माहे रमजान शुरू नमाज़े इशा बाद तरावीह की विशेष नमाज शुरू

liyaquat Ali
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शुक्रवार से होगा पहला रोज़ा
टोंक।  (फिरोज़ उस्मानी)। चांद दिखाई देने के बाद आज से रमजान का पवित्र माह शुरू हो गया है, जिलेभर में मुस्लिम एक माह तक रोजे रखकर अल्लाह की इबादत करेंगे। इशा की नमाज के बाद से ही तरावीह की विशेष नमाज भी शुरू हो जाएगी। इसके लिए मस्जिदों में भी विशेष इतंजाम किए गए है। माहे रमजान का पहला रोजा शुक्रवार से शुरू हो जाएगा। जिले में तकरीबन 250 मस्जिदें हैं, जिसमें से अधिकांश में हाफिज रमजान माह में तरावीह की नमाज अदा कराते हैं। रियासत काल में भी करीब 180 मस्जिदें थी। यहां की मस्जिदों के  अलावा हाफिज जिले, राज्य एवं राज्य के बाहर एवं विदेश तक में कुरआन सुनाने जाते हैं।

तरावीह की नमाज अदा कराने विदेश तक जाते है

इसके साथ ही टोंक शहर के कई हाफिज देश के हिस्सों में तरावीह की नमाज अदा कराए जाने के लिए रवाना हो गए है। टोंक के हाफिज रमजान माह में तरावीह की नमाज अदा कराए जाने के लिए विदेशों तक जाते हैं। एक जमाने में टोंक का मुकाम देश भर में मज़हबी शिक्षा के एतेबार से अहम रहा है।

टोंक शहर में दो से ढाई हजार हाफिज होंगे। जिसमें से कई जिले के बाहर भी तरावीह की नमाज पढ़ाए जाने के लिए जाते हैं। वर्तमान में भी प्रतिवर्ष तकरीबन 50 तालिबे इल्म कुरआन हिफ्ज कर लेते हैं। रियासत काल में हाफिजों (कंठस्थ कुरआन पढने वाले) की तादाद इतनी हुआ करती थी कि हिंदुस्तान में टोंक का नाम पहले नम्बर पर आता था।  यहां के कई मदरसों में तो विदेशों तक से तालिबे इल्म दीनी तालीम के लिए आया करते थे। रियासत काल में मुस्लिम आबादी वाले क्षेत्र में हर तीन-चार घरों में से कम से कम एक हाफिज जरुर हुआ करता था। कई खानदानों एवं परिवारों में तो औरतों सहित घर के मर्द सभी हाफिज हुए। आज भी कई परिवारों में हाफिज बनने की परम्परा पीढ़ी दर-पीढ़ी चली आ रही है। शहर के कई मदरसों में कुरआन हिफ्ज कराया जाता है।

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