जहाजपुर (आज़ाद नेब) क्षेत्र में संचालित ईंट भट्टों पर बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ किया जा रहा है। जहां पर बच्चों को शिक्षा देने के बजाय उनसे मजदूरी कराई जा रही है। ईंट भट्टों पर बाहरी राज्यों आए मजदूरों कोरोना महामारी का टीका नहीं लगा है। भट्टों पर जाकर मजदुरों से टीकाकरण की जानकारी ली गई तो किसी मजदूर पांच तो किसी ने तीन टीके लगवाने की बात कही।
क्षेत्र में संचालित ईंट भट्टों पर नियम के अनुसार मजदूरों के लिए शौचालय, पीने का पानी, ओर उनके बच्चों के शिक्षा का इंतजाम होना चाहिए लेकिन ऐसा कुछ नहीं हैं। मौजूदा हालत में जो सहूलियतें मजदूरों को दी गई है, बदतर है। संतुलित भोजन की कमी के चलते मासूम बच्चे कुपोषण का भी शिकार हो रहे हैं।
इन्हें शिक्षा और मूलभूत स्वास्थ्य सुविधाएं तक नहीं मिलती।बचपन से महरूम रहते हुए ये मासूम इन्हीं भट्टों में बड़े होते हैं और फिर इनकी ज़िंदगी इन्हीं भट्ठों में गुम हो जाती है। ईंट बनाने वाले ये बच्चे अपने कच्चे घरों को ही एक दिन अपना भविष्य मान लेते हैं। सारी जानकारी से बेखबर प्रशासन गहरी नींद में सोया है।