भरतपुर (राजेन्द्र जती)।राष्ट्रीय मीणा महासभा द्वारा अलक झलक बगीची में विश्व आदिवासी दिवस मनाया गया कार्यक्रम की अध्यक्षता मुख्य महासचिव प्रताप सिंह मीणा ने की, कार्यक्रम के बारे में बोलते हुए एडवोकेट जीत सिंह मीणा ने बताया कि मूलनिवासियों के मानवाधिकारों को लागू करने और उनके संरक्षण के लिए 1982 में UNO (संयुक्त राष्ट्र संघ) ने एक कार्यदल UNWGIP (United Nations Working Group on Indigenous Populations) के उपआयोग का गठन किया। जिसकी पहली बैठक 9 अगस्त 1982 को हुई थी। इसलिए, हर वर्ष 9 अगस्त को “विश्व मूलनिवासी दिवस” UNO द्वारा अपने कार्यालय में एवं अपने सदस्य देशों को मनाने का निर्देश है।
UNO ने यह महसूस किया कि 21वीं सदी में भी विश्व के विभिन्न देशों में निवासरत मूलनिवासी समाज अपनी उपेक्षा, बेरोजगारी एवं बंधुआ बाल मजदूरी जैसी समस्याओं से ग्रसित है। 1993 में UNWGIP कार्य दल के 11 वें अधिवेशन में मूलनिवासी घोषणा प्रारूप को मान्यता मिलने पर 1994 को “मूलनिवासी वर्ष” व 9 अगस्त को “मूलनिवासी दिवस” घोषित किया।
कार्यक्रम में भूपेंद्र सिंह मीणा सुनीलकुमार,राजेन्द्र सिंह एवं रामफल झारोटी ने अपने विचार रखे, आदिवासी दिवस के इस अवसर पर विक्रम सिंह, वीरेन्द्र सिंह, रविन्द्र सिनपिनी, राजीव सेवला,अतर सिंह इतामडा,चेतराम मीना सहित अन्य समाज के लोग उपस्थित थे
कार्यक्रम के अंत मेंमुख्य संगठन सचिव रामफल झारोटी ने सबका धन्यवाद ज्ञापित किया, ये जानकारी मीडिया प्रभारी सहदेव सेवला ने दी