दोनों चरण में लगभग एक दो सीट को छोडकर दोनो पार्टीयों के प्रत्याषियों में मानी जा रहा है बराबर की टक्कर
जयपुर। लोकसभा चुनाव के चार चरणों का मतदान संपन्न हुआ। वही प्रदेष में 12 सीटों पर मतदान हुआ। प्रदेश में लोकसभा का चुनाव निर्णायक दौर में है। हर चरण के मतदान के साथ हार-जीत का आकडा अलग है। जिन 12 सीटों पर मतदान है, उनमें से कुछ सीटें ऐसी हैं जिनपर मुकाबला कांटे का है। वही प्रदेश में 29 अप्रैल को पहले चरण की वोटिंग हो चुकी है, जिसमें प्रदेश की 25 में से 13 सीटों पर मतदान हुआ। राज्य में दूसरे चरण के लोकसभा चुनाव में कुल 2 करोड़ 30 लाख 68 हजार 868 मतदाता हैं। जो कि कुल 134 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करेंगे।
जयपुर लोकसभा सीट पर भाजपा के रामचरण बोहरा का मुकाबला कांग्रेस की ज्योति खंडेलवाल से है। ज्योति खंडेलवार वैश्य समाज से आती है लेकिन वो खुद को वैश्य उम्मदीवार के दायरे में नहीं रखना चाहती है। उधर रामचरण बोहरा पर पार्टी ने एक बार फिर भरोसा जताते हुए उन्हे टिकट दिया है। बोहरा का टिकट इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि साल 1984 के बाद अब तक हुए नौ चुनाव में जयपुर संसदीय सीट से कोई गैर ब्राह्मण प्रत्याशी चुनाव नहीं जीता। वही जयपुर में 67. 97 प्रतिषत मतदान हुआ है।
जयपुर ग्रामीण लोकसभा सीट भाजपा ने केंद्रीय मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ पर भरोसा जताया है तो कांग्रेस ने अपनी विधायक कृष्णा पूनिया पर दांव खेला है। दोनों प्रत्याशियों में एक समानता भी हैं कि ये दोनों ही अंतरराष्ट्रीय खेलों में देश का प्रतिनिधित्व करने के साथ पदक भी जीत चुके हैं। वहीं इन दोनों ने राजनीति में भी एक ही साथ यानी वर्ष 2013 में कदम रखा था। इस सीट पर राज्यवर्धन सिंह राठौड़ का यह दूसरा चुनाव है। 2014 के चुनाव में उन्होंने यहां से प्रदेश कांग्रेस के कद्दावर नेता सीपी जोशी को हराया था। विश्लेषकों की मानें तो कृष्णा पूनिया की वजह से इस बार क्षेत्र के अधिकतर जाट वोट कांग्रेस के खाते में जाएंगे। लेकिन फिर भी जीत का आकडा राज्यवर्धन सिंह के खाते में जाता है। 64.94 प्रतिषत मतदान हुआ है।
दौसा लोकसभा सीट एकमात्र ऐसी सीट है जहां भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों ने महिला प्रत्याशियों पर दांव खेला है। कांग्रेस ने यहां सविता मीणा को अपना प्रत्याशी बनाया है तो भाजपा ने पूर्व केन्द्रीय मंत्री जसकौर मीणा को मैदान में उतारा है। सविता मीणा विधायक मुरारीलाल मीणा की पत्नी है। मुरारीलाल पूर्व में गहलोत सरकार में मंत्री रह चुके है। भाजपा जसकौर मीणा पूर्व सवाई माधोपुर से दो बार सांसद रह चुकी है। जिसके कारण दोनो में मुकबला कडा माना जा रहा है। 61.31 प्रतिषत मतदान हुआ है।
अलवर लोकसभा सीट कांग्रेस के भंवर जितेंद्र सिंह को मैदान में उतारा है तो भाजपा ने महंत चांदनाथ के शिष्य बाबा बालकनाथ पर दांव खेला है। मेव और यादव बाहुल्य इस सीट पर जाति आंकड़ें और जातियों के हिसाब से प्रत्याशी बहोत महत्व रखते है, हालांकि भंवर जितेंद्र सिंह का इस सीट पर खासा प्रभाव है लेकिन 2014 में मोदी लहर पर सवार होकर महंत चांदनाथ लोकसभा पहुंच गए। इस बार जितेंद्र सिंह पहले से ज्यादा कांफिडेंट नजर आ रहे है। 66.77 प्रतिषत मतदान हुआ है।
