार्वजनिक निर्माण व परिवहन मंत्री यूनुस खान ओर लाडनूं विधायक मनोहर सिंह भी पहुंचे और शहीद के परिजनों को सम्बल प्रदान किया। इसके अलावा अतिरिक्त जिला कलक्टर बलवंत सिंह लिग़री, उपखंड अधिकारी उत्तम सिंह शेखावत, जिला सैनिक कल्याण अधिकारी कर्नल मदनसिंह जोधा, डीडवाना थानाधिकारी जितेंद्र सिंह चारण सहित अनेक अधिकारियों ने शहीद की पार्थिव देह पर पुष्प चक्र अर्पित किए।
सेना के जवानों ने शहीद को सलामी और गार्ड ऑफ ऑनर दिया। इस दौरान धार्मिक रस्मोरिवाज के साथ शहीद की जनाजे की नमाज पढ़ी जाकर उन्हें सुपुर्द ए खाक किया गया। गौरतलब है कि डीडवाना तहसील के ग्राम मावा निवासी शहीद अब्दुल सत्तार सेना में कश्मीर मे सेना की 13 ग्रेनेडियर रेजीमेंट में गुरेज सेक्टर में लाइन ऑफ कंट्रोल पर तैनात थे। इसी दौरान गत 12 मई को ड्यूटी के दौरान उनके कैम्प में आग लग गई, मगर अब्दुल सत्तार ने जान की परवाह नहीं करते हुए कैम्प में मौजूद असलहा और हथियारों को बचा लिया।इस हादसे में अब्दुल सत्तार बुरी तरह झुलस गए। बाद में उन्हें 12 बेस हॉस्पिटल ले जाया गया, जहां से उन्हें दिल्ली के सेना अस्पताल के रैफर कर दिया गया। लेकिन जवान को बचाया नहीं जा सका और गत रविवार को वे शहीद हो गए। सेना ने जवान अब्दुल सत्तार की वीरता को देखते हुए उन्हें शहीद का दर्जा दिया और उनकी शहादत को भी नमन किया है। शहीद अब्दुल सत्तार ने पवित्र रमजान माह में शहादत पाई है, जो इस्लाम की मान्यता के अनुसार बेहद खास माना जाता है।
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