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एक अनोखी शादी ना बाजा ना लोगों को भोजन, बिना वरमाला की रस्म और फिजूल खर्ची - Dainik Reporters

एक अनोखी शादी ना बाजा ना लोगों को भोजन, बिना वरमाला की रस्म और फिजूल खर्ची

liyaquat Ali
4 Min Read

ऐसी शादी देंगी समाज मे एक मिसाल

 

भरतपुर(राजेन्द्र जती )।  जिले के भुसावर कस्बा में एक सत्संग समारोह में दो जोड़े बंधे परिणय सूत्र बन्धन में। ना बैण्ड बाजों की पर्यावरण प्रदूषित करती आवाज, ना लोगों को भोजन के लिए बफे सिस्टम, बिना वरमाला की रस्म और फिजूल खर्ची को रोकते हुए समाज को नई दिशा देती

 

https://youtu.be/i85Uq5KJB7I

एक अनोखी शादी में दो जोडे हजारों लोगों की उपस्थिति में केवल 17 मिनट के हुए कार्यक्रम के दौरान एक दूजे के जीवनसाथी बने जिस नजारे को देखने रविवार को कस्बा भुसावर के राधारानी मैरिज गार्डन में लोगों की भीड लग गई।

और बिना दहेज लिये केवल चाय और विस्किट का नाश्ता लेकर अपने साथ करौली जिले के टोडाभीम निवासी दो युवक भरतपुर जिले के कुम्हेर निवासी दो बहिनों को केवल एक जोडी कपडों में ही दुल्हन बनाकर डोली में बिठाकर ले गये।

जिसके चर्चे पूरे दिन कस्बा भुसावर सहित आस पास के ग्रामीण क्षेत्रों में भी सुनने को मिले। कस्बा भुसावर के राधारानी मैरिज गार्डन में संत रामपाल के अनुयायियों द्वारा किये जा रहे सत्संग कार्यक्रम में प्रातः से ही दूर दराज के क्षेत्र से आ रहे अनुयायियों की भीड जमा होना प्रारम्भ हो गयी। जिसमें घंटो तक सत्संग कार्यक्रम के माध्यम से समाज में व्याप्त कुरूतियों को दूर करने की विभिन्न बातें बतायी गईं।

वहीं समाज में सबसे बडी कुरूति दहेज प्रथा एवं शादियों में होने वाली फिजूल खर्ची को रोकने का संदेश देते हुए जिला करौली के टोडाभीम माता सूडा निवासी शेरसिंह एवं भोलाराम पुत्र हरिराम ने भरतपुर जिले के कुम्हेर बरता का नगला निवासी बाबूलाल दास की दोनों पुत्रियों ललिता एवं ममता के साथ बिना दहेज लिये लाखों रूपये की फिजूल खर्ची रोकते हुए केवल एक जोडे में अपनाकर अपनी जीवनसाथी बनाया और हजारो अनुयायियों के सामने जीवनभर एक दूसरे का साथ निभाने की कसम खायी।

वहीं दूर दराज के क्षेत्रों से आये हजारो अनुयायियों ने केवल चाय और विस्किट का नाश्ता कर शादियों में होने वाली लाखों रूपये की फिजूल खर्ची को रोककर जरूरतमंदों की मदद में पैसा खर्च करने का आव्हृान समाज के लोगों से किया।

कस्बा भुसावर में हुई इस अनोखी शादी में न तो कोई बैण्ड बाजा था और ना ही कोई घोडी जिस पर दुल्हे आये हों। ना इस शादी में कोई बरमाला का कार्यक्रम हुआ और ना ही फिजूल खर्ची को बढावा देते विभिन्न आडम्बर किये गये जिसकी चर्चाएं दिनभर क्षेत्र में बनी रही।

 

करौली जिले मातासूडा गाॅव निवासी दूल्हे शेरसिंह एवं भोलाराम बैरवा ने बताया कि संत रामपाल दास के प्रवचनों से जीवन में नई ऊर्जा का संचार हुआ और समाज की सबसे बडी कुरूति दहेज प्रथा एवं शादियों में हो रही फिजूल खर्ची को रोकने का संदेश देते हुए कस्बा भुसावर में बिना दहेज की अनोखी शादी की जिससे हम पूरी तरह संतुष्ट हैं और खुश हैं।

वहीं दुल्हन बनी भरतपुर के कुम्हेर निवासी ललिता एवं ममता ने अपनी खुशी जाहिर कर बताया कि आज समाज में दहेज के नाम पर महिलाओं को कष्ट दिये जाते हैं कभी जलाया जाता है तो कभी जान से मार दिया जाता है। जिस कारण हमने बिना दहेज दिये शादी की और समाज में महिलाओं की रक्षा के लिए दहेज प्रथा को समाप्त करने का आव्हृान किया।

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