हार्टफुलनेस की ध्यानोत्सव कार्यशाला का समापन हुआ
Bhilwara News /Dainik reporter (मूलचन्द पेसवानी): जिले के शाहपुरा के फुलियाकलां कस्बे में श्री आसन जी के परिसर में हार्टफुलनेस संस्थान (Heartfulness Institute) व श्रीरामचंद्र मिशन (Shri Ramchandra Mission) के संयुक्त तत्वावधान में तीन दिवसीय आयुर्वेद(Ayurveda), अध्यात्म(spirituality), योग (Yog)एवं विज्ञान (Science)संबंधी कार्यशाला का गुरूवार को सांय समारोह पूर्वक समापन किया गया।
आज अंतिम दिन फुलियाकलां उपखंड क्षेत्र के प्रबुद्वजन, शारीरिक शिक्षक गणों के अलावा जनप्रतिनिधि भी मौजूद रहे।
मुख्य अतिथि श्री नवग्रह आश्रम सेवा संस्थान के संस्थापक अध्यक्ष हंसराज चोधरी ने कहा हमारे शरीर के लिए पोषक भोजन बहुत जरूरी होता है।
आज की भागदौड़ भरी जिंदगी और अनियमित दिनचर्या बीमारियों को निमंत्रण देने के लिए काफी है। ऐसे में, जरूरी है कि आप सही और पोषक आहार नियमित तौर पर लें।
अगर व्यक्ति का आहार व उसकी दिनचर्या निर्धारित मानदंडों के अनुरूप है तो कोई भी रोग उसके पास नहीं आ सकता है।
उन्होंने जोर देकर कहा कि पोषण खाना शरीर के लिए बेहद आवश्यक है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि बस इसे खाकर ही आप स्वस्थ रह सकते हैं।
स्वस्थ जीवन के लिए पोषणयुक्त आहार के साथ जीवनशैली में बदलाव भी बहुत जरूरी है। तंदरुस्त जीवन के लिए 30 प्रतिशत व्यायाम, 30 प्रतिशत जीवनशैली जबकि 40 प्रतिशत हिस्सा सही खानपान का होता है।
एक के बिना दूसरा प्रभावित होता है, अतः ध्यान रहे कि शरीर के लिए पोषण के अलावा बाकी चीजें भी जरूरी हैं। खाने को चबाकर खाना बहुत जरूरी है। ऐसा करने से खाते वक्त हमारे लार ग्रंथियों से एक तरह का एंजाइम निकलता है, जो खाने को पचाने में मदद करता है।
गर्मियों में शरीर में पानी की मात्रा कम होना आम बात है। उमस और गर्मी के कारण पसीने के रूप में हमारे शरीर से काफी मात्रा में पोटैशियम बाहर निकल जाता है।
पोटैशियम की मात्रा शरीर में कम होने से पैरों में ऐठन होने की दिक्कत लोगों में होती है। समस्या से बचने के लिए नियमित रूप से पानी लेते रहना चाहिए।
रोजाना 3-4 लीटर पानी पीने के साथ उन फलों का इस्तेमाल करें, जिनमें पानी अधिक होता है जैसे खरबूजा, तरबूज, संतरा जैसे फल। पानी की कमी से बचने के लिए बैग में पानी का बॉटल लेकर चलें, जिसमें नींबू का भी प्रयोग कर सकते हैं।
चौधरी ने आयुर्वेद का जीवन में महत्व है विषय पर विस्तार से परिचर्चा करते हुए तथा लोगों के प्रश्नों का उत्तर देते हुए कहा कि एक अच्छी दिनचर्या का अपनाना मतलब ये नहीं है कि आप हर दिन सुबह चार बजे उठेंगे या फिर दो घंटे जिम जांएगे या फिर रोज दो कि.मी दौड़ेंगे, ताकि आपका स्वास्थ्य ठीक रहे।
मैं ये विश्वास से कहता हूँँ कि अगले दिन आप और ज्यादा थक जांएगे और ये दिनचर्या आपके लिए नुकसानदेह हो सकता है। दिनचर्या ऐसी होनी चाहिए जिसे आप आसानी से कर सके और साथ ही ये आपके लिए लाभदायक हो।
चोधरी ने कहा कि कॅलेस्ट्रॉल की बात आते ही लोग सबसे पहले आयल से परहेज करने लगते हैं। बाकी चीजों की तरह तेल भी शरीर के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है।
ऐसे में अगर आपको कॅलेस्ट्रॉल की समस्या है तो तुरंत तेल बंद न कर दें, हां इसके इस्तेमाल पर नियंत्रण रखें। उन्होंने कहा कि कोशिश करें कि सुरज उगने से पहले उठे। ये आपके ऊर्जा के स्तर को बढ़ाता है, साथ ये वक्त योग के लिए बेहतर समय है।
वातावरण भी शुद्ध रहता है। सुबह उठते ही सबसे पहले पानी पिये। ये शरीर के सारे विषाक्त पदार्थ का निष्कासन में सहायता करता. है ,साथ ही वजन को संतुलित रखता है।
अपने दिनचर्या में व्यायाम और योग जरूर शामिल करे। ये शरीर स्वस्थ रखता है साथ ही आपके ऊर्जा स्तर को बढ़ाता है और तनाव कम करता है। सुबह के नाश्ता को कभा ना नहीं कहे।
हर दिन सात से आठ घंटे का भरपूर नींद ले। नींद पूरी नहीं होने पर एकाग्रता कमजोर होती है, तनाव बढ़ता है साथ ही पाचन तंत्र कमजोर होता है।
कार्यशाला के दौरान दौरान ध्यान और साधना के जरिए बीपी, स्ट्रेस, डायबिटीज जैसी कई बीमारियों से छुटकारा दिलाने के अलावा शिविर में शामिल लोगों को रिश्तों में प्रेम, बच्चों के साथ बेहतर रिलेशनशिप, स्ट्रेस फ्री कैसे रहें, पॉजिटिविटी बढ़ाने के बारे में भी बताया गया।
हार्टफुलनेस संस्थान की प्रवक्ता सीता श्रीमाली ने बताया कि तीन दिवसीय यह कार्यशाला में क्षेत्र के सैकड़ों लोगों ने भागीदारी निभायी है।
इस कारण अब यहां पर स्थायी रूप से सेंटर चलाने का प्रयास होगा। हार्टफुलनेस संस्था की भीलवाड़ा इकाई के तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम से आज करीब 285 लोग लाभान्वित हुए।
उन्होंनेे बताया कि हार्टफुलनेस के इस कार्यशाला के माध्यम से लोगों को स्वस्थ्य रहने के टिप्स दिये गये। राजकुमार श्री माली व ओमप्रकाश ने हार्टफुलनेस सर्वोत्तम उपाय है।
तनाव से दूर रहने के लिए एक प्राणाहुति प्राणस्य प्राण द्वारा योग की विधी व रिलेक्शन, ध्यान व प्रार्थना इन सब विधियों का कार्यशाला में प्रशिक्षण देने के साथ इसको प्रायोगिक रूप से कराया गया।