पीपलू (ओपी शर्मा) पत्थर व बजरी खनन पर न्यायालय ने भले ही रोक लगा रखी है, लेकिन राजस्थान के टोंक जिले में धड़ल्ले से बजरी व पत्थर खनन और परिवहन का खेल चल रहा है. बजरी पत्थर खनन की रोकथाम का भार जिनके कंधों पर है, वे प्रशासन ही बजरी माफियाओं से सांठगांठ कर अवैध बजरी खनन को बढ़ावा दे रहे हैं. इसके चलते बजरी से ओवरलोड वाहन जिले की सड़कों पर बेरोकटोक सरपट दौड़ रहे हैं. टोंक जिले के सोहेला बनास नदीं क्षेत्र से बजरी व सोहैला वन नाका क्षेत्र से पत्थरों का खनन जोर शोर से शुरू है । जिसको प्रशासन खुली आखों से देख रहा है ।
प्राप्त जानकारी अनुसार क्षेत्र मे हो रहे निर्माण कार्या मे पत्थर व बजरी का उपयोग जोर शोर से शुरू है सोहेला पटवार घर के पास निर्माणाधिन प्लाट पर पत्थर व बजरी के ढेर खुली आखों से देखें जा सकते है जहां रात दिन पटवार घर मे उपखंड अधिकारी, तहसीलदार सरकारी कार्य से आते जाते रहते है व बजरी व पत्थर का रवन्ना देखने की जहमत तक नही उठाते बरोनी पुलिस की सोहेला चोकी व वन नाका मात्र 500मीटर की दूरी पर मौजूद है। लेकिन उपखंड अधिकारी, तहसीलदार, पटवारी गिरदावर, वन विभाग,पुलिस विभाग आखंमूद कर हाथ पर हाथ धरे बैठे हुएं है ।जिससे खनिज की चोरी करते हुए शासन को राजस्व की चपत लगाई जा रही है।
इनका कहना है –
मौका रिपोर्ट बनाकर कार्रवाही की जायेगीं। (गौरव अग्रवाल जिला कलेक्टर, टोंक)
इनका कहना है –
पटवार घर के पास निर्माणाधिन प्लाट पर अवैध बजरी,पत्थर पर कार्रवाही की जायेगीं । (रवि वर्मा, उपखंड अधिकारी ,पीपलू)