सीकर जिले से वामपंथ रसातल मे जाता नजर आ रहा है ,एक भूल अनेक दफा किमत मांगने लगती है

liyaquat Ali
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Sikar News /  अशफाक कायमखानी।वामपंथ का मजबूत किला कहलाने वाले सीकर जिले मे एक एक दफा कामरेड त्रिलोक सिंह व कामरेड पेमाराम के विधायक बनने के अलावा चार दफा कामरेड अमरा राम के विधायक बनने के साथ साथ माकपा के संगठन के तौर पर जिले से प्रोफेसर माटोलिया व कामरेड अमरा राम के राज्य सचिव का पद पाने के बावजूद अब लगता है कि वामपंथ सीकर जिले मे काफी कमजोर होकर रसातल मे जाता साफ नजर आ रहा है।

जिले की धोद पंचायत समिति कि प्रधान पद पर पहले अनेक दफा माकपा का कब्जा रहने के बावजूद सीकर जिले की कुल बारह पंचायत समितियो के कुल 310 वार्ड के आज आये चुनाव परिणाम मे माकपा के विजयी होने वाले उम्मीदवारों मे दो दांतारामगढ़, एक पलसाना व छ धोद से है। यानि कुल 310 वार्डस मे मात्र 09 नो वार्ड मे लाल परचम फहराया जा सका है।

हालांकि कामरेड अमरा राम को संघर्ष की मूर्ति माना जाता है। मुद्दे की पहचान करके आंदोलन करके जनता का ध्यान आकर्षित करने मे पूर्व विधायक अमरा राम को माहिर माना जाता है। लेकिन दो साल पहले हुये विधानसभा चुनाव मे कांग्रेस उम्मीदवारों के लिये पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुभाष महरिया द्वारा जी तोड़ मेहनत करके उन्हें विजयी बनाने मे प्रमुख भूमिका अदा करने से कामरेड अमरा राम को दांतारामगढ़ से व कामरेड पेमाराम को धोद से हार का मुंह देखना पड़ा था। इन दोनो की हार का कारण कांग्रेस नेता सुभाष महरिया को वामपंथी कार्यकर्ताओं ने समझ कर लोकसभा चुनाव मे इन्हीं वामपंथी कार्यकर्ताओं ने अपनी खीझ मिटाने के लिये माकपा उम्मीदवार अमरा राम की बजाय महरिया को हराने के लिये अनेक जगह सीधे भाजपा उम्मीदवार सुमेधानंद के पक्ष मे मतदान कर गये। इन कार्यकर्ताओं को अमरा राम भाजपा के पक्ष मे मतदान करने से रोक नही पाये। लोकसभा मे जिन वामपंथ समर्थक मतदाताओं ने भाजपा के पक्ष मे मतदान किया था। उनमे से अधीकांश मतदाता तब से भाजपा के चिपक कर सत्ता का रस पीने लगने के कारण ही जिले मे वामपंथ आज रसातल मे जाता नजर आ रहा है।

कुल मिलाकर यह है कि वामपंथी नेताओं को अगर जिले मे रसातल से निकलकर फिर से राजनीति की मेनस्ट्रीम मे आना है तो उन्हें अपनी रणनीति पर पून:विचार करके नये तोर पर प्लानिंग करने पर विचार करना होगा। अन्यथा धीरे धीरे वो जिले की राजनीति मे अर्थहीन बनकर रह जायेगे।

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