Bharatpur News। एमबीसी में पांच फीसदी आरक्षण की मांग को लेकर 11 दिन तक रेल पटरियों पर आंदोलन कर रहे गुर्जर समाज को मनाने का जश्न अभी गहलोत सरकार ठीक से नहीं मना पाई थी कि अब भरतपुर और धौलपुर के जाट समाज ने भी आंदोलन की चेतावनी दे दी है। ये लोग भी अपने लिए आरक्षण की मांग कर रहे हैं। जाट चाहते हैं कि राज्य सरकार उन्हें भी राजस्थान के शेष 31 जिलों के जाटों की तरह आरक्षण देने के लिए ना केवल केंद्र सरकार को पत्र लिखकर दबाव बनाए, बल्कि वादे के अनुसार खाली पड़ी भर्तियों में नियुक्तियां भी जारी करे। इसके लिए गुर्जरों की तरह जाटों ने भी भरतपुर में ही अपनी महापंचायत बुलाई है। इसके बाद सरकार को चेताने के लिए हुंकार रैली का आयोजन किया जाएगा। साथ ही भरतपुर से गुजरने वाले दिल्ली-मुम्बई और मथुरा रेल ट्रेक को जाम करने की चेतावनी दी गई है। आंदोलन के लिए जाटों ने 18 नवम्बर को पथैना गांव में जाट महापंचायत बुलाने का फैसला किया है।
भरतपुर-धौलपुर जाट आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक नेमसिंह फौजदार ने बताया कि भरतपुर और धौलपुर जिलों के जाटों को ओबीसी वर्ग में केंद्र में आरक्षण दिलाने के लिए सिफारिशी चिट्ठी लिखने व आंदोलनकारियों पर लगे मुकदमों को वापस लेने के साथ चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति देने का वादा दो वर्ष बीतने के बाद भी पूरा नहीं हो सका है, इसलिए आंदोलन की रणनीति बनाई जा रही है।
राजस्थान में 1999 से जाटों को आरक्षण मिल रहा है, लेकिन 2015 में राजस्थान हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने सामंतों वाला आर्थिक और सामाजिक रूप से विकसित जाट होने का हवाला देते हुए भरतपुर और धौलपुर जिलों के जाटों को ओबीसी आरक्षण की सेंट्रल और स्टेट लिस्ट से हटाने का फरमान जारी कर दिया। इसे लेकर तीन बार बड़े आंदोलन भी हुए थे। भरतपुर-धौलपुर जिले में रेल की पटरियों को उखाडक़र चक्का जाम भी किया गया था। 2017 में जाट आंदोलन के बाद समझौता वार्ता के दौरान राज्य सरकार ने केंद्र को चिट्ठी लिखने का वादा किया था। साथ ही जाट आंदोलनकारियों पर दर्ज मुक़दमे वापस लेने का भरोसा दिया था।
गुर्जरों की तरह ही जाटों को आरक्षण का लाभ देने का यह मामला कानूनी दांवपेंचों में उलझा हुआ है। ऐसे में अब सबकी निगाहें जाट समाज की 18 नवम्बर को पथैना गांव में होने वाली महापंचायत के फैसले पर टिकी है।