वकीलों के अधिकारों को किया सीमित तो सडको पर उतरे वकील

सभी अधिवक्ताओं ने घूम-घूम कर माइक पर विरोध प्रदर्शन किया तथा अधिवक्तागण पूरे दिन हड़ताल पर रहे

 

 

भरतपुर(राजेन्द्र जती)। भरतपुर के अधिवक्ताओं ने बार काउंसिल ऑफ  इण्डिया के आह्वान पर सरकार द्वारा अधिवक्ता एक्ट में संशोधन, उच्च शिक्षा कमीशन विश्वविद्यालय ग्रान्ट 2018 के द्वारा वकीलों के अधिकारों को सीमित करने तथा वकीलों की हड़ताल पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा रोक लगाने संबंधी आदि समस्याओं को लेकर एवं एडवोकेट एक्ट के सेक्शन 34 को समाप्त किये जाने अधिवक्ताओं की समस्याओं जैसे एडवोकेट वेलफेयर फण्ड में सरकारी अंशदान हो,

जिससे 10 लाख तक का डेथ क्लेम दिया जा सकेए 5 लाख तक का इलाज खर्च सरकार उठाए, सस्ती हाउसिंग योजना, वकीलों के लिए चैम्बर्स, प्रत्येक बार में केन्द्रीय लाइब्रेरी हो, वकीलों का बीमा हो तथा एडवोकेट प्रोटेक्शन बिल लाये जाने की मांग को लेकर समस्त न्यायालयों का कार्य स्थगित रखा एवं विरोध करके  दी बार एसोसिएशन के अध्यक्ष ऋषिपाल तिवारी के नेतृत्व में जिला कलेक्टर भरतपुर के जरिये राष्ट्रपति,प्रधानमंत्री, राज्यपाल, मुख्यमंत्री, सुप्रीम कोर्ट, राज हाईकोर्ट, केन्द्रीय विधि मंत्री भारत सरकार के नाम ज्ञापन दिया गया।  गौरव पथ व न्यायालय परिसर में सभी अधिवक्ताओं ने घूम-घूम कर माइक पर विरोध प्रदर्शन किया तथा अधिवक्तागण पूरे दिन हड़ताल पर रहे।

 

अदालतों में कोई भी कार्य नहीं हुआ। सरकार के उक्त कृत्यों से अधिवक्ताओं द्वारा काफ ी रोष व्यक्त किया गया। महासचिव अभिषेक जैन एडवोकेट ने बताया कि सरकार द्वारा अधिवक्ताओं के संवैधानिक अधिकारों का हनन किया जा रहा है

 

इसलिए बार एसोसिएशन भरतपुर के समस्त अधिवक्तागण इसका विरोध करते हैं एवं बार एसोसिएशन के अध्यक्ष ऋषिपाल तिवारी ने संबोधित करते हुए कहा कि अगर सरकार ने अधिवक्ताओं की मांगों पर गौर नहीं किया तो आगे की रणनीति तैयार कर इस आन्दोलन को बडे  रूप में किया जायेगा एवं साथ ही उन्होंने कहा कि भारत सरकार को वकीलों के अधिकारों पर कुठाराघात करने का संवैधानिक अधिकार नहीं है। अगर भारत सरकारने वकीलों की मांगों को जल्द ही पूरा नहीं किया तो आने वाले लोकसभा व विधानसभा चुनावों में अधिवक्ता समाज अपनी एकता का परिचय देते हुए सरकार के खिलाफ  भी जा सकता है।