नई दिल्ली। सतलोक अाश्रम के रामपाल और 15 समर्थकों को कोर्ट ने उम्रकैद और एक लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है। चार महिलाओं और एक बच्चे की हत्या मामले
में रामपाल समेत 15 लोगों को 11 अक्टूबर को अतिरिक्त जिला एवं सत्र कोर्ट ने दोषी करार दिया था, हालांकि रामपाल के वकील एपी सिंह का कहना है कि अदालत के फैसले को हाइकोर्ट में चुनौती देंगे।
नवंबर 2014 में सतलोक आश्रम में पुलिस और रामपाल समर्थकों के बीच टकराव
हुआ था, इस दौरान 5 महिलाओं और एक बच्चे की मौत हो गई थी। इसके बाद आश्रम संचालक रामपाल पर हत्या के दो मामले दर्ज किए गए थे।
हत्या के दूसरे मामले में रामपाल भी रामपाल को दोषी पाया गया है. इस
मामले में रामपाल समेत 13 आरोपी थे इस मामले में सजा का ऐलान बुधवार को
होगा।
रामपाल पर पुलिस ने नवंबर 2014 में सात केस दर्ज किए थे। इसमें देशद्रोह,
हत्या, अवैध रूप से सिलेंडर रखने आदि मामले हैं। रामपाल इनमें से दो
केसों में बरी हो चुका है। इन दोनों केसों में पुलिस कोई पुख्ता सबूत पेश
नहीं कर सकी थी, जिस पर कोर्ट ने भी टिप्पणी की थी। एक मुकदमे से अदालत
ने रामपाल का नाम हटा दिया था, वहीं अब रामपाल दो हत्याओं के मामले में
दोषी करार दिया गया है। इसके बाद भी रामपाल के खिलाफ चल रहे तीन केस
लंबित पड़े हैं।
रोहतक के करौंथा गांव में बने सतलोक आश्रम की साल 1999 में हुई थी। संत
रामपाल खुद को कबीर पंथ का अनुयायी कहता था। उसके भक्तों के अनुसार वह
कबीर का ही अवतार है। रामपाल और कबीर पंथ के लोग मंदिर, मूर्ति पूजा,
छुआछूत, व्यभिचार और अभद्र गीत व डांस को भी बुरा मानते हैं।
रामपाल का असली नाम रामपाल सिंह जाटिन है। उसका जन्म सोनीपत जिले में
गोहना तहसील के धनाना गांव में हुआ था। उसके पिता नंद लाल एक किसान थे और
मां इंदिरा देवी एक गृहिणी थीं। रामपाल ने खुद निलोखेड़ी आईटीआई से
डिप्लोमा किया और सालों तक हरियाणा सरकार के सिंचाई विभाग में जूनियर
इंजीनियर के तौर पर काम भी किया। साल 1996 में उसने नौकरी छोड़ दी और
1999 में सतलोक आश्रम की स्थापना की। रामपाल के दो लड़के और दो लड़कियां
हैं।