SBI ने अपने ग्राहकों किया अलर्ट ,आप QR कोड स्कैन पेमेंट के करें तो रहें सतर्क

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QR code: आज के दौर में कांटैक्टलेस पेमेंट (Contactless Payment) की वजह से QR कोड का इस्तेमाल तेजी से बढ़ा है। QR कोड के बढ़ते इस्तेमाल के साथ इससे जुड़े खतरे भी बढ़ने लगे हैं। QR कोड ने आनलाइन पेमेंट की प्रक्रिया को काफी सहज बना दिया है। हालांकि कुछ लोग इसका इस्तेमाल दूसरों को ठगने के लिए कर रहे हैं।

SBI ने यूजर्स को अलर्ट किया है कि पैसे प्राप्त करने के लिए QR कोड का इस्तेमाल कभी नहीं किया जाता है। इसलिए कोई पैसे प्राप्त करने के लिए QR कोड स्कैन करने के लिए कहता है, तो ऐसा करने से बचना चाहिए। QR कोड के जरिए पेमेंट करते हैं, तो फिर जान लीजिए इससे जुड़ी जरूरी बातें|

इन दिनों अगर पेट्रोल पंप पर जाएं, दुकान पर जाएं या फिर दूध लेने, हर जगह पेमेंट के लिए QR कोड (क्विक रिस्पांस) का इस्तेमाल होता है। एक तो यह कांटैक्टलेस पेमेंट सिस्टम है, दूसरा पेमेंट करने में भी सुविधाजनक है। इसलिए लोगों को QR कोड के जरिए पेमेंट करना पसंद आ रहा है। साथ ही, कैश लेकर चलने वाले झंझट से भी बच जाते हैं। लेकिन इन दिनों QR कोड का इस्तेमाल ठगी के लिए भी किए जाने लगा है।

अगर QR कोड स्कैन करते हैं, तब भी अपना UPI पिन दर्ज न करें, जब तक कि आप पैसे नहीं भेजना चाहते। आपको बता दें कि पैसे प्राप्त करने के लिए आपको अपना UPI पिन दर्ज करने की जरूरत नहीं होती है। इसलिए आपको ध्यान रखना चाहिए कि केवल और केवल पैसे भेजने के लिए केवल QR कोड का इस्तेमाल करें और पैसे प्राप्त करने के लिए नहीं।

जब भी आपसे एक निश्चित राशि भेजने के लिए कहा जाए, तो Google Pay, BHIM, SBI Yono योनो आदि जैसे UPI एप का इस्तेमाल करके QR कोड को स्कैन करें और फिर लेन-देन की पुष्टि करने के लिए राशि और अपना UPI पिन दर्ज करें।

 क्यूआर का मतलब होता है क्विक रिस्पांस। QR कोड देखने में सिंपल लग सकता है, लेकिन यह अपने अंदर बहुत सारा डाटा स्टोर करने में सक्षम है। चाहें क्यूआर कोड के अंदर कितना भी डाटा क्यों न हो, स्कैन करने के बाद तुरंत उसे एक्सेस किया जा सकता है।

इसलिए इसे क्विक रिस्पांस कोड भी कहा जाता है। क्यूआर कोड एक प्रकार का Barcode होता है, जिसे डिजिटल डिवाइस द्वारा आसानी से पढ़ा जा सकता है। QR कोड का इस्तेमाल प्रोडक्ट के बारे में जानकारी ट्रैक करने के लिए किया जाता है।

आजकल बहुत सारे स्मार्टफोन में इन-बिल्ट क्यूआर रीडर होते हैं, जिसका इस्तेमाल अक्सर मार्केटिंग और एडवरटाइजिंग केंपेन के लिए किया जाता है। पहली QR कोड सिस्टम का आविष्कार 1994 में जापानी कंपनी डेंसो वेव द्वारा किया गया, जो Toyota की एक सहायक कंपनी थी। निर्माण प्रक्रिया के दौरान वाहनों और पुर्जो को ट्रैक करने के लिए उन्हें अधिक सटीक तरीके की जरूरत थी। इसलिए उन्होंने एक प्रकार का बारकोड विकसित किया।

बारकोड और क्यूआर कोड में फर्क आपको बता दें कि स्टैंडर्ड बारकोड को केवल एक ही दिशा में पढ़ा जा सकता है – ऊपर से नीचे। इसका मतलब है कि ये केवल थोड़ी मात्रा में जानकारी स्टोर कर सकता है।

आमतौर पर ये अल्फान्यूमेरिक प्रारूप में होते हैं, लेकिन QR कोड को दो दिशाओं में पढ़ा जाता है – ऊपर से नीचे और दायें से बायें। इसमें काफी डाटा स्टोर करने की सुविधा होती है। QR कोड में वेबसाइट URL, फोन नंबर या टेक्स्ट के सहित करीब 4,000 अक्षरों तक को स्टोर किया जा सकता है।

QR कोड का इस्तेमाल पेमेंट के अलावा, एप डाउनलोड करने, आनलाइन एकाउंट को आथेंटिक करने के साथ लागइन डिलेट को सत्यापित करने के लिए भी किया जा सकता है। QR कोड को डेवलप करने के पीछे उद्देश्य यह था कि समय की बर्बादी न हो। डेंसो वेव ने अपना क्यूआर कोड सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराया और घोषणा की थी कि वे अपने पेटेंट अधिकारों का प्रयोग नहीं करेंगे। इसका मतलब था कि कोई भी QR कोड बना और इस्तेमाल कर सकता था।

 QR कोड स्टेटिक इमेज है, जिसे हैक नहीं किया जा सकता है, लेकिन इसे कोई आसानी से बदल सकता है। क्यूआर कोड के साथ सबसे बड़ा जोखिम यह है कि जब तक आप इसे स्कैन नहीं करेंगे, तब तक जान नहीं पाएंगे कि कोड के पीछे क्या है|

आज विभिन्न प्रकार की वस्तुओं और सेवाओं के भुगतान के लिए क्यूआर कोड का उपयोग किया जा रहा है, जहां यूजर बस अपने बैंकिंग एप के साथ क्यूआर कोड को स्कैन करता है। यहां जालसाज क्यूआर कोड बना सकता है। अगर स्कैन करने पर ट्रेस्टेड सोर्स न दिखे, तो फिर पेमेंट करने से बचना चाहिए।

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