कापोसी सारकोमा (केएस) जैसे खतरनाक कैंसरों का जल्द पता चल सकेगा
नई दिल्ली। वैज्ञानिकों ने कैंसर की पहचान के लिए छोटे आकार का उपकरण विकसित किया है। टाइनी नाम के उपकरण से पिछड़े इलाकों में भी कापोसी सारकोमा (केएस) जैसे खतरनाक कैंसरों का जल्द पता चल सकेगा। केएस कैंसर मुख्यत: लसीका और रक्त वाहिकाओं में होता है। इसके कारण त्वचा, मुंह और आंतरिक अंगों में जख्म बन जाते हैं।
यह कैंसर चार प्रकार होता है। एड्स से संबंधित केएस कैंसर सहारा रेगिस्तान के दक्षिण में स्थित अफ्रीकी देशों में काफी आम है। इसका जल्द पता चलने से उपचार अधिक प्रभावकारी हो सकता है, लेकिन किसी भी जांच में एक-दो हफ्ते का समय लग जाता है। इस कारण इसके मरीज का इलाज सही समय पर शुरू नहीं हो पाता है। इसी समस्या के निपटान के लिए टाइनी विकसित किया गया है।
यह उपकरण न्यूक्लिक एसिड की मात्रा का पता लगाकर कैंसर की पहचान कर लेता है। टाइनी की यह विशेषता है क्योंकि अफ्रीकी देशों में कभी भी बिजली चली जाती है। इस कारण भी वहां के लोग कई तरह की चिकित्सकीय सुविधा से वंचित रह जाते हैं।
उपकरण की गुणवत्ता की पहचान के लिए शोधकर्ताओं ने युगांडा के 71 मरीजों पर इसका परीक्षण किया। 94 फीसद मरीजों की जांच के दौरान टाइनी और क्वांटिटेटिव पॉलीमरेज चेन रिएक्शन (क्यूपीसीआर) से एक ही परिणाम आया।