भीलवाड़ा। अशिक्षा के कारण राजस्थान के ग्रामीण क्षेत्रो में आज भी अंधविश्वास हावी हैं जिसका हाल ही में शिकार भीलवाड़ा के अस्पताल में भर्ती एक मासूम हुआ हैं। जिसको इलाज के नाम से तांत्रिक ने गर्म सलाखों से दाग दिया जब तबियत बिगडऩे लगी तो परिजन होश हवास खो बैठे जिन्होंने मामले की गम्भीरता को समझते हुए तुरन्त इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया वही अब पुलिस तांत्रिक की तलाश में जुटी है।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक भीलवाडा में अंधविश्वास के नाम से एक बार फि र मासूम को डाम लगा दिया गयाजब उसकी हालत बिगडऩे लगी तो शनिवार की देर रात को उसको जिले के अ श्रेणी महात्मा गांधी अस्पताल के मातृ एवं शिशु वार्ड में भर्ती कराया गया हैं जहां उसका बालक का इलाज चल रहा हैं।
जिले में निमोनिया की शिकायत के कारण दर्द के नाम से चितौडगढ जिले के हीराखेडी निवासी गिरिराज कै साढे तीन माह के मासूम बालक बालकिशन को जुकाम हो गया । जुकाम और निमोनिया की शिकायत के बाद गांव में चिकित्सक को नहीं दिखाने के बजाय रिश्तेदार ने उसे गर्म सलाखों से बालक के पेट में डाम लगा दिया जिसके बाद बाल किशन की हालत और बिगड़ गई उसे भीलवाडा लाया गया जहां उसका महात्मा गांधी चिकित्सालय में उपचार किया जा रहा है ।
अंधविश्वास व अज्ञानता के चलते ग्रामीण क्षेत्र में छोटे- छोटे मासूम बच्चे बच्चियों को बुखार और निमोनिया की जब भी शिकायत होती है तो अंधविश्वास और अज्ञानता के चलते वह पास ही किसी भोपे यानी झाड फूंक वालो के पास लेकर जाते हैं और उन मासूमों को गर्म सलाखों से दाग दिया जाता है । जिससे बच्चा कभी ठीक नहीं होता और अधिक बीमार हो जाता है ज्यादा बच्चे की तबीयत खराब होने पर परिवार के लोग उनको चिकित्सकीय इलाज लेते हैं ।
मासूम को गर्म सलाखो से दागने को लेकर जिला स्तरीय बैठक कई बार आयोजित हुई जिसमें जिले की प्रभारी मंत्री व महिला एवं बाल विकास विभाग की मंत्री अनिता भदेल तत्कालीन जिला कलेक्टर महावीर प्रसाद शर्मा की मौजूदगी में जिले में बैठक भी आयोजित हुई ।
जिसमें ग्रामीण क्षेत्र में डाम को लेकर जागरूकता के लिए योजना बनाई गई । लेकिन अभी तक धरातल पर योजना साकार नहीं होने के कारण लगातार मासूम को गर्म सलाखो से दागने का सिलसिला नहीं थम रहा है जिससे कहीं मासूम तो अपने जिंदगी गवा चुके हैं।