Jahazpur news(आजा़द नेब) । आस्था के नाम पर पाखंड, ढोंग और आडंबर का खेल क्षेत्र में अभी भी जारी हैं। एक ऐसा ही ढोंग का खेल रचने वाला तथाकथित बाबा फिर सुर्खियों में हैं। परेशान हाल लोग ऐसे फर्जी बाबाओं के मकडज़ाल मे फंसते चले जाते हैं। ऐसे बाबाओं के खिलाफ सरकार ने कानून बना रखा है लेकिन ऊंची पहुंच के चलते प्रशासनिक अधिकारी ऐसे तथाकथित बाबाओं के खिलाफ कार्यवाही करने से कतराते हैं।
क्षेत्र में ऐसे कई तथाकथित बाबा रविवार व गुरुवार को अपना धाम चला कर लोगों की आस्था को तो लूट ते ही है साथ उनके साथ ठगी भी करते हैं। ऐसे बाबा परेशान हाल लोगों से ताबीज टोना टोटका के नाम पर मोटी रकम वसूलते हैं। प्रशासन को ऐसे बाबाओं की जानकारी होने के बावजूद भी उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं कर पाते हैं। क्योंकि कहीं ना कहीं ऐसे तथाकथित बाबाओं को राजनीतिक संरक्षण भी प्राप्त होता है जिसके चलते प्रशासनिक नुमाइंदे उनके खिलाफ कार्रवाई करने से कतराते हैं।
धर्म के नाम पर अधर्म का पाठ पढाकर लूट की दुकान चलाने वाले ये बाबा जितने दोषी हैं, उतने ही इनके भक्त भी दोषी हैं। गौर करने वाली बात तो यह है कि इन बाबाओं की शरण में जाने वाले अधिकत्तर लोग पढे-लिखे हैं। ऐसे में सवाल यह भी उठता है कि हमारी शिक्षा प्रणाली क्या इतनी सक्षम नहीं हैं कि गलत और सही का फर्क बता सके ? बाबाओं की संख्या क्षेत्र में तेजी से बढ रही हैं। यहां के लोग तरह-तरह के बाबा बनकर लोगों को ठग रहे हैं। एक ओर हमारा ज्ञान लज्जित हो रहा है, तो दूसरी विज्ञान की धज्जियां उड़ रही हैं।
धर्म और मजहब की बलिहारी जनता सबकुछ तमाशबीन की तरह देखती आ रही है। चमत्कारी बाबाओं द्वारा महिलाओं के शोषण की बातें हमेशा से प्रकाश में आती रही हैं और धन तो इनके पास दान का इतना आता है कि जिसे यह खुद भी नहीं गिन सकते। इसके दोषी केवल यह बाबा, मुल्ला या भगवान नहीं बल्कि हमारा यह भटका हुआ समाज है जो किरदार की जगह चमत्कारों से भगवान को पहचानने की गलती किया करता है।