नई दिल्ली/ राजस्थान की सियासत मे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच चल रही राजनैतिक वर्चस्व की लडाई के बीच कांग्रेस शासित प्रदेश पंजाब के सीएम पद से पदच्युत हुए पंजाब के पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा है कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को अपना प्रदेश संभालना चाहिए।
गहलोत आज पंजाब की राजनीति पर कुछ भी टिप्पणी न करें गहलोत अच्छे इंसान है, लेकिन उन्हें अपना प्रदेश संभालना चाहिए। कैप्टन ने गहलोत पर यह टिप्पणी एक न्यूज चैनल की संवाददाता के सवाल पर की।
कांग्रेस नेतृत्व को कर रही गुमराह
कैप्टन ने राजस्थान के मुख्यमंत्री गहलोत का नाम लिए बिना कटाक्ष करते हुए कहा कि मैं उन मुख्यमंत्रियों में से नहीं हूं जो अपने समर्थक विधायकों को बसों में भरकर इधर उधर छिपाते हैं। मुझे इस बात का दुख है कि मुझे अपमानित कर मुख्यमंत्री के पद से हटाया गया।
मैंने कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी के समक्ष इस्तीफे की पेशकश कर दी थी, लेकिन तब सोनिया गांधी ने मना कर दिया। यही वजह रही कि 17 सितंबर को इस्तीफे की बात कहने से पहले सोनिया गांधी ने कहा, अमरिंदर आई एम वेरी सोरी। कैप्टन ने कहा कि मैं सोनिया गांधी की मजबूरी को समझता हंू।
केसी वेणुगोपाल, हरीश रावत, अजय माकन, रणदीप सिंह सुरजेवाला जैसे सलाहकार कांग्रेस नेतृत्व को गुमराह कर रहे हैं।
वह अपनी कुर्बानी देने के लिए तैयार
सिद्धू तो पंजाब की सुरक्षा के लिए भी खतरा है। पाकिस्तान के पीएम इमरान खान और आर्मी चीफ जनरल बाजवा के साथ सिद्धू के जैसे मित्रतापूर्ण संबंध है, उनमें सिद्धू को कैसे मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है? पंजाब सीमावर्ती राज्य है, यदि सिद्धू मुख्यमंत्री बनते हैं तो राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा हो जाएगा।
सिद्धू को रोकने के लिए वे किसी भी प्रकार की कुर्बानी देने को तैयार है। कैप्टन ने कहा कि पाकिस्तान से लगातार हथियार आ रहे हैं, इनमें टिफिन बम भी शामिल हैं। यानी पाकिस्तान में बैठे आतंकी पंजाब की स्कूलों में भी विस्फोट करने की योजना बना रहे हैं।
प्रियंका और राहुल में राजनैतिक अनुभव की कमी
कैप्टन ने माना कि जिस तरह उन्हें मुख्यमंत्री के पद से हटाया गया, उससे जाहिर है कि प्रियंका गांधी और राहुल गांधी ने अभी राजनीतिक अनुभव की कमी है।
कैप्टन ने कहा कि अभी उन्होंने अपनी रणनीति नहीं बनाई है, वे अपने साथियों से विचार विमर्श करने के बाद निर्णय लेंगे कि कांग्रेस में रहना है या फिर अलग पार्टी बनानी है।