संस्थान में जीर्ण-शीर्ण अवस्था में दुर्लभ हस्तलिखित ग्रन्थ को जीवनदान मिलेगा
टोंक। मौलाना अबुल कलाम आजाद अरबी फारसी शोध संस्थान टोंक में प्रिज़र्वेशन एण्ड कन्ज़र्वेशन ऑफ मैन्यूस्क्रिप्ट्स का वर्कशाप में छात्र/छात्राओं द्वारा सराहनीय प्रदर्शन किया गया, जिससे जो संस्थान में जीर्ण-शीर्ण अवस्था में दुर्लभ हस्तलिखित ग्रन्थ को जीवनदान मिलेगा।

संस्थान के निदेशक साहबाजादा डॉ. सौलत अली खान ने बताया कि इस वर्कशाप में भारत के एक्सपर्ट ट्रेनर आईएमपीएसीटी के निदेशक एंव सालारजंग म्यूजियम, हैदराबाद के पूर्व क्यूरेटर अहमद अली व सआदत अली द्वारा जो कार्य सिखाया गया था उस कार्य को सफलतापूर्वक छात्र/छात्राओं ने नई पद्धति द्वारा किया।

हस्तलिखित ग्रन्थ जो संस्थान में जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है, हाथ लगाने से खराब हो सकते है उनको वैज्ञानिक तरीके से ट्रीटमेण्ट कर उनकी उम्र 400 वर्ष और बढा दी। प्रिज़र्वेशन एण्ड कन्ज़र्वेशन ऑफ मैन्यूस्क्रिप्ट्स का वर्कशाप जो एपीआरआई ने राजस्थान में प्रथम बार शुरू किया है उससे संस्थान को बहुत लाभ होगा क्योंकि इसके ट्रेनर आज हमे हैदराबाद और राजस्थान के बाहर से बुलाने पड़ते है।
अब इस प्रशिक्षण से हमारे यहां भी एक्सपर्ट उपलब्ध हो गये है। इस प्रशिक्षण से जो छात्र/छात्राऐं बेरोजगार है वो स्वंय भी अपना रोजगार शुरू कर सकते है और भारत सरकार के संस्थान इन छात्र/छात्राओं को बुलाकर इनकी सेवा लेगें।
यह कोर्स जो दो वर्ष का होता है परन्तु एक्सपर्ट ट्रेनर एंव संस्थान के निदेशक डॉ. सौलत अली खान के विशेष प्रयास से यह कोर्स 15 दिवस में पूर्ण किया जा सकेगा। इसमे छात्रों को नये कागज तैयार करना एंव कागज को किन-किन चीजों से नुकसान होता है यह बताना एंव पुरानी पद्धति से जो हस्तलिखित ग्रन्थों पर आज तक हमारे पूर्वज करते थे उसमे जो नुकसान होता था उसके स्थान पर नई पद्धति से हस्तलिखित ग्रन्थों की आयु बढाना संस्थान का मुख्य लक्ष्य है।