लग्जरी कारों से अधिक महंगे घोडे, जीत की कीमत डेढ करोड, पुष्कर बना घोड़ों की मंडी, मारवाडी घोड़ों की मांग

Dr. CHETAN THATHERA
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पुष्कर/(दिनेश पाराशर)/ मारवाड़ी नस्ल के घोड़ों की मांग देश ही नहीं विदेशों तक भी होने लगी है और दबंग खान सलमान खान और रिलायंस न्यू मारवाड़ी नस्ल के घोड़ों की कीमतों में उछाल ला दिया पुष्कर मेला घोड़ों की बिक्री की सबसे बड़ी मंडी बन गई है

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मारवाड़ी घोड़ो की ताकत, रफ्तार और सुन्दरता के साथ-साथ कदकाठी का हर कोई दीवाना है। यही कारण है की पुष्कर में रोज करोड़ो रूपये का कारोबार हो रहा है । पुष्कर के प्रसिद्ध मेले में भी मारवाड़ी और काठियावाड़ी नस्ल के घोडे़ बिकने के लिए बड़ी तादाद में आए हैं। जीत ओर शमशेर नाम का घोड़ा मेले में चर्चा का विषय बने हुए लोगदिन भर देखने के लिए आ रहे है ओर खरीदार भी आ रहे है ।

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जीत व शमशेर घोड़ों खा खर्च BMW कारषके एक माह के खर्च से भी अधिक

ललना गांव से आया जीत नाम का घोडा अपनी कद काठी से सभी का मन मोह रहा है वही शमशेर नाम का घोडा रिलायंस के अनिल अंबानी के दाना नाम के घोड़े की नस्ल का है इन घोड़ो की कीमत, ऑडी की अपकमिंग कार ऑडी क्यू-3 से थोड़ी ही कम है, लेकिन इसका मेंटेनेंस यानी एक महीने का खर्च लग्जरी कार BMW और मर्सिडीज से भी ज्यादा है। शमशेर पर उसका मालिक महीने में 40 हजार रुपए से ज्यादा खर्च करता है। शमशेर की एक और खास पहचान है, उसके पिता दाना नाम का घोड़ा जो कि देश के सबसे अमीर उद्योगपति अनिल अंबानी के पास है।

शमशेर खुराक

शमशेर की देखभाल कर रहे अनुपम उर्फ बंटी टंडन ने बताया कि आम दिनों में इसे चने की चूरी, जौ का दलिया, चापड़, विटामिन, कैल्शियम, ब्रूटोन, मूंगफली के पत्ते, ज्वार की कुट्टी, बाजरे की कुट्टी खिलाई जाती है। इसके अलावा सर्दी में तिल का कुट्टा, अलसी, तारामीरा, पंजाब का दाना जई और बाजरा भी खिलाया जाता है। ऐसी देशी डाइट से ही इसमें ताकत आती है।

अंबानी के पसंदीदा घोड़े दाना का बेटा है शमशेर

अनुपम उर्फ बंटी टंडन का दावा है कि जाने माने उद्योगपति अनिल अंबानी के पास जो दाना नाम का घोड़ा है वो मारवाड़ी नस्ल का है। शमशेर दाना और अल्फा का ही बेटा है। अंबानी ने इसे पंजाब के बोलू बाबा से खरीदा था। दाना आज अंबानी की घुड़शाला में है।

खूबसूरती और ताकतवर होने के कारण डिमांड ज्यादा

अनुपम उर्फ बंटी टंडन ने बताते हैं कि खुराक अच्छी होने के कारण खर्चा भी ज्यादा होता है, लेकिन खूबसूरती और ताकत के कारण पंजाब और हरियाणा में इन घोड़ों की खास डिमांड रहती है। मारवाड़ी घोडे़ का उपयोग राजा-महाराजा युद्ध के समय करते थे, इसलिए कहा जाता है कि इन घोड़ों के शरीर में राजघराने का लहू दौड़ता है। मारवाड़ी नस्ल के घोड़े राजस्थान के मारवाड़ में पाए जाते हैं। यही इनकी जन्मस्थली भी है।

जीत घोड़ों का खासियत

इसी प्रकार जीत नामक घोड़े को देख रहे मोहन सिंह शेखावत ने बताया कि जीत नागौर,जोधपुर मेले में विजेता रह चुका है और उसकी सुंदरता और स्वामी भक्ति के लिए पहचान है । जब राजमहाराजाओ के पास खाने के लाले पड़े तब भी राजस्थान के महाराजो ने इनः घोड़ो की नस्ल को बचाकर रखा जिसकी बजह से आज ये घोड़े पूरे विश्व मे प्रसिद्ध ओर महंगे है ।

मारवाडी घोड़ों की खासियत

मारवाड़ी घोड़ों की लंबाई 130 से 140 सेमी. और ऊंचाई 152 से 160 सेमी. होती है। 22 सेमी. के चौड़े फेस वाले ये घोड़े काफी ताकतवर होते हैं। महाराणा प्रताप का घोड़ा चेतक भी मारवाड़ी नस्ल का बताया जाता है। पुलिस और सेना के साथ खेल प्रतियोगिताओं में भी इसी नस्ल के घोड़ों का चलन है। इन घोड़ों की कीमत भी ज्यादा होती है। यह भारत में सबसे अव्वल दर्जे का घोड़ा है।

क्या कहते है विशेषज्ञ

पशु विशेषज्ञ डॉ. नवीन परिहार बताते हैं मारवाड़ी और काठियावाड़ी शुद्ध नस्ल के घोडे़ होते हैं। इनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता अन्य घोड़ों के मुकाबले ज्यादा होती है। यह मौसम बदलाव के साथ भी बीमार कम पड़ते हैं। यही वजह है कि ये कई विपरीत परिस्थितियों में भी खुद को ढाल लेते हैं।

डेढ करोड, लेकिन बेचेंगे नहीं

पशु मेले में एक डेढ़ करोड़ रुपए और पचास लाख की कीमत के घोडे़ भी आए। जीत नाम के घोडे़ की कीमत डेढ़ करोड़ और गजराज नाम के घोडे़ की कीमत पचास लाख रुपए बताई जा रही है, लेकिन मालिकों ने इनको बेचने के लिए इनकार किया है।

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एक व्यपारी यशपाल जो के मेरठ ओर जयपुर के पास अपना घुड़साल चलाते है उन्होंने बताया कि पुष्कर मेले से एक घोडा तो खरीद लिया एक ओर लेना है । यह देव प्राणी है जिसके पास भी रहता है उसके लिए बहुत उपयुक्त है । भगवान सूर्य की कृपा भी घोड़ो पालने वाले पर हो जाती है ।

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चेतन ठठेरा ,94141-11350 पत्रकारिता- सन 1989 से दैनिक नवज्योति - 17 साल तक ब्यूरो चीफ ( भीलवाड़ा और चित्तौड़गढ़) , ई टी राजस्थान, मेवाड टाइम्स ( सम्पादक),, बाजार टाइम्स ( ब्यूरो चीफ), प्रवासी संदेश मुबंई( ब्यूरी चीफ भीलवाड़ा),चीफ एटिडर, नामदेव डाॅट काम एवं कई मैग्जीन तथा प समाचार पत्रो मे खबरे प्रकाशित होती है .चेतन ठठेरा,सी ई ओ, दैनिक रिपोर्टर्स.कॉम