प्रवासी परिंदों ने डाला डेरा, कलरव से गुंजा डूंगला

Dr. CHETAN THATHERA
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Chittorgarh News। चित्तौड़गढ़ जिले के डूंगला क्षेत्र के पक्षी विहार किशन करेरी तालाब में शीत प्रवासी पक्षियों ने अपना डेरा डाल दिया है। इन दिनों सर्दी बढ़ने के साथ ही बड़ी संख्या में मेहमान परिंदे इस तालाब पर पहुंच चुके है व सुबह शाम परिंदो की अठखेलियों को देखने पक्षी प्रेमी पहुंच रहे हैं।

ग्रे लेग

प्रवासी पक्षियों कि बढ़ती संख्या देख पक्षी प्रेमियां में ख़ुशी की लहर हैं। वहीं, स्थानीय संगठन ग्रीन अर्थ नेचुरल सोसाइटी किशन करेरी द्वारा इन पक्षियों की संख्या का आंकड़ा भी दर्ज किया जा रहा है। यहां सारस पक्षी प्रतिवर्ष प्रजनन करते हैं जिसके चलते इनके परिवार में छोटे छोटे नए मेहमान भी आये हैं जिनको देखने के लिए पक्षी प्रेमी कई घंटो तक अपना समय इस तालाब पर बिता रहे हैं। यहां सुर्खाब, ग्रे लेग गूज़, बार हेडेड गूज़, नॉर्थेर्न पिनटेल, नॉर्थेर्न शॉवलर, ग्रेट कस्टर्ड ग्रीब, कॉमन टील, कॉमन पोचार्ड, गेडवाल, टुफ्टेड डक, यूरेशियन विज़न, गार्गेनि, कॉम्ब डक, लेज़र विस्टलिंग डक, स्पॉटबिल्ड डक, पर्पल स्वैम्पहेन, यूरेशियन स्पूनबिल, लिटिल ग्रीब सहित कई प्रजातियों के पक्षी आसानी से देखे जा सकते है।

किशन करेरी तालाब पक्षी एवं पर्यावरण की कृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। इस तालाब पर भोजन पर्याप्त मात्रा में मिलना व आवास और सुरक्षा की कृष्टि से महफूज होना ही इन परिंदो के यहाँ ठहरने का मुख्य कारण हैं। इस तालाब के संरक्षण का पूर्ण जिम्मा स्थानीय संगठन ग्रीन अर्थ नेचुरल सोसाइटी ने उठा रखा है। सोसाइटी के सदस्यों ने बताया की इस तालाब पर अवैध खनन, पेड़ो की अवैध कटाई व् शिकार पर पूर्ण पाबन्दी लगाई गई साथ ही बाहरी पक्षियों के लिए फलदार, फूलदार व छायादार पौधे लगाए गए हैं। यहां मछली ठेका भी नहीं होता है व इस तालाब का पानी पशु व पक्षियों के लिए ही आरक्षित हैं।

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चेतन ठठेरा ,94141-11350 पत्रकारिता- सन 1989 से दैनिक नवज्योति - 17 साल तक ब्यूरो चीफ ( भीलवाड़ा और चित्तौड़गढ़) , ई टी राजस्थान, मेवाड टाइम्स ( सम्पादक),, बाजार टाइम्स ( ब्यूरो चीफ), प्रवासी संदेश मुबंई( ब्यूरी चीफ भीलवाड़ा),चीफ एटिडर, नामदेव डाॅट काम एवं कई मैग्जीन तथा प समाचार पत्रो मे खबरे प्रकाशित होती है .चेतन ठठेरा,सी ई ओ, दैनिक रिपोर्टर्स.कॉम