महात्मा गांधी और डाॅक्टर ख़्वाजा अब्दुल हमीद

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ऐतिहासिक दृश्य 4 जुलाई 1939 का है जिसमें राष्ट्रपिता महात्मा गांधी लोह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल और स्वतंत्रता सेनानी ख्वाजा अब्दुल हमीद नजर आ रहे हैं गांधी और पटेल ने शोध एवं अनुसंधान के लिए ख्वाजा अब्दुल हमीद को प्रोत्साहित किया दृश्य फैक्ट्री के अवलोकन का है,

गांधी जी के समर्थक डाॅ. ख्वाजा अब्दुल हमीद ने 1935 एक कंपनी बनाई सिप्ला( CIPLA) उनके बेटे युसूफ हमीद आज इस कंपनी के ऑनर हैं।

डाॅ. अब्दुल हमीद को देश में सस्ती दवाइयों के सपने को लेकर उनकी माँ ने अपने दो घर बेचकर उन्हें रसायन विज्ञान की पढ़ाई के लिए बर्लिन भेजा और जब वह बर्लिन से पीएचडी (रसायन विज्ञान) करके आए तो उन्होंने अपनी दवा कम्पनी खोली।

इस कंपनी को सिप्ला( CIPLA )नाम दिया गया। इन दिनों सिप्ला (CIPLA )का सारा ज़ोर जीवनरक्षक रेमेडीसविर (#Remdesivir) बनाने पर है।

  वीडियों साभार – विकिपीडिया

भारत में जेनेरिक दवा उद्योग के पिता के तौर पर डाॅक्टर अब्दुल हमीद को जो सम्मान प्राप्त है, उसे हमीद यूसुफ़ ने मिटने नहीं दिया। आज कम्पनी में 22 हज़ार से ज़्यादा तो कर्मचारी ही काम करते हैं। शेयर बाज़ार में सिपला के शेयर की क़ीमत 940 रुपए से अधिक है।

आज से 7 साल पहले कम्पनी की क़ीमत 49,611 हज़ार करोड़ रुपए लगाई गई थी। आज यह कंपनी मौजूदा वक्त में सबसे ज्यादा जीवनरक्षक रेमेडीसविर( #Remedesivir) बना रही है।

यह देश गांधी का है, गांधी विचार पर चलने वाले और गांधी के बताए रास्ते पर जीवन जीने वाले हैं, ख्वाजा अब्दुल हमीद के बेटे युसूफ अब्दुल हमीद आज भी देश में काम कर रहे हैं यह स्वतंत्र सेनानियों के जन हितेषी कार्य हैं जिसका साक्षी इतिहास है ऐसे कर्मवीर योद्धाओं के हम ऋणी हैं।

 

कैसे प्रकाश में आए ख्वाजा अब्दुल हमीद

हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन” जो पहले मलेरिया, ल्यूपस और रुमेटीइड गठिया के इलाज में इस्तेमाल किया गया था और वर्तमान में कोविड -19 के उपचार के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका सहित दुनिया भर के देशों द्वारा भारी मांग उठने पर यह बात भी सामने आई के इसका अविष्कारक कौन है और

उसका इतिहास क्या है राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के प्रति देश ही नहीं दुनिया के लोगों के सदा और बढ़ गई जब उन्हें पता चला कि उनके बताए हुए रास्ते पर चलकर ख्वाजा अब्दुल हमीद ने रसायन विज्ञान की खोज और शोध के काम को शुरू किया था 1935 में गांधी जी की प्रेरणा से स्वतंत्रता

सेनानी ख्वाजा अब्दुल हमीद इस वैज्ञानिक रास्ते को चुना, वर्तमान में इनके बेटे युसूफ अब्दुल हमीद अपने पिता की विरासत को संभाल रहे हैं और उन्होंने कोविड-19 के उपचार के लिए #Remedesvir जैसी जीवन रक्षक दवा को सफलतापूर्वक देश दुनिया के सामने लाने में कामयाबी हासिल की है

ख्वाजा अब्दुल हमीद की पृष्ठभूमि

हामिद का जन्म 31 अक्टूबर 1898 ई• में उत्तर प्रदेश के ज़िला अलीगढ़ में हुआ था। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि तथा (1924 – 27 ) के मध्य जर्मनी की हम्बोल्ट बर्लिन विश्वविद्यालय से एमए और पीएचडी की उपाधि प्राप्त की।

स्नातक की पढ़ाई के दौरान उन्होंने खिलाफत आंदोलन के चलते यूनिवर्सिटी में हड़ताल कर दी। जिस वजह से उन्हें यूनिवर्सिटी से बाहर निकाल दिया गया था। फिर वह अलीगढ़ आए और मुस्लिम राष्ट्रवादियों के साथ मिलकर ” जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय ” की शुरुआत की और इसी में केमिस्ट्री पढ़ाने लगे।

क्या है सिप्ला ( CIPLA )

वर्ष 1927 में पढ़ाई के दौरान जर्मनी में एक यहुदी लड़की लुंबा डर्कजंसका से विवाह रचाया। 1928 में आपने भारत वापस आकर गुलाम भारत में अंग्रेजी दवा की पहली फेक्ट्री लगाने का कार्य शुरू किया। जो 1935 में मुम्बई में ” केमिकल इण्डस्ट्रियल एंड फार्मास्युटिकल लेबोरेट्रीज़ “(CIPLA) के नाम से बनकर तैयार हो पाई l

मेडिसिन का उत्पादन

ब्रिटिश शासन के दौरान ही 22 सितंबर 1937 में जब सिप्ला का पहला प्रोडक्ट मार्केट में पहुंचा तो विश्व मीडिया ने भारतीय प्रतिभा की जमकर तारीफ की। वर्ष 1937 में उन्हें बॉम्बे प्रेसीडेंसी का सदस्य चुना गया।

4 जुलाई 1939 को महात्मा गांधी, सरदार पटेल, डॉ सुशील नायर ने सिप्ला का दौरा किया। जब महात्मा गांधी ने अपनी दवा सहित सभी ब्रिटिश उत्पादों का बहिष्कार करने का निर्णय किया और सिप्ला संस्थापक को आवश्यक दवाएं बनाने के लिए प्रेरित किया।

स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद कम्पनी निरन्तर ऊंचाइयों के आसमान छू रही है। 1960 में डॉ ख्वाजा अब्दुल हमीद के बड़े पुत्र यूसुफ हमीद ने कंपनी का दामोदार संभाला। 23 जून 1972 को स्वतंत्रता सेनानी एवं वैज्ञानिक डॉ ख्वाजा अब्दुल हमीद का निधन हो गया।

मुजीब अता आजाद

गांधीवादी विचारक एवं लेखक, महात्मा गांधी द्वारा स्थापित विभिन्न गांधीवादी संस्थाओं के प्रतिनिधि आचार्यकुल, वर्धा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं राष्ट्रपिता महात्मा गांधी 150वीं जन्म उत्सव समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं l

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