सेना में सिर्फ 19% दुर्घटनाएं खराब हथियारों से हुईंः ओएफबी 

Dr. CHETAN THATHERA
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​​नई दिल्ली / सुनीत निगम​​।​ ​पिछले ​6 साल में ​​खराब गोला-बारूद की वजह से 27 जवानों की मौत होने और 960 करोड़ का नुकसान होने की सेना की आंतरिक रिपोर्ट को ऑर्डिनेंस फैक्टरी बोर्ड (ओएफबी) ने भी पूरी तरह से नहीं नकारा है। ओएफबी का कहना है कि सिर्फ 19 प्रतिशत दुर्घटनाएं ही ओएफबी से सप्लाई हुए सामानों में खामियों की वजह से हुई हैं, बाकी तोप और दूसरे हथियारों के खराब रख-रखाव, गलत फायरिंग-ड्रिल और मनमाने ढंग से किये गए फेरबदल के चलते हुई हैं। यह मामला तब सामने आया है जब ​केंद्र सरकार ने आयुध निर्माणी बोर्ड (ओएफबी) को एक या एक सौ प्रतिशत से अधिक सरकारी स्वामित्व वाली कॉरपोरेट संस्थाओं में परिवर्तित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।

  दरअसल भारतीय सेना ने ​एक आंतरिक रिपोर्ट रक्षा मंत्रालय को सौंपी है, जिसमें कहा गया है कि 2014 से 2020 के बीच ऑर्डिनेंस फैक्टरी बोर्ड की फैक्टरियों से ​खराब क्वालिटी के ​23​एमएम के एयर डिफेंस शेल, आर्टिलरी शेल, 125एमएम का टैंक राउंड समेत अलग-अलग कैलिबर की बुलेट्स की आपूर्ति किये जाने की वजह से 403 दुर्घटनाएं हुई हैं। इसकी वजह से 27 जवानों की मौत होने और 159 जवानों के घायल होने का जिक्र रिपोर्ट में किया गया है। इस रिपोर्ट में छह साल का आंकड़ा देते हुए बताया गया है कि 2014 में 114, 2015 में 86, 2016 में 60, 2017 में 53, 2018 में 78 और 2019 में 16 दुर्घटनाएं हो चुकी हैं। ये सभी दुर्घटनाएं खराब गुणवत्ता की एयर डिफेन्स, आर्टिलरी, हथियार और इन्फैंट्री की आपूर्ति किये जाने की वजह से हुई हैं। 


सेना की आंतरिक रिपोर्ट में कहा गया है कि इस वजह से 2014 में एक जवान की मौत हुई और 16 घायल हुए। 2015 में मौत तो कोई नहीं हुई लेकिन 14 जवान हताहत हुए। इसी तरह 2016 में 19 जवान की मौत हुई और 28 जवान घायल हुए। 2017 में एक जवान की मौत और 18 घायल, 2018 में 3 जवानों की मौत और 43 घायल, 2019 में 3 जवानों की मौत हुई और 28 घायल हुए। 2020 में अब तक किसी की मौत तो नहीं हुई है लेकिन 13 जवान घायल हो चुके हैं। सेना की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अप्रैल 2014 से अप्रैल 2019 तक ओएफबी से 960 करोड़ रुपये की खरीद की गई है जिसमें 658.58 करोड़ रुपये का सामान खुद ही खराब हो गया। अन्य 303.23 करोड़ रुपये कीमत की माइन्स मई, 2016 में ​पुलगांव (महाराष्ट्र) में आग लगने की वजह से नष्ट हो गईं। इस तरह सेना ने अपनी रिपोर्ट में 960 करोड़ रुपये का नुकसान होने का अनुमान लगाया है। 


​​ऑर्डिनेंस फैक्टरी बोर्ड ​(​​​​ओएफबी) ​ने सेना की आंतरिक रिपोर्ट को पूरी तरह तो नहीं नकारा है लेकिन एक बयान में यह स्वीकार किया है कि ​19 प्रतिशत दुर्घ​​टनाएं ओएफबी की वजह से हुई हैं​।​ ​बाकी​ तोप और दूसरे हथियारों के खराब रख-रखाव, गलत फायरिंग-ड्रिल और मनमाने ढंग से किये गए फेरबदल के चलते हुई हैं​​।​​ ​​ओएफबी​ का कहना है कि सेना जिन 27 सैनिकों की ​मौत ​पिछले छह सालों में ​होना बता रही है, उनमें से 19 सैनिकों की मौत तो वर्ष 2016 में महाराष्ट्र के ​​पुलगांव में गोला-बारूद में लगी आग के कारण​ हुई थी​​​​।​ ओएफबी ने बुधवार को एक बयान जारी कर सिलसिलेवार तरीके से थलसेना की उस रिपोर्ट को खारिज ​करने की कोशिश की है, ​जिसमें ओएफबी ​की खराब ​आपूर्ति को जिम्मेदार ठहराया गया था​​​​।​ ​


ओएफबी ​का कहना है कि सेना ने अपनी आंतरिक रिपोर्ट में ​जिन 403 दुर्घटनाओं का जिक्र किया है, उसमें से 125 ​दुर्घटनाओं में ​ओएफबी ​का गोला-बारूद ​नहीं था​​​।​​ अन्य दुर्घटनाओं के बारे में बोर्ड का कहना है कि यह सभी ​वर्ष 2006 से ​भी पुराने ​​गोला-बारूद के चलती हुई हैं​​​​​​।​ ​​ओएफबी ​ने कारगिल युद्ध के दौरान विदेश से ​खरीदे गए ​522.44 करोड़ ​के गोला-बारूद ​की गुणवत्ता खराब बताते हुए कहा है कि इस पैसे से 55 तोपें खरीदी जा सकती थी​​। ओएफबी का ​यह ​जवाब सेना के उस तर्क पर आया है, जिसमें कहा गया था कि पिछले छह साल में ​​ओएफबी​ ने ​960 करोड़ ​कीमत का खराब गोला-बारूद ​आपूर्ति किया, इतनी रकम में 100 मीडियम गन्स यानि (छोटी) तोपें खरीदी जा सकती थीं​​।

​हिन्दुस्थान समाचार

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चेतन ठठेरा ,94141-11350 पत्रकारिता- सन 1989 से दैनिक नवज्योति - 17 साल तक ब्यूरो चीफ ( भीलवाड़ा और चित्तौड़गढ़) , ई टी राजस्थान, मेवाड टाइम्स ( सम्पादक),, बाजार टाइम्स ( ब्यूरो चीफ), प्रवासी संदेश मुबंई( ब्यूरी चीफ भीलवाड़ा),चीफ एटिडर, नामदेव डाॅट काम एवं कई मैग्जीन तथा प समाचार पत्रो मे खबरे प्रकाशित होती है .चेतन ठठेरा,सी ई ओ, दैनिक रिपोर्टर्स.कॉम