जीवन में अहकार के लिए कोई जगह नहीं
टोक(ओपी शर्मा)। शहर के नशिया बालाजी स्थान पर सोमवार को महर्षि दधीचि की जयन्ती पूजा अर्चना के साथ मनाईं गई। दाधीच सेवा समिति के घनश्याम दाधीच ने बताया कि जयन्ती के अवसर पर दाधिच बन्दूओ द्वारा द्वीप प्रज्वलित , वंदना, सामूहिक पूजन, सुन्दर काड पठन किया गया ।
दुर्गाशंकर दाधीच ने महर्षि दधीचि कि जीवनी पर प्रकाश डाला व समाज बन्दूओ को दधीचि के पद मार्ग पर चलने कि सलाह दी।सीताराम दाधीच बगडी ने कहा महर्षि वेद शास्त्रों के ज्ञाता परोपकारी ओर बहुत दयालु थें। उनके जीवन में अहकार के लिए कोई जगह नहीं थी। मोहनलाल दाधीच बगडी ने कहा कि महर्षि से पशु पक्षी तक उनके व्यवहार से सन्तुष्ट थे। व उनके परोपकारी थे।
उन्होंने असुरों के सहार के लिए अपनी अस्थियों तक को दान में दे दिया था। इस अवसर पर रामरतन दाधीच, हनुमान दाधीच, विष्णु,महेश, दाधीच, ओमप्रकाश दाधीच सोहैला, सत्य नारायण सोहैला, नवरत्न दाधीच सोहैला, लोकेश बगडी, मुरलीधर बगडी ने महर्षि के जीवन पर अपने अपने विचार रखे।