प्रयत्न संस्था की ओर से आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला में हुआ खुलासा
भरतपुर (राजेन्द्र जती )। चाहे लोकसभा हो या विधानसभा चुनाव विभिन्न राजनीतिक दलों के घोषणा पत्रों में 18 साल से कम आयु के बच्चों के लिए कोई वादे या कार्यक्रम शामिल नहीं किेय जाते । एक अध्ययन में इस बात का खुलासा हुआ है कि किसी भी राजनीतिक दल के घोषणा पत्र में इन बच्चों के अधिकारों कोप्राथमिकता नहीं दी गई थी।
जबकि कहा जाता है कि बच्चे देश का भविष्य हैं और वर्तमान में राज्य की कुल जनसंख्या का 43 प्रतिशत हिस्सा होने के बावजूद राजनीतिक दलों के लिए बच्चे उनकी प्राथमिकता नहीं रहते । इस बात का खुलासा बाल अधिकारों को लेकर प्रयत्न संस्था की ओर से आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला के समापन में हुआ।

कार्यशाला में न तो प्रशिक्षकों एवं आयोजकों द्वारा रूचि दिखाई न ही बच्चों ने जिसकी वजह से शिविर में कार्यक्रम चलता रहा और बच्चे दिनभर सोते रहे। हालांकि इस दो दिवसीय कार्यशाला का उद्देश्य बच्चों को उनकी समस्याओं और शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा एवं सहभागिता जैसे अपने मुद्दों को सबके सामने रखना था और रिसोर्स पर्सन की ओर से बच्चों के साथ तालमेल बैठाकर उनके मन की बातों को जानना था।
लेकिन सरकार की इस योजना को विभाग के आलाधिकारी ही चूना लगाते नजर आई और बच्चों के अधिकारों को लेकर हुई कार्यशाला महज एक खानापूर्ति बनकर रह गई। कार्यशाला का एक महत्वपूर्ण उददेश्य यह था कि प्रत्येक संभाग मुख्यालय पर हो रहे इन आयोजनों के माध्यम से आगामी होने वाले चुनावों में बच्चों के अधिकारी और उनकी समस्याओं को चुनावी घोषणा पत्र में शामिल किया जाये।
हालांकि ये बच्चे मतदाता नहीं है लेकिन इनके कल्याण के लिये घोषणा पत्र के लिए सुझाव आमंत्रित किये गये थे। प्रयत्न संस्थान ने रिसोर्स फ ॉर ह्यूमन राईट्स, यूनीसेफऔर एमिड संस्थान के साथ संयुक्त रूप से दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया। भरतपुर के स्वराज रिसोर्ट में आयोजित इस कार्यषाला में मुख्य रूप से 18 साल से कम आयु के बच्चों के अधिकारों को लेकर विस्तार से चर्चा की गई।
चर्चा के दौरान इस बात पर बल दिया गया कि राजस्थान में दिसम्बर 2018 के प्रथम सप्ताह में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। इस दौरान सभी राजनीतिक दल चुनावों में अपनी पार्टी का आगामी 5 वर्षों के लिए वादों और कार्यक्रमों से सुसज्जित घोषणा पत्र जनता के सामने रखेंगे। राजनीतिक दलों के इन घोषणा पत्रों में इन बच्चों के अधिकारों से संबंधित मुद्दों को प्रमुखता से शामिल किया जाए।
राजस्थान बाल अधिकार संरक्षण साझा अभियान और यूनिसेफ, राजस्थान के साथ प्रयत्न व अन्य संस्थाओं की पहल पर इस बार आगामी विधानसभा चुनाव में राजनीतिक दलों की ओर से जारी होने वाले घोषणा पत्रों में बच्चों के मुद्दों को शामिल कराने का प्रयास किया जा रहा है। इन्हीं मुद्दों को में रखते हुए यह दो दिवसीय संभाग स्तरीय कार्यशाला आयोजित की गई है।
भरतपुर संभाग की इस कार्यशाला में 10 से 18 वर्ष तक के करीब 170 बच्चे मुख्य सहभागी के रूप में षामिल हुए। कार्यषाला में इन बच्चों ने बड़े ही मुखर तरीके से चित्रकारीए संवाद के जरिए कार्यशाला की गतिविधियों में भाग लेते हुए अपनी समस्याओं से उपस्थित विशेषज्ञों के सामने रखा और समाज के विभिन्न कमजोर वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हुए अपना मांग पत्र प्रस्तुत किया।
इस मांग पत्र में उनके जीने का अधिकार, विकास का, संरक्षण का और सहभागिता का अधिकार जैसे मुद्दे शामिल हैं। संभाग स्तरीय इस मांग पत्र के आधार पर राज्य स्तरीय मांग पत्र तैयार किया जाएगा जिसमें बच्चों के मुद्दे शामिल होंगे। फिर यह मांग पत्र उन राजनीतिक दलों के साथ बांटा जाएगा जो चुनाव लड़ रहे हैं।