मुंह खोलने को लेकर अनेक भ्रांतियां हैं। कोई कहता है मुंह खोलों, कोई कहता है मुंह मत खोलो। आदि अनादि काल से बड़े-बुजुर्गों की सलाह है कि मुंह सोच-समझकर खोलो।
कहावत है ना, बातई हाथी पाइए….बातई हाथी पांव अर्थात हुआ यूं कि एक बार एक राजा के पिताजी खत्म हो गए। दरबार में एक वजीर ने पूछ लिया, बाप कैसे मरा। राजा क्रोधित हो गया और उसे हाथी के पांव तले कुचलवा दिया गया।
वजह थी वजीर का मुंह खोलने का तरीका रास नहीं आया। अब इसका दूसरा पहलू देखें, राजदरबार में एक यजमान ने इतनी प्रशंसा की कि राजा इतना खुश हुआ कि उसे हाथी भेंट किए गए। तभी तो कहते हैं कि सोच-समझ कर मुंह खोलना चाहिए।
शायद यही वजह रही होगी कि ब्याहता बड़ों के सामने मुंह नहीं खोलती थी, हालांकि अब दौर बदल रहा है, बड़े-छोटे का अदब खत्म हो चला है। वैसे कोरोना काल में एक और नजरिए से मुंह खोलना वर्जित माना जा रहा है।
इसीलिए हमेशा मास्क लगाए रखने की सलाह दी जाती है। किसी जमाने में जब लोगों के बीच टीबी फैल रही थी तो सलाह दी जाती थी कि यहां-वहां मुंह ना खोलें, सार्वजनिक स्थानों पर थूकना मना था।
उत्तरप्रदेश में गब्बर सिंह का विज्ञापन खासा चर्चित रहा था। इसमें दिखाया गया कि गब्बर गुटखा मुंह में रखकर थूकता है और ठाकुर उसे पकड़ने दौड़ता है। थोड़ी देर में ठाकुर घोड़े पर दौड़ते हुए धर-दबोचता है और फिर सलाखों के पीछे होता है गब्बर। कुछ महीने पुराने इस विज्ञापन में लोगों से कहा गया कि पब्लिक प्लेस पर ना थूकें, इससे भी कोरोना फैल सकता है। असल में मुंह खोलने के नुकसान है तो फायदे भी…।
अमरीका राष्ट्रपति ट्रम्प ने ज्यादा मुंह खोला तो कुर्सी चली गई। इंडिया में ज्यादा मुंह खोलने पर कुर्सी मिल गई। ऊपर से नीचे तक कई उदाहरण हैं। मनमोहन जी कम बोलने के लिए जाने जाते हैं तो वर्तमान पीएम ज्यादा मुंह खोलने के लिए….।
पंजाब का मसला लें, अमरिंदर प्राय: कम बोलते हैं लेकिन नवजोत सिंह सिद्धू बहुत बोलते हैं। कई बार अनर्गल बोलने के बाद भी उन्हें प्रदेशाध्यक्ष बना दिया गया। थोड़ा पीछे चलें, विश्वनाथ प्रताप सिंह ने अपने ही प्रधानमंत्री राजीव गांधी के खिलाफ मुंह खोला।
एक दिन वे प्रधानमंत्री बन गए। भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी ने मुंह खोला तो भाजपा दो सांसदों से सौ पर पहुंच गई। जब दल सत्ता के करीब था तो इन्ही आडवाणी को मुंह खोलने की सजा यह मिली कि परामर्शियों में डाल दिया गया।
मुरली मनोहर जोशी के साथ वे अब हाशिए पर हैं। हरियाणा के दिग्गज नेता रहे देवीलाल ने भी कई बार मुंह खोला लेकिन वे भैंसे पालने में ही रह गए। राजस्थान में सचिन पायलट आमतौर पर शांत व चुप रहते हैं।
