कौमी एकता की मिसाल चीलंगी शाह का एक रोज उर्स आयोजित

Firoz Usmani
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Bhilwara News ( मूलचन्द पेसवानी ) –भीलवाड़ा जिले के बनेड़ा के नानुदिया गांव में कौमी एकता की मिसाल के नाम से विख्यात दरगाह पर एक दिवसीय उर्स का प्रोग्राम मुनकिद हुआ। दिन भर जायरीन का दरगाह पर जियारत करने का दौर जारी रहा और अकीदतमंद दरगाह पर चादर शरीफ चढ़ाकर अपनी मन्नतों को पूरी करते हुए नजर आए। बाद नमाज ईशा के महफिले मिलादुन्नबी का प्रोग्राम शुरू हुआ जो कि रात को 10 बजे तक चला। जिसमे बाहर से आए आलिमेदीन ने तकरीर के जरिये जायरीनों को बाबा की शान में लोगो को बताया।

इस दौरान महफिले कव्वाली का दौर शुरू हुआ जिसमें कपासन से आये कव्वाल सलीम साबरी, व कव्वाला आलिया इंडियन ने एक से बढ़कर एक कलाम नात शरीफ मनकबत पेश की। इस मौके पर कव्वाल आलिया इंडियन ने गरीब नवाज की शान में एक मनकबत पढ़ी- कुर्सी पर कोई भी हो राजा तो मेरा है ख्वाजा, प्रोग्राम में इस उर्स जेरे सरपरस्ती कर रहे सन्त अशोक बाबा गदीनशी डॉक्टर मुराद बाबा सादुल शहर, किसान कांग्रेस जिला अध्यक्ष राजेश जाट, पूर्व सरपंच भेरूलाल गुर्जर, मंजर आलम पेश इमाम कमालपूरा, थाना अधिकारी बनेड़ा, शक्तिसिंह राणावत, सदर मुंशी खान, रईस मोहम्मद शेख का खेड़ा डॉक्टर अरबाज खान सलमान खान एवं कव्वाल सलीम साबरी, कव्वाला आलिया इंडियन का दरगाह कमेटी की ओर से इस्तकबाल किया।

इस मौके पर दरगाह कमेटी के इकबाल खान सदर मुंशी का पप्पू का महमूद चाचा आरिफ भाई बरकत शेख इरशाद खान सलीम खान जावेद का चांद मोहम्मद मुन्ना भाई बबलू सेठ असलम भाई मोहम्मद हुसैन ने इस उसमें सारे इंतजाम को बखूबी काम को अंजाम दिया।

सुबह मजार शरीफ को गुस्ल दिया गया था इस मौके पर कव्वालों से हजरत अमीर खुसरो का मशहूर कलाम आज रंग है री मा रंग है री मेरे महबूब के घर रंग है री पढा जिस पर जायरीनों पर गुलाब जल का छिड़का गया। देश की एकता अखंडता की दुआ मांगी और बाद दुआ के तबरुक तकसीम कर इस एक रोजा उर्स का खत्म हुआ।

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Firoz Usmani Tonk : परिचय- पत्रकारिता के क्षेत्र में पिछले 15 वर्षो से संवाददाता के रूप में कार्यरत हुंॅ, 9 साल से राजस्थान पत्रिका ग्रुप के सांयकालीन संस्करण (न्यूज़ टुडे) में जिला संवाददाता के रूप से कार्य कर रहा हंू। राजस्थान पत्रिका न्यूज़ चैनल में भी अपनी सेवाएं देता रहा हूं। एवन न्यूज चैनल में भी संवाददाता के रूप में कार्य किया है। अपने पिता स्व. श्री मुश्ताक उस्मानी के सानिध्य में पत्रकारिता की क्षीणता के गुण सीखें। मेरे पिता स्व.श्री मुश्ताक उस्मानी ने भी 40 वर्षो तक पत्रकारिता के क्षैत्र में कार्य किया है। देश के कई बड़े न्यूज़ पेपर से जुड़े रहे। 10 वर्ष दैनिक भास्कर में ब्यूरों चीफ रहें।