बाबू लाल शास्त्री
टोंक । श्रावण शुक्ला पूर्णिमा के दिन भद्रा रहित एवं तीन मुहूर्त से अधिक उदयकाल व्यापिनी श्रावण शुक्ला पूर्णिमा के अपरांत या प्रदोष काल में रक्षाबंधन पर्व मनाया जाना शास्त्र सम्मत है। इस वर्ष श्रावण शुक्ला पूर्णिमा 26 अगस्त रविवार को सांय 5.26 बजे तक होने से तीन मुहूर्त से अधिक व्यापिनी है जो भद्रा रहित है। जिसका योग सम्पूर्ण दिन है। धनिष्ठा नक्षत्र दिन में 12.36 बजे तक है जो राजयोग कारक है।
जिसमें रक्षाबंधन का श्रेष्ठ समय प्रात: 7.42 से 9.18 तक चरका, 9.18 से 12.19 तक लाभ व अमृत का चौघडिय़ा है। तथा अभिजीत मुहूर्त 11.52 से 12.42 बजे तक है जो शुभाशुभ एवं श्रेष्ठ समय है। मनु ज्योतिष एवं वास्तु शोध संस्थान टोंक के निदेशक बाबूलाल शास्त्री ने बताया कि रक्षाबंधन त्यौहार बहिन-भाई के बंधन का है।

जिसमें दोपहर 2.4 बजे से 3.40 बजे तक शुभ का चौघडिय़ा सांयकाल 6.48 से रात्रि 8.13 बजे तक शुभ का रात्रि 8.13 से 9.38 तक अमृत का एवं रात्रि 9.38 से 11.3 बजे तक चरका चौघडिय़ा में बहनों द्वारा भाईयों को राखी बांधी जा सकती है।