सूने गांवों को आबाद कर रहा कोरोना

liyaquat Ali
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फर्रुखाबाद / चन्द्रपाल सिंह सेंगर (हि.स.)। कोरोनावायरस की वजह से खंडहर में तब्दील हो रहे गांव एक बार फिर रोशन हो गए हैं। शहर कमाने गए लोगों के कोरोना वायरस की वजह से गांव वापस लौटने से जहां गांव फिर आबाद हो गए हैं, वही इन परदेसी बाबुओ ने अपने घरों को चमका कर शहर से बेहतर बना दिया है।
मौजूदा समय में देखा जाए तो गांव में अब कोई कच्चा मकान नजर नहीं आ रहा है। कोरोना काल में गांव के सभी मकान पक्के हो गए हैं। कोरोना काल में जहां गांवों में फिर रौनक लौट आई है, वही ईट भट्टा मालिकों की बिक्री जमकर हुई है। बानगी के तौर पर ग्राम सभा कमालपुर को ही ले लिया जाए तो यहां के लगभग डेढ़ हजार लोग पंजाब, दिल्ली, हरियाणा, कानपुर महानगरों में नौकरी करने चले गए थे। गांव से इन युवाओं को लगाव पूरी तरह से खत्म हो गया था और यह गांव को भूल कर शहरी बाबू बन गए थे। शहर कमाने गए पेशकार सिंह सहित सैकड़ों का कहना है कि जब जब मौत सामने नाची तो उन्हें अपना गांव याद आया। संक्रमण के भय से सभी गांव वाले शहर से अपने अपने घरों को वापस लौट आए।
उन्होंने घर लौटने के बाद यहां समय व्यतीत नहीं किया। वह अपने मकानों को चमकाने में लग गए। शहर से वह जो पैसा कमा कर लाए थे उन्होंने अपने टूटे-फूटे मकान में लगाकर उन्हें रोशन कर दिया। आज जिले में कोई गांव ऐसा नहीं है जिसमें कच्चा मकान दिखाई दे रहा हो। कोरोना काल में आलू की बड़ी कीमत और शहरी बाबुओं के वापस गांव आने से सभी ने अपने अपने घरों को चमका दिया है। वैसे युवा गांव से शहर के लिए पलायन कर रहा था, लेकिन अब शहर गया युवा अपने गांव लौट आया है और खेती-बाड़ी में फिर से लग गया है। गांव के अवधेश सिंह, बृजेश सहित सैकड़ों लोग बताते हैं कि गांव से बढ़िया जीवन कहीं का नहीं है। जिस तरह से उन्होंने कई दशक शहर में नौकरी करने में बिताए, यदि इतना समय अपने खेतों में खर्च किया होता तो आज वह मालामाल होते। यही सोचकर वह अब अपनी खेती बाड़ी में जुट गए हैं और गांव के मकानों को उन्होंने शहर से बढ़कर चमका दिया है।
इस संबंध में ग्राम प्रधान रघुवीर राठौर का कहना है कि उनके गांव में आज एक भी मकान कच्चा नहीं है। कोरोना काल से पहले 30 फीसदी मकान कच्चे थे तथा युवाओं के शहर चले जाने से 20 फीसदी मकान खंडहर में तब्दील हो रहे थे। जो आज फिर आबाद हो गए हैं। कोरोना ने गैर आबाद गावो को फिर आवाद कर दिया है। निश्चित ही कोरोना से भारी जन हानि हुई है, लेकिन कोरोना ने खंडहर में तब्दील हुए गांवों को रोशन कर गया है। आज गांव में में फिर रौनक नजर आने लगी है। कभी सूने पड़े रहने वाले गांव फिर आबाद हो गए हैं। तीज त्यौहार पर गांवों में रौनक लौट आई है। सबसे बड़ी बात यह है कि कोरोनावायरस का असर भी ग्रामों में कम हो रहा है। गांव के लोग सामाजिक दूरी का पूरी तरह से ध्यान रख रहे हैं इस वजह से कोरोना सूने पड़े मकानों को फिर आबाद होने का मौका दे रहा है।
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