‘महात्मा गांधी मेडिकल साइंसेज़ एवं टेक्नोलॉजी विश्वविद्यालय में रामजी लाल स्वर्णकार की स्मृति में प्रतिवर्ष होने वाले सांस्कृतिक आयोजन की श्रंखला में आज शाम प्रसिद्ध भरत नाट्यम नृत्यांगना गीता चन्द्रन ने शानदार एकल प्रस्तुति दी।
पद्मश्री से अलंकृत नृत्यांगना ने आज की सांस्कृतक संध्या की प्रस्तुति के लिए ‘अनेकांत’ विषय को चुना था तथा उसके लिए सारे तत्व भगवद् गीता से लिए थे जिनमें व्यक्त, अव्यक्त, सगुण एवं निर्गुण के प्रतीकों से मानव के आंतरिक और बाह्य संघर्ष की बात थी जिसे उन्होंने अपने नृत्याभिनय से कुशलतापूर्वक अभिव्यक्ति दी।
उत्तर भारत में टेस्ट ट्यूब बेबी की चिकित्सकीय तकनीक के जनक डॉ. मोहनलाल स्वर्णकार के अकेले अथक प्रयासों से खड़ा हुआ महात्मा गांधी मेडिकल साइंसेज़ एवं टेक्नोलॉजी विश्वविद्यालय निजी क्षेत्र में चिकित्सा शिक्षा का आज ऐसा बड़ा संस्थान है जहां चिकित्सा जगत के सभी विषयों का शिक्षण होता है। डॉ. स्वर्णकार की भगवान कृष्ण में गहरी आस्था है। आज भी इस सांस्कृतिक संध्या में वृंदावन से पधारे श्रीवत्स जी गोस्वामी और उनकी धर्मपत्नी भी मौजूद थे।
कोरोना महामारी से सुरक्षा उपायों के चलते विश्वविद्यालय के विशाल सभागार में हालांकि बहुत कम सीटें भरी हुई थी परंतु कार्यक्रम का ऑनलाइन प्रसारण विश्व भर में दर्शकों अनांदित कर रहा था।
वर्ष 1975 से भरत नाट्य कला की प्रस्तुतियां दे रही गीता चन्द्रन के पति राजेश चंद्रन के बीच बीच में संक्षिप्त मगर सारगर्भित परिचयात्मक टिप्पणियों से दर्शक शास्त्रीय नृत्य शैली से बेहतर जुड़ पाए। उन्होंने शुरू में ही ‘अनेकांत’ का परिचय देते हुए कहा कि सत्य की अनेक व्याख्याएं संभव है क्योंकि मानव जीवन के प्रत्येक पहलू में अनेकांत मौजूद है। किन्तु सार्वभौम सत्य तो एक ही है।
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Rajendra Bora
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