संगीतमयी कथा में भक्तिभाव झूमे नाचे श्रद्धालु
देशनोक । माँ जगदम्बा के दरबार देशनोक श्रीकरणी गौशाला परिसर में गौ- गुरु- गोविन्द महोत्सव समिति द्वारा आयोजित 9 दिवसीय कथा के बुधवार को 5 वा दिन भक्तिमय माहौल से सराबोर रहा।संगीतमयी कथा में उपस्थिति नर -नारी नोजवान- बुजुर्ग की उपस्थिति में कर्माबाई के गीत “थाली भरकर लाई खीचड़ो जीमो म्हारा श्याम जी” —ओर ” मांगो तो गया मईया से” आदि भजनो से गोभक्तों को भाव विभोर कर दिया । गौ गुरू ओर गोविन्द के प्रति अपना उद्गगार प्रकट करते हुवे।
साध्वी श्रद्धा गोपाल दीदी कहा गऊ माता का गोबर हमे अपने घर में होने वाले माँगिक कार्यो में उपयोग में लेना चाहिए।जिससे सभी प्रकार के दोष मुक्त हो जाते है।कितना छोटा या बड़ा कार्य हो सबसे पहले गौ माता को तृप्त कर ही भोजन उपयोग करना चाहिए।पुरानी परम्पराओ पर अपनी बात रखते हुए साध्वी जी ने कहा पहले लोग कन्या के साथ गऊमाता का भी दान करते थे।उसी परम्परा का निर्वहन करते हुवे हमे आज भी कन्यादान के साथ गऊ माता का दान करने से उस घर में लक्ष्मी के सम्रद्धि भी आती हैं।उन्होंने कहा कि गुरु दो प्रकार के होते है एक गुरु जो अपने चेलों मार्गदर्शन देता है और दूसरा सतगुरु जो गोविन्द से मिलता है।
गोविन्द की लीलाओं का बखान करते हुए कहा ठाकुर जी कभी बडे बडे पकवान या आडम्बरों से नही वो तो कर्माबाई के खीचड़े से भी खुश हो जाते है।उन्होंने कर्माबाई के जीवन के महत्वपूर्ण पहलू पर भी भक्तिभाव से चर्चा की।सन्त रघुवीर दास जी महाराज ने कहा भगवान की विशेष कृपा होती हैं तभी सन्तों सानिध्य प्राप्त होता है।शास्त्रों के अनुसार मनुष्य ही केवल ऐसा प्राणी जो स्वयं को पहचानता है।राग देष छोड़कर जनसेवा में अपना योगदान देना चाहिए।
सेवा भी जरूरत की जगह होनी चाहिए। मेलें – मगरियो में बेगर जरूरत की लगने वाली सेवा से दुरपयोग होता है और उसका लाभ जरूरतमन्द लोगों को नही मिलता ना ही वो सेवा जरूरत के लोगो को मिलती है।इस अवसर पर ” सुवा बाईसा” रामकिशोर जी महाराज का भी कथा समिति की ओर श्रीचंद , कन्हैयालाल,सवाई सिंह , घनश्याम आदि ने शॉल ओढ़ाकर माला पहनाकर कर आशीर्वाद लिया। कार्यक्रम के अंत में आरती हुई। जय माता दी