भरतपुर लोकसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। यहां से भाजपा ने रंजीता कोली और कांग्रेस ने अभिषेक कुमार जाटव को मैदान में उतारा है। दोनों ही पार्टियों के विनिंग ऐवरेज में कोई खास अंतर नहीं है। यहां से अगर सात बार कांग्रेस जीती है तो पांच बार भाजपा ने भी जीत दर्ज की है। इस सीट पर जाति समीकरण खासा असर डालते है। मुकबला कडा माना जा रहा है। 58.66 प्रतिषत मतदान हुआ है।
करौली-धौलपुर लोकसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। यहां पर भाजपा ने मौजूदा सांसद डॉ. मनोज राजोरिया पर भरोसा जताया है। राजोरिया भाजपा के टिकट पर लगातार तीसरी बार लोकसभा के जंग का मुकाबला अब कांग्रेस के युवा चेहरे संजय कुमार जाटव से होगा। यहां पर अनुभव बनाम युवा का मुकाबला है।
वही यहा पर 54.97 प्रतिषत मतदान हुआ है। प्रदेष में सबसे कम मतदान का प्रतिषत यहा ही रहा है।
नागौर -वही प्रदेष की हाई वोल्टेज सीट नागौर पर कांग्रेस की ज्योति मिर्धा और एनडीए के हनुमान बेनीवाल के बीच मुकाबला है। बेनीवाल एक गर्म मिजाज नेता के तौर पर पहचान रखते है तो ज्योति मिर्धा एक तेज तर्राट नेता मानी जाती है। ऐसे में वोटरों में इनका मुकाबला देखने की दिलचस्पी कुछ ज्यादा है। ज्योति मिर्धा पर बेनीवाल ने बाहरी का तंज कसा तो जवाब में ज्योति ने बाहरी की बात को गलत बताया। ज्योति ने कहा कि पार्टी ने लगातार जिसे तीसरी बार टिकट दिया है तो वह बाहरी कैसे हो सकता है। तो वहीं ज्योति ने भी हनुमान पर लोगों को लड़ाने का तंज कसा। वही 62.13 प्रतिषत मतदान हुआ है।
श्रीगंगानगर लोकसभा सीट पर भाजपा ने एक बार फिर निहालचंद मेघवाल पर दांव खेला है। वहीं, कांग्रेस ने भरतराम मेघवाल को टिकट दिया। दोनों ही इस सीट से पहले भी सांसद रह चुके हैं। इस सीट पर हुए 15 चुनाव में कांग्रेस ने 9 बार जीत हासिल की। वहीं भाजपा सिर्फ 4 बार ही जीत दर्ज कर पाई है। खास बात ये है कि चारों बार भाजपा से निहालचंद ही सांसद बने हैं, जो अब पांचवी बार अपनी किस्मत आजमां रहे हैं। परिसीमन के बाद सीट को एससी के लिए आरक्षित कर दिया गया। वही इस सीट पर प्रदेष में सबसे ज्यादा वोटिग हुई है। जिसमें 74.32 प्रतिषत मतदान हुआ है।
बीकानेर सीट पर भाजपा प्रत्याशी और केंद्रीय राज्यमंत्री अर्जुनराम मेघवाल के लिए इस बार कांग्रेस प्रत्याशी मदनगोपाल मेघवाल के खिलाफ चुनाव जीतने की तगड़ी चुनौती है। बीकानेर के चुनावी समर में अर्जुनराम मेघवाल के मदन गोपाल मेघवाल मौसेरे भाई हैं। साइकिल से संसद जाने वाले अर्जुनराम आईएएस रहे हैं, तो उनके मौसेरे भाई पूर्व आईपीएस हैं। अर्जुनराम ने 2014 में मोदी लहर में लगातार दूसरी बार रिकॉर्ड मतों से चुनाव जीता था। वहीं, मदन गोपाल पहला चुनाव लड़ रहे हैं। मदन गोपाल के सामने तीन लोकसभा चुनाव से लगातार हार रही कांग्रेस का परचम फिर से लहराने की चुनौती है। वही बीकानेर में लगातार मेघवाल का विरोध भी हुआ है। ऐसे में दोनो के बीच कडा मुकाबला माना जा रहा है। वही 59.87 प्रतिषत मतदान हुआ है।
चूरू लोकसभा सीट पर भाजपा ने एक बार फिर राहुल कस्वां को उम्मीदवार बनाया है, वहीं कांग्रेस ने रफीक मंडेलिया को उतारा है। चूरू लोकसभा सीट भाजपा का गढ़ माना जाता है। 1977 से हुए 11 चुनावों में भाजपा ने पांच बार तो कांग्रेस ने केवल तीन बार यहां से जीत दर्ज की है। पिछले चार चुनाव यानी साल 1999 से यहां भाजपा ने लगातार जीत दर्ज की है। साथ 1999 से यहां एक ही परिवार का कब्जा है। बता दें कि चूरू संसदीय सीट का स्वतंत्र रूप से गठन 1977 में हुआ था। उस चुनाव में यहां पर भारतीय लोकदल के दौलतराम सारण यहां से सांसद चुने गए थे। वही दोनो में कडा मुकाबला माना जा रहा है। 65.85 प्रतिषत मतदान हुआ है।