पायलट ने भी कुछ महीनों पूर्व मुंह खोला लेकिन समय गलत चुना, परेशानी झेल रहे हैं। कभी टीएमसी नेता रहे और भाजपा के पूर्व केन्द्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो से सीख लेने की जरूरत है। सियासत में उन्हें आता है कि कैसे और कब-कितना मुंह खोलना चाहिए।
उन्होंने दो दिन पहले ही सोशल मीडिया पर घोषणा कर दी कि वे राजनीति से सन्यास ले रहे हैं। नाराजगी की वजह बताई केन्द्रीय मंत्री पद से हटाने को लेकर…, हालांकि थोड़ी देर बाद पोस्ट हटा ली गई। मतलब, उल्लू भी सीधा हो गया…।
जानकार कहते हैं कि अगर वे गंभीर थे तो लोकसभा में सांसदी से इस्तीफा देकर सियासत को अलविदा कहना चाहिए था, अभी तो लोकसभा चल भी रही है। सोशल मीडिया पर गीत गाने से क्या…..? बड़े नासमझ हैं वे जो यह बात कह रहे हैं, असल में बाबुल जानते हैं कि कितना मुंह खोलना चाहिए।
राजनीति से इतर अमेरिका के कनेक्टिकट स्टेट की रहने वाली सामंथा राम्सडेल को मुंह खोलने के लिए कुछ सोचने की जरूरत नही है। सामंथा ने इतना बड़ा मुंह खोला कि वर्ल्ड रिकॉर्ड बन गया है। गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के अनुसार, सामंथा के मुंह का कैपेसिटिव गैप 6.52 सेमी यानी 2.56 इंच मापा गया है।
सामंथा राम्सडेल टिकटॉक पर वीडियो भी शेयर करती हैं। उनके 10 लाख से भी अधिक फॉलोअर बताए जा रहे हैं। सामंथा ने कहा कि हमें अपने सपनों का पीछा करना चाहिए। हमें अपने शरीर पर गर्व करना चाहिए और इसे अपनी सबसे बड़ी संपत्ति बनाना चाहिए।
यह आपकी महाशक्ति है, यही वह चीज है जो आपको विशेष बनाती है। उधर, मिनेसोटा के इसाक जॉनसन का नाम भी गिनीज बुक में दर्ज है। ये जनाब एक बार में पूरी बोतल, सेब और अंडा यहां तक कि बॉल भी अपने मुंह में भर लेते हैं।
पूरा मुंह खोलने पर जॉनसन के ऊपरी और निचले जबड़े के बीच 10.175 सेंटीमीटर का गैप होता है. जिसकी वजह से उनके नाम पर दुनिया के सबसे बड़े मुंह वाला आदमी होने का गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड है।
उन्हें दुनिया के सबसे बड़े मुंह वाला आदमी होने का खिताब मिला है। कुल मिलाकर जो राजदार होते हैं, वे मुंह खोलने से पहले कई बार सोचते हैं। जो बेकरार होते हैं वे मुंह खोलने में देरी नहीं लगाते।
मुंह खोलने को लेकर महिलाओं को दोष देना मुनासिब नहीं…..सामंथा ने मुंह खोलने को लेकर गिनीज बुक रिकार्ड बनाया लेकिन आम शादीशुदा भारतीय से पूछें उसके घर में तो रोज मुंह खोलने के रिकॉर्ड बन रहे हैं। वैसे सियासत भी अब मुखर होती जा रही है, नेता भी मुंह खोलने से बाज नहीं आ रहे।
अलबत्ता, आम आदमी को मुंह खोलने की इजाजत नहीं है, वरना यूएपीए लग सकता है। किसानों से सबक लें, अगर ज्यादा मुंह खोला होता तो आज मुंह खोलने लायक नहीं रहते।
वैसे भी मुंह खोलने पर कब ईडी-इनकम टैक्स वाले आ धमके पता नहीं। मीडिया घरानों भी जलवा देख चुके हैं, लिहाजा मुंह बंद रखने में ही भलाई है।