पवन जल्लाद फिर आया चर्चा मे , कौन है यह जाने पूरी कहानी

Dr. CHETAN THATHERA
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मेरठ/ पिछले साल निर्भया मामले के चारों आरोपियों को फांसी पर लटकाने वाला पवन जल्लाद अब एक बाल फिर चर्चा मे आ गया है क्योंकि अब पवन देश की पहली महिला शबनम को फांसी पर लटकाने की तैयारी मे जुट गया है ।

पवन जल्लाद मेरठ का रहने वाला है कई पीढ़ियों से वो इसी शहर में रह रहा है और निर्भया मामले में चारों गुनाहगारों को फांसी देने के बाद इस शहर के लोग शायद उसे पहचानने लगे हैं । वैसे आमतौर पर वो पार्ट टाइम तौर पर कपड़ा बेचने का काम करता है। देश में अब इक्का-दुक्का अधिकृत जल्लाद ही बचे हैं, जो ये काम कर रहे हैं । पवन की उम्र 57 साल है और फांसी देने के काम को वो महज एक पेशे के तौर पर देखते हैं ।

4 दशक से पीढियां कर रही है फांसी देने का काम

बाप और दादा भी देते रहे हैं फांसी
हालांकि इस काम से जुड़े हुए उसे चार दशक से कहीं ज्यादा हो चुके हैं । जब वो किशोरवय में था तब अपने दादा कालू जल्लाद के साथ फांसी के काम में उन्हें मदद करता था । कालू जल्लाद ने अपने पिता लक्ष्मण सिंह के निधन के बाद 1989 में ये काम संभाला था ।।

पवन के दादा ने इतनो को लटकाया फांसी पर

कालू ने अपने करियर में 60 से ज्यादा लोगों को फांसी दी इसमें इंदिरा गांधी के हत्यारों सतवंत सिंह और केहर सिंह को दी गई फांसी भी शामिल है और उन्हें फांसी देने के लिए कालू को विशेष तौर पर मेरठ से बुलाया गया था और इससे पहले वह रंगा और बिल्ला को भी फांसी पर लटका चूके है

 

कैसे सीखी फांसी की तकनीक

पवन ने पहले अपने दादा और फिर पिता से फांसी की तकनीक सीखी रस्सी में गांठ कैसे लगनी है और कैसे फांसी देते समय रस्सी को आसानी से गर्दन के इर्द-गिर्द सरकाना है,कैसे रस्सी में लूप लगाए जाने हैं, कैसे फांसी का लीवर सही तरीके से काम करेगा और फांसी देने के पहले कई दिन ड्राई रन होता है, जिसमें फांसी देने की प्रक्रिया को रेत से भरे बैग के साथ पूरा करते हैं।। कोशिश ये होती है कि जिसे फांसी दी जा रही हो, उसे कम से कम कष्ट हो।

किस तरह की प्रैक्टिस होती है फांसी से पहले

पवन फांसी देने की ट्रेनिंग के तौर पर एक बैग में रेत भरते हैं और उसका वजन मानव के वजन के बराबर होता है और इसी को रस्सी के फंदे में कसकर वो ट्रेनिंग को अंजाम देते हैं । बार-बार प्रैक्टिस इसलिए होती है कि जिस दिन फांसी देनी हो, तब कोई चूक नहीं हो।

80 से ज्यादा फांसी में शामिल

पवन ने अपने दादा और पिता के साथ मदद देने के दौरान करीब 80 फांसी देखीं और उसके पिता मम्मू सिंह ने कालू जल्लाद के मरने के बाद जल्लाद का काम शुरू किया इससे पहले मुंबई हमले के दोषी अजमल कसाब को पुणे की जेल में फांसी देने के लिए मम्मू सिंह को ही मुकर्रर किया गया था लेकिन इसी दौरान मम्मू का निधन हो गया तब बाबू जल्लाद ने ये फांसी दी।

दावा पवन के दादा ने गत सिह को दी फांसी

पवन का दावा है कि उसके बाबा लक्ष्मण सिंह ने अंग्रेजों के जमाने में लाहौर जेल में जाकर भगत सिंह और उनके साथियों को फांसी दी थी। बल्कि जब लक्ष्मण सिंह ने अपने बेटे कालू को जल्लाद बनाने के मेरठ जेल में पेश किया तो उनके बड़े बेटे जगदीश को ये बात बहुत बुरी लगी