Jahazpur News (आज़ाद नेब) पत्रकारों के खिलाफ प्रकरण सख्या 94/20 थाना झूठे प्रकरण की निष्पक्ष जांच कराने मांग करते हुए प्रेस क्लब में पुलिस उपाधीक्षक को ज्ञापन सौंपा।
ज्ञापन में बताया गया कि पुलिस थाना जहाजपुर में एक मुकदमा सख्या 94/20 जो कि जहाजपुर के दो पत्रकार दिनेश कुमार व देवेन्द्र सिंह के खिलाफ दर्ज किया गया था पूरी तरह से बेबुनियाद ओर झूठे तथ्यो पर आधारित है। यह मुकदमा प्रशासन के कुछ कारिन्दो के काले कारनामे छिपाने, अनियमितता पर पर्दा डालने ओर कर्मचारियों की लापरवाही को दबा कर भ्रष्टाचार के मामले को दबाने का एक प्रयास करने के कारण से दर्ज कराया गया।
प्रेस क्लब जहाजपुर इस पत्र के माध्यम से उक्त मामले की निष्पक्ष जांच की मांग करता हुआ अनुसंधान में निम्न तथ्यों को शामिल किए जाने की भी मांग करता है साथ ही दोषी ओर लापरवाह व अनियमितता करने वाले कार्मिको की भूमिका भी जांच की मांग करता है।
21 मई को पत्रकार दिनेश कुमार और देवेन्द्र सिंह स्वस्ति धाम में बने क्वारटाईन सेन्टर में जब गए तो गार्ड ने उनका परिचय पत्र देखा एसडीएम जहाजपुर द्वार जारी किए कोराना पास के आधार पर उन्होने मंदिर परिसर में प्रवेश किया इस दौरान वह पर कोटा ओर बून्दी नंबर की गाडिया भी खडी थी जो मंदिर में लगे सीसी कैमरे में दिखाई – सकती है । क्वारटाईन सेंन्टर के कमरो से सौ मीटर की दूरी पर लकडी की टेबलो पर उर्स समय खाना परोसा जा रहा था। संदिग्ध लोगो ने दूर से पत्रकार साथियो को अनियमिताओ घटाई सामग्री की बात बताई।
दोनो पत्रकार साथी टेबल के इस छोर पर पहूचे जह पर तीन पुलिस कर्मी, नगर पालिका के कर्मचारी सत्येंद्र कुमार, सफाई कर्मचारी ओर हलवाई तथा टेन्ट हाउस का मालिक भी मौजूद था जहा संदिग्ध मरीजो को प्लास्टिक की थैलियो में घटिया स्तर का खाना परोसा जा रहा था जिसकी विडियो रिकार्डिंग हमारे पास मौजूद है। वहा संदिग्धो ने घटिया ओर अवधिपार बिस्कुट होने की जानकारी दी जिसकी भी विडियो रिकाडिंग हमारे पास है।
जो मामला दर्ज कराया उसने बिना अनुमति प्रवेश करना बताया गया जबकि हमारे पास एसडीएम जहाजपुर द्वारा जारी पास के आधार पर परिसर में प्रवेश किया। हमारे साथियो ने केन्द्र सरकार और राज्य सरकार की गाईड लाईन की पालना करते हुए मास्क का उपयोग किया दोनों ने ही मास्क लगा रखे थे। इस मामले में जो मामला दर्ज किया गया वह पूरी तरह से झूठा है।
दर्ज रिपोर्ट में खाद प्रदार्थ को छुने की बात लिखी गई जो पूरी तरह से असत्य है। टेबल के खाने और चिकित्सक के टेबल पर रखे बिस्कुट के हाथ भी नहीं लगाया हमारे पास उसके भी विडियो है। चिकित्सक ने लिखा कि गाली गलोच की और शराब की बदबू आना बताया जबकि वहा से लोटने के बाद तहसीलदार जहाजपुर द्वारा देवेन्द्र सिंह के फोन आया जिस पर देवेन्द्र सिंह ने दोनो का मेडिकल कराने को कहा जिसकी ओडिया रिकार्डिग हमारे पास मोजूद है इन दोनो का मेडिकल क्यो नही करवाया गया।
चिकित्सक मोहित मीणा अथवा वहा मौजूद कर्मचारियों के साथ किसी प्रकार की अभद्र भाषा का उपयोग नहीं किया न ही किसी तरह की घटना हुई चिकित्सक मीणा ओर कर्मचारी आज भी बयान देने को तैयार है अनुसंधान अधिकारी ने खाली कागजो पर हस्ताक्षर करवा कर अपनी खानापूर्ति कर ओर घर – घर जाकर कर्मचारियों के परिचय पत्र की फोटो प्रति एकत्र की।
चिकित्सक मीणा द्वारा हमारे दोनो साथियों को बुलाकर यह भी कहा कि हमने कुछ लिखा ही नही है नायब तहसीलदार जहाजपुर द्वारा जानबूझकर अनियमितता दबाने के लिए इस तरह का कृत्य कर उन्हे केवल मोहरा बनाया गया है। जिसकी विडियो रिकार्डिंग भी हमारे पास मौजूद है । अनुसंधान अधिकारी ने आज तक मोके पर मौजूद लोगो के बयान नही लिए है। नगर पालिका सत्येन्द्र आर्य, हलवाई, टेन्ट, व्यापारी ओर वहा संदिग्ध मरीजो से पूछताछ नही की गई। संदिग्ध मरीजो को जो अवधिपार बिस्कुट दिए गए उनके रेपर हमारे साथियों को मरीजो ने उपलब्ध कराए जो हमारे पास मौजूद थे।
बिस्कुट जो दिए गए वो अक्टूबर माह के थे जिनकी अवधि मार्च में ही समाप्त हो गई। यहा यह भी गोरतलब है कि केवल अनियमिता और भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने के लिए यह झूठा प्रकरण दर्ज कराया गया । जिस चिकित्सक ने मामला दर्ज कराया 23 मई के बाद वह जहाजपुर नहीं आया।
आज भी चिकित्सक किसी भी तरह की घटना से इंकार कर रहा है। हमारे साथियों ने किसी तरह से केन्द्र सरकार और राज्य सरकार के दिशा निर्देशो की अवहेलना नही की ओर न ही अनाधिकार प्रवेश किया है।
क्वारटाईन सेन्टर से लगातार हमारे साथियों को अनियमिता की शिकायत मरीजो द्वारा मोबाईल पर दिए जाने से वह सत्यता की जांच करने गए थे किसी मरीज को न तो हमारे साथियो ने उकसाया। दर्ज इस झूठे प्रकरण में वास्तविकता हमारे पास विडियो, आडियो ओर मंदिर परिसर में लगे सीसी केमरो से सामने आ सकती है वहा मोजूद तीनों पुलिसकर्मियों से भी घटना की वास्तविकता की जानकारी की जा सकती है। यदि किसी तरह की घटना हुई होती अथवा कोई बात होती तो मौके पर मौजूद पुलिसकर्मियों ने इसकी जानकारी न तो उच्चाधिकारियों का दी न ही किसी तरह से हमारे साथियों को किसी प्रकार से टोका -टाकी की।
इससे लगते है कि मनगढत कहानी केवल भ्रष्टाचार को दबाने के लिए की गई । यह है कि इस मामले में ड्यूटी पर तैनात चिकितसक ने घटना जानकारी क्वारटाईन सेन्टर के प्रभारी ब्लाक चिकित्सा अधिकारी को नही दी न ही उनकी तरफ से किसी तरह का कोई मामला दर्ज कराया।
एसडीएम को घटना की जानकारी दी उस आधार पर झूठा मामला दर्ज कराया जबकि चिकित्सक द्वारा बताया जा रहा है उन्होने इस तरह की कोई रिपोर्ट न तो स्वयं ने दी न ही किसी कर्मचारी ने दी। मौके पर मौजूद कर्मचारियों के बयान भी मनमर्जी से लिखे जा रहे है जबकि सभी कर्मचारी इस घटना से इंकार कर रहे है।
मामले की निष्पक्ष जांच कर झूठे मुकदमें को रद किया जावे और इस झूठी घटना के ताना बाना बुनने वालो कतिपय कर्मचारियों की भूमिका की जांच कर अनियमितता करने वालो के खिलाफ कार्यवाही की जाये।
ज्ञापन देने वालों में पत्रकार महावीर पूरी, अंजनी पाराशर, आज़ाद नेब, हरिश पत्रिया, बाबूलाल भाट, अब्दुल अजीज, अशोक खटीक, मुकेश बैरवा मौजूद थे।