भरतपुर(राजेन्द्र जती )। संभाग के सबसे बड़े अस्पताल बाबू राजबहादुर मेमोरियल हॉस्पिटल में आज सिस्टम की जटिलता के चलते समय पर चिकित्सा सुबिधा नही मिलने से एक वृद्ध की तड़फते हुए मौत हो गई। अस्पताल के भीतर हुई वृद्ध की मौत ने न केवल अस्पताल प्रशासन बल्कि चिकित्सा विभाग की कार्यशैली को सवालों के घेरे में ला दिया है। जानकारी के मुताबिक सेवर थाने के गणेश नगर कॉलोनी निवासी एक वृद्ध को लेकर उसके परिजन गुरूवार की सुबह गंभीर हालत में अस्पताल लेकर पहुंचे थे।
वृद्ध को घबराहट और और बेचैनी की शिकायत थी जिस पर हॉस्पिटल के रेजिडेंट डॉ रामचंद्र यादव को दिखाया जिन्होंने वृद्ध को भर्ती कर लिया लेकिन आउटडोर से वार्ड तक मरीज को ले जाने के लिए अस्पताल में स्ट्रेचर तक उपलब्ध नहीं हो सकी जिसके चलते वृद्ध की तबीयत बिगड़ने लगी और अस्पताल की बेंच पर पड़े हुए तड़पते हुए वृद्ध को अस्पताल के स्टाफ ने ट्रोमा यूनिट में भेज दिया जहां उसका ट्रीटमेंट होने की बजाय उस वृद्ध को पुनः आउटडोर के लिए भिजवाया गया इस दौरान तड़पते हुए वृद्ध ने अपने प्राण त्याग दिए। बाद में जब आउटडोर में डॉक्टरों ने वृद्ध का परीक्षण किया तो उसे मृत पाया गया
लेकिन अपनी लापरवाही को छिपाने के लिए हॉस्पिटल स्टाफ ने मृतक वृद्ध को ही वार्ड में शिफ्ट किया और उसको प्राइमरी ट्रीटमेंट देने का दिखावा करते रहे। आज हॉस्पिटल में हुई इस घटना के बाद हर किसी के मुंह पर एक ही बात निकल कर आ रही थी कि भरतपुर के आर बी एम हॉस्पिटल में तो भगवान ही रखवाला है यहां पर डॉक्टर सुनते ही नहीं यहां का पूरा सिस्टम बिगड़ा हुआ पड़ा है आज अगर उस मरीज को समय रहते इलाज मिल जाता तो उसकी जान बच सकती थी हम आपको बता दें कि मृतक के भतीजे श्याम सुंदर ने बताया कि वह एक से डेढ़ घंटे तक पूरे हॉस्पिटल में इधर से उधर घूम रहा था पर कोई सुनने को तैयार नहीं है उसने कहा कि अब मरे हुए व्यक्ति को दोबारा क्यों भर्ती कर रहे हो यह तो पहले ही दम तोड़ चुका है
आनन-फानन में डॉक्टरों ने अपनी जिम्मेदारी ना निभाते हुए एक दिखावा करना शुरू कर दिया मृतक को वार्ड के अंदर भर्ती कराया गया और वहां पर अंतिम सांस लेते रहे मरीज को ट्रीटमेंटदिया जा रहा था लेकिन उसकी सांस तो पहले ही टूट चुकी थी।