कामिनी और रुचि जैन बहनों ने संगीत की दुनिया में मचाया धमाल यूट्यूब पर बढ़ रहे हैं फॉलोअर्स

Dr. CHETAN THATHERA
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Bharatpur News /राजेन्द्र शर्मा जती । भरतपुर में कुछ ही समय में संगीत की दुनिया में जैन बहनों ने अपना अलग ही मुकाम बना लिया है। कामिनी जैन और रूचि जैन भरतपुर में जैन सिस्टर्स के नाम से मशहूर हो गई है। कामिनी जैन जहां बहुत अच्छा गाती है साथ ही हारमोनियम बजाती है वहीं उनकी छोटी बहन रूचि जैन गाने के साथ साथ
बहुत बढिया तबला बजाती है।

यू ट्यूब पर दोनों बहनों ने धूम मचा दी है। उनके भजनों के व्यूअर्स की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। अपनी इस
कामयाबी का श्रेय दोनों जैन बहने अपने परिवार को देती है।
जैन सिस्टर्स के नाम से मशहूर कामिनी जैन और रूचि जैन ने बताया कि वैसे तो शादी से पहले ही उनकी संगीत में काफी रूचि थी। लेकिन शादी के बाद घर की जिम्मेदारियों के चलते उनके संगीत पर विराम लग गया था। जिसके बाद एक
बार फिर से परिवार के प्रोत्साहन के बाद यह मुकाम पाया है। रूचि जैन ने बताया कि उन्होने 9 वीं कक्षा से ही तबला की शिक्षा ली थी।

स्नातक परीक्षा भी तबले से की है। लेकिन शादी के बाद घर गृहस्थी में कुछ सालों के लिए उन्होने संगीत को भुला ही दिया था। रूचि जैन के पति नीरज जैन उनके संगीत के हुनर शौक को जानते थे। पति के प्रोत्साहन पर रूचि जैन ने शादी
के करीब 15 साल बाद संगीत की दुनिया में दुबारा कदम रखा।

नीरज जैन ने अपनी पत्नि को तबला विद्या को आगे बढाने के लिए प्रेरित किया और खुद उन्हैं उस्ताद गबरू खान के पास संगीत की शिक्षा के लिए लेकर गए। वहां संगीत की शिक्षा लेते लेते रूचि जैन को लगा कि उन्है तबला में डिग्री लेनी चाहिए। जिसके बाद उन्होने प्रभाकर की डिग्री ली। इसी दौरान उन्होने
अपनी बहन कामिनी जैन को भी संगीत में वापस कुछ करने के लिए प्रोत्साहितकिया। कामिनी जैन बताती है कि संगीत का शौक तो उन्है भी अपनी बहन की तरहबचपन से ही था। उन्होने बताया कि उनकी मां को भी संगीत का शौक था। मां कईभजन लिखती थी। वहीं भजन हम दोनों बहने गाती थी।

शादी के बाद घर गृहस्थी की जिम्मेदारी के बाद संगीत थोडा पीछे छूट गया। लेकिन शादी के 18 साल बाद जब छोटी बहन रूचि ने संगीत में वापस कुछ करने के लिए प्रोत्साहित किया।
जिसके बाद उनके पति कुमार पाल जैन ने भी उन्है संगीत में कुछ करने के लिए प्रेरित किया। जिसके बाद रूचि के कहने पर सुरताल कला केन्द्र पर वापस संगीत का रियाज शुरू किया। जिसके बाद अपने संगीत के सपने को मन में दबाए
बैठी कामिनी जैन के भी संगीत का सफर दुबारा शुरू हो गया। दोनों बहने बताती है उनके परिवार का काफी सहयोग मिला है जिसके चलते आज वे इस मुकाम पर पंहुची है वे कहती हैं कि संगीत के क्षेत्र में साथ काम करने पर उन्है ताकत मिलती है। उनका सपना है कि देश के साथ साथ विदेश में भी प्रस्तुति
देने का मौका मिले। वहीं सुरताल कला केन्द्र के निदेशक अमित दीक्षित ने भी दोनों बहनों के संगीत के टैलेन्ट को पहचाना। कुछ ही समय में दोनों बहनों ने संगीत में महारत हासिल कर ली।

दोनों बहनों के टेलेन्ट को देख अमित दीक्षित ने दोनों को जैन सिस्टर्स का नाम दिया। जिसके बाद दोनों जैन सिस्टर्स के भजनों को यूटयूब पर प्रसारित किया गया। यूट्यूब पर भजन
प्रसारित होते ही उनके व्यूअर्स की संख्या में काफी तेजी से इजाफा हो गया। इसके साथ साथ दोनों जैन सिस्टर्स का आत्मविश्वास भी सातवें आसमान पर
पंहुचने लगा। दोनों बहनें जैन मन्दिर में होने वाले धार्मिक आयोजनों में
भजन गाने लगी। जैन सिस्टर्स के जैन भजन मंत्र णमोकार…प्राणों से प्यारा
हैं को दर्शकों ने बेहद सराहा है। रूचि जैन और कामिनी जैन का कहना है कि
अभी बहुत कुछ सीखना है और आगे बढना है। दोनों बहनों ने जैन समाज के
कार्यक्रम में भरतपुर, अलवर, आगरा और जयपुर में कई बार प्रस्तुतियां दी
है। उनकी प्रस्तुतियों को लोग काफी सराह रहै है। रूचि जैन आगरा के सबसे
बडे ताज महोत्सव में दो बार प्रस्तुति दे चुकी है।

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चेतन ठठेरा ,94141-11350 पत्रकारिता- सन 1989 से दैनिक नवज्योति - 17 साल तक ब्यूरो चीफ ( भीलवाड़ा और चित्तौड़गढ़) , ई टी राजस्थान, मेवाड टाइम्स ( सम्पादक),, बाजार टाइम्स ( ब्यूरो चीफ), प्रवासी संदेश मुबंई( ब्यूरी चीफ भीलवाड़ा),चीफ एटिडर, नामदेव डाॅट काम एवं कई मैग्जीन तथा प समाचार पत्रो मे खबरे प्रकाशित होती है .चेतन ठठेरा,सी ई ओ, दैनिक रिपोर्टर्स.कॉम