
इंदौर
लोकसभा चुनाव 2019 के लिए अब 23 मई का इंतजार हर किसी को है।
साल 2019 में शनि और राहू का दृष्टि संबंध बन रहा है। बताते चलें कि सबसे मजबूत युति संबंध होता है, उसके बाद दृष्टि संबंध को स्थान दिया जाता है। राहु तो हमेशा ही वक्री रहता है। मगर, साल 2014 में भी शनि ग्रह वक्री थे और 2019 में भी शनि की चाल वक्री ही है। शनि को ज्योतिष में धीमे चलने वाला ग्रह कहा जाता है और यह स्थायित्व का कारक है। लिहाजा, कहा जा सकता है कि जो भी सरकार बनेगी वह स्थायी और मजबूत होगी।
पिछली बार यानी मई 2014 में भी सूर्य और बुध वृष राशि में थे और इस समय भी ये दोनों ग्रह वृष राशि में गोचर कर रहे हैं। स्वतंत्र भारत का लग्न भी वृष का है, जो स्थिर राशि मानी जाती है। इस राशि में यह युति बनने से नई सरकार के स्थिर और मजबूत बनने का संकेत मिलता है। स्वतंत्र भारत की कुंडली में सूर्य चौथे भाव का स्वामी है, जिसे जनता का भाव माना जाता है।
लिहाजा, जनता जिसे भी चुनेगी, पूर्ण बहुमत से चुनेगी, जिसमें जोड़-तोड़ से सरकार बनने का संकेत नहीं है।हालांकि, अंतर यह है कि साल 2014 में भारत वर्ष की कुंडली में सूर्य की महादशा चल रही थी। इस समय चंद्रमा की महादशा चल रही है। स्वतंत्र भारत की कुंडली में सूर्य और चंद्र तीसरे यानी पराक्रम के भाव में बैठे हैं। लिहाजा, जो भी पार्टी सरकार बनाएगी, उसे अपना पूरा रणकौशल दिखाना होगा और जबरदस्त पराक्रम से काम करना होगा।
गुरू साल 2014 में वक्री नहीं थे, लेकिन 2019 में वृश्चिक राशि में वक्री होकर बैठे हैं। वृश्चिक राशि स्थिर राशि है, यह संघर्ष को दिखाती है। लिहाजा, इस बार सरकार बनाने वाले दल को काफी मेहनत करनी होगी।
हिंदुस्तानी लोकतंत्र का सरताज बनने की ख्वाहिश तो कई नेता अपने दिलों में पाले बैठे हैं। उम्मीद भी जता रहे हैं कि उनके द्वारा किए गए वादों पर जनता-जनार्दन भरोसा करेगी और देश की बागडोर उनके हाथों में सौंपेगी। मगर, क्या कहते हैं इन राजनेताओं के तारे, आखिर कितने बुलंद है इनके सितारे। राजयोग किसको सत्ता के शीर्ष पर पहुंचाएगा और कौन मात खा कर गर्दिश में चला जाएगा। ज्योतिष योग के जरिए सत्तासुख के ऐसे ही अवसरों को जानने की कोशिश की गई है।