‘भूखे लोगों को भोजन देना हर सरकार की जिम्मेदारी’, केंद्र को SC की फटकार

Dr. CHETAN THATHERA
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File Photo - SUPRME COURT

नई दिल्ली/ भुखमरी की समस्या से निपटने के लिए पूरे भारत में सामुदायिक रसोई स्थापित करने की याचिका की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि हमें संदेह है कि योजना को फौरन लागू करने का आपका कोई इरादा भी है। लेकिन आप याद रखें कि भूख से मर रहे लोगों को भोजन मुहैया कराना हर सरकार की जिम्मेदारी है।

SC ने केंद्र को 3 सप्ताह के भीतर योजना तैयार करने का आदेश दिया।सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को निर्देश देते हुए कहा कि ये आखिरी मौका है कि वो राज्यों के साथ इमरजेंसी मीटिंग कर योजना का खाका और उस पर अमल की रणनीति तैयार करे।  इस जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र की उदासीनता पर नाराजगी जताते हुए CJI एन वी रमणा ने कहा कि हमें अंतरराष्ट्रीय कुपोषण सूचकांक जैसे मुद्दों से सरोकार नहीं है। इस योजना का उद्देश्य तत्काल भूख के मुद्दों पर अंकुश लगाना है.।भूख से मरने वाले लोगों की रक्षा करना है।

‘लग ही नहीं रहा कि योजना बनाने पर विचार हो रहा है’

कोर्ट ने कहा कि अगर आप भुखमरी से निपटना चाहते हो तो कोई भी संविधान या कानून मना नहीं करेगा। क्योंकि यही मूल सिद्धांत है कि हर कल्याणकारी राज्य की पहली जिम्मेदारी है कि वो भूख से मर रहे लोगों को भोजन मुहैया कराए. जस्टिस रमणा ने कहा कि आपका हलफनामा कहीं भी यह नहीं दर्शाता है कि आप एक योजना बनाने पर विचार कर रहे हैं।अभी तक आप सिर्फ राज्यों से जानकारी निकाल रहे हैं।आपको योजना पर त्वरित अमल के लिए सुझाव देने थे।न कि मोरल पुलिसिंग यानी केवल पुलिस जैसी जानकारी एकत्र करने के लिए डंडा फटकारना था।

‘केंद्र सरकार को आखिरी चेतावनी’

इस मामले में CJI ने अंडर सेकेट्री स्तर के अधिकारी के हलफनामा दाखिल करने पर भी आपत्ति जताते हुए कहा कि यह आखिरी चेतावनी है जो मैं भारत सरकार को देने जा रहा हूं।

आपके अंडर सेकेट्री ने ये हलफनामा क्यों दाखिल किया?

इससे ऊपर स्तर का आपका जिम्मेदार अधिकारी यह हलफनामा दाखिल नहीं कर सकता था?  हमने कितनी बार कहा है कि जिम्मेदार अधिकारी को हलफनामा दाखिल करना चाहिए।जस्टिस हिमा कोहली ने टिप्पणी की कि आपने 17 पेज का हलफनामा दाखिल किया है। लेकिन इसमें इस मुद्दे पर एक हर्फ भी नहीं है कि आप इस योजना को कैसे लागू करने जा रहे हैं।

देशभर में सामुदायिक रसोई स्थापित करने वाली याचिका पर  CJI एनवी रमणा, जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने इस जनहित याचिका पर हलफनामे दायर करने के उसके आदेश का पालन नहीं करने पर छह राज्यों पर पिछले साल 17 फरवरी को पांच-पांच लाख रुपए का अतिरिक्त जुर्माना लगाया था। यह जुर्माना मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, ओडिशा, गोवा और दिल्ली पर लगाया गया था। याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील से पीठ ने कहा था कि वह इस याचिका पर जवाब दाखिल करने वाले सभी राज्यों की सूची तैयार करें। वकील ने कहा था कि कुपोषण के कारण पांच साल से कम आयु के 69 प्रतिशत बच्चों ने अपना जीवन गंवा दिया है और अब समय आ गया है कि राज्य सामुदायिक रसोई स्थापित करने के लिए कदम उठाएं।

अदालत ने 18 अक्टूबर 2019 को सामुदायिक रसोई स्थापित किए जाने का समर्थन करते हुए कहा था कि भुखमरी की समस्या से निपटने के लिए देश को इस प्रकार की प्रणाली की आवश्यकता है।

केंद्र और सभी राज्यों को जारी हुए थे नोटिस

जनहित याचिका पर जवाब मांगते हुए केंद्र और सभी राज्यों को नोटिस जारी किए गए थे।याचिका में न्यायालय से सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को भुखमरी और कुपोषण का मुकाबला करने के लिए सामुदायिक रसोई स्थापित करने की योजना तैयार करने का निर्देश देने का आग्रह किया गया।याचिका में दावा किया गया है कि हर रोज भुखमरी और कुपोषण के चलते पांच साल तक के कई बच्चों की जान चली जाती है।यह दशा नागरिकों के भोजन एवं जीवन के अधिकार समेत कई मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।इस जनहित याचिका में न्यायालय से सार्वजनिक वितरण योजना के बाहर रह गए लोगों के लिए केंद्र को राष्ट्रीय फूड ग्रिड तैयार करने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है।

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चेतन ठठेरा ,94141-11350 पत्रकारिता- सन 1989 से दैनिक नवज्योति - 17 साल तक ब्यूरो चीफ ( भीलवाड़ा और चित्तौड़गढ़) , ई टी राजस्थान, मेवाड टाइम्स ( सम्पादक),, बाजार टाइम्स ( ब्यूरो चीफ), प्रवासी संदेश मुबंई( ब्यूरी चीफ भीलवाड़ा),चीफ एटिडर, नामदेव डाॅट काम एवं कई मैग्जीन तथा प समाचार पत्रो मे खबरे प्रकाशित होती है .चेतन ठठेरा,सी ई ओ, दैनिक रिपोर्टर्स.कॉम