झुंझुनू लोकसभा सीट पर कांग्रेस और भाजपा दोनों ने प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया है, क्योंकि कांग्रेस ने ओला परिवार का टिकट काटकर पूर्व विधायक श्रवण कुमार को दिया है। वहीं भाजपा ने मौजूदा सांसद संतोष अहलावत का टिकट काटकर मंडावा विधायक नरेंद्र खीचड़ को उतारा है। इस सीट के इतिहास पर नजर डाले तो आजादी के बाद से अब तक यहां 15 लोकसभा चुनाव हुए हैं। जिसमें कांग्रेस ने 9 बार जीत हासिल की है। 2014 में मोदी लहर को छोड़ दिया जाए तो ये सीट कांग्रेस का गढ़ रहा है। दोनो के बीच कडा मुकाबला माना जा रहा है। 62.25 प्रतिषत मतदान हुआ है।
सीकर लोकसभा सीट पर भाजपा ने सुमेधानंद सरस्वती को लगातार दूसरी बार उम्मीदवार बनाया। वहीं उनके सामने कांग्रेस ने सुभाष महरिया को चुनाव मैदान में उतारा है। हालांकि सुभाष पुराने भाजपाई हैं। वे लगातार भाजपा के टिकट पर तीन बार सांसद चुने गए हैं। हाल ही में कांग्रेस में शामिल हुए हैं। सीकर लोकसभा सीट पर साल 1952 से हुए 16 लोकसभा चुनाव में से सात बार कांग्रेस तो चार बार भाजपा ने जीत दर्ज की है। सीकर में कांग्रेस का पलड़ा भारी रहा है। हालांकि पिछले चुनाव में सुमेधानंद सरस्वती ने मोदी लहर में चुनाव जीता था। वही इस बार भी दोनो में बराबर टक्कर मानी जा रही है। यहा पर 64.45 प्रतिषत मतदान हुआ है।
गोरतलब है कि पहले चरण में 13 लोकसभा सीटों पर लगभग आधी सीटे हॉट सीट बनी हुई थी। वही इस पहले प्रथम चरण के मतदान में जोधपुर लोकसभा सभी सबसे हॉट रही। इस सीट से मुख्यमंत्री अषोक गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत और भाजपा की ओर से पूर्व केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह षेखावत चुनावी मैदान में है। वही इन दोनो के बीच कडा मुकाबला माना जा रहा है। वही दसूरी हॉट सीट में बारा – झालावाड से पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के पुत्र दुष्यन्त सिंह और कांग्रेस के प्रमोद षर्मा चुनावी मैदान में थे।
वही राजसमन्द सीट से जयपुर की राजकुमारी और पूर्व विधायक दीया कुमारी और कांग्रेस के देवकीनंदन के बीच सीधा मुकाबला माना जा रहा है। बाडमेर लोकसभा सीट पर पूर्व विदेष मंत्री जसंवत सिंह के पुत्र मानवेन्द्र सिंह और पूर्व विधायक और भाजपा किसान मोर्चा के प्रदेषाध्यक्ष कैलाष चौधरी से सीधी टक्कर मानी जा रही है। टोक – सवाईमाधोपुर में भाजपा के सुखवीर जोनपुरिया और कांग्रेस के नमोनारायण मीणा की बीच सीधा मुकाबला माना जा रहा है।
वही पाली में पूर्व केन्द्रीय मंत्री पीपी चौधरी और कांग्रेस के बद्री जाखड के बीच कडी टक्करमाना जा रही है। वही 2014 में ये सभी सीटे भाजपा के खाते में थी लेकिन अब देखना ये होगा की इन सभी सीटों पर भाजपा बरकरार रहती है या फिर कांग्रेस के खाते में जाती है।
लेकिन प्रथम चरण के बडे मतदान के बाद ऐसा चर्चाओं में है कि ये सभी सीटे लगभग एक बार फिर से भाजपा के खाते में आ सकती है। प्रदेश में शाम 6 बजे तक टोक सवाई माधोपुर में 62.62, अजमेर में 67.22, पाली में 61.97, जोधपुर में 68.07 बाड़मेर में 73.48, जालोर में 65.70, उदयपुर में 67.95, बांसवाड़ा में 72.10, चित्तौड़गढ़ में 72.33, राजसमंद में 64.08, भीलवाड़ा में 65.84, कोटा में 68.78, झालावाड़ बारां में 71.54 प्रतिशत मतदान हो चुका है।