कई दवाओ पर होगा बैन, प्रतिबंध से 1.18 लाख करोड़ रुपए के फार्मा उद्योग से 1500 करोड़ रुपए के कारोबार पर संकट

liyaquat Ali
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नई दिल्ली। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने हाल ही में 328 दवाओं पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया हैं किया है। एक माह पहले उसके टेक्निकल एडवाइजरी बोर्ड ने ऐसी सिफारिश की थी यही नहीं मंत्रालय 6 और दवाओं के उत्पादन, बिक्री और वितरण पर रोक लगाएगा। इस प्रतिबंध से 1.18 लाख करोड़ रुपए के फ ार्मा उद्योग से 1500 करोड़ रुपए का कारोबार बंद हो जाएगा।

जिन दवाओं पर प्रतिबंध लगाया गया है उनमें सिरदर्द समेत कई रोगों की दवाएं शामिल है मसलन पिरामल की सेरीडॉन, मेक्लॉयड्स फ ार्मा की पेनडर्म प्लस क्रीम और एल्केम लैबोरेट्रीज की टेक्सिम एजेड शामिल है। अच्छी बात यह है कि सरकार लोकप्रिय कफ सिरप और सर्दी-जुकाम की दवाओं को बंद नहीं कर रही है कुछ मीडिया रिपोर्ट में दावा है कि जुकाम, खांसी की दवा भी बंद हो जाएगी।

’सेरिडॉन बंद हुई लेकिन डीकोल्ड टोटल नहीं’

ईटी की रिपोर्ट के मुताबिक सरकार ने सिर दर्द में ली जाने वाली सेरिडॉन को तो बंद कर दिया लेकिन डीकोल्ड टोटलए फेंसेडाइल और ग्राइलिंकट्स को बंद नहीं किया है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि सिर्फ टेक्निकल बोर्ड की सिफ ारिश पर इन दवाओं को बंद न किया जाए। कोर्ट का कहना है कि सिर्फ इसलिए इन दवाओं को बंद कर दिया जाए क्योंकि ये 1988 से पहले की निर्मित है ड्रग टेक्निकल एडवाइजरी बोर्ड के ताजा नोटिफि केशन के मुताबिक 328 कॉम्बिनेशन मेडिसिन बंद की गई है ये फिक्स्ड डोज कॉम्बिनेशन में आती है इन्हें इसलिए बंद किया जा रहा है क्यों इनका कोई थेरेप्टिक जस्टिफि केशन नहीं है। बोर्ड का कहना है कि ये दवाएं रोगियों के लिए रिस्की भी हैं।

’कई नामचीन कंपनियों के ब्रांड शामिल’

नोटिफि केशन के मुताबिक जुकाम, खांसी और डिप्रेशन की दवाओं पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया है जिन ब्रांडों की दवाएं बंद की गई हैं उनमें माइक्रोलैब ट्राईप्राइड ,बॉट ट्राइबेट और ल्यूपिन ग्लूकोनॉर्म शामिल है,् सुप्रीम कोर्ट ने बीते साल 328 फि क्स्ड डोज मिश्रण (एफडीसी) वाली दवाओं का फि र से परीक्षण कराने को कहा था इससे पहले इन दवाओं पर लगाई गई रोक को दिल्ली हाईकोर्ट ने निरस्त कर दिया था।


केन्द्र सरकार ने कोकाटे समिति की सिफ ारिश पर 10 मार्च 2016 को एफ डीसी दवाओं पर रोक लगा दी थी शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा था मामले का गहराई से विश्लेषण करने के लिए हमारा मानना है कि इन मामलों को डीटीएबी या फि र डीटीएबी द्वारा गठित उप समिति को भेजा जाना चाहिए ताकि इन मामलों में नये सिरे से गौर किया जा सके। न्यायालय ने कहा था कि डीटीएबी और इस कार्य के लिये गठित होने वाली उप समिति दवा विनिर्माताओं का पक्ष सुनेगी समिति इस मामले में गैर सरकारी संगठन आल इंडिया ड्रग्स एक्शन नेटवर्क की बात भी सुनेगी।

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