नई दिल्ली। ग्रीस के शरणार्थी शिविरों में महिलाओं की हालत दयनीय है, हालिया रिपोर्ट बताती है कि शौचालयों की उचित व्यवस्था न होने से महिलाएं शौच के लिए रात को बाहर निकलने से डरती हैं। ग्रीस में आने वाले शरणार्थियों और प्रवासियों में आधे से अधिक की संख्या महिलाओं और बच्चों की है यह संख्या भले ही 2015 के आप्रवासी संकट के मुकाबले कम हो, लेकिन शरण पाने की लंबी और धीमी प्रक्रिया की वजह से हजारों शरणार्थी ग्रीस के द्वीपों पर रहने के लिए मजबूर है।
अंतरराष्ट्रीय संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल की ताजा रिपोर्ट बताती है कि इन शिविरों की हालत इतनी दयनीय है कि महिलाओं को नहाने या शौच जाने में खतरा महसूस होता है इन शिविरों में गंदगी, पीने के पानी की कमी, मल और चूहों का उपद्रव मचाना आम बात है।
कांगो डेमोक्रैटिक रिपब्लिक की एक महिला एडेले के अनुसार शॉवर का पानी ठंडा है और बाथरूम के दरवाजे में ताला नहीं लगा है, कई बार पुरुष अंदर चले आते हैं। शौचालय में रोशनी की व्यवस्था नहीं है।
गर्भवती महिलाओें ने एमनेस्टी को बताया कि उन्हें जमीन पर सोना पड़ता है और प्रसूता को मिलने वाली देखभाल बेहद कम है, दूसरी महिलाएं अपनी बचत को सैनेटरी पैड्स पर खर्च करती है,
सरकार के ताजा आंकड़ें बताते हैं कि ग्रीस के द्वीपों पर बने कुछ शिविरों में आबादी इतनी बढ़ गई है कि उनमें क्षमता से दोगुने लोग रह रहे हैं। इससे निपटने के लिए सरकार ने सैकड़ों लोगों को मुख्य भूभाग में भेजना शुरू किया है।
एमनेस्टी का कहना है कि महिलाएं यहां खुद को अकेला और छोड़ा हुआ महसूस करती है, एथेंस के करीब स्कारामागस शिविर में रह रही इराक से आई एक यजीदी महिला का कहना है,’हमें पूरी तरह भुला दिया गया है हम में से कुछ इस शिविर में दो साल से रह रही हैं, लेकिन कुछ नहीं बदल रहा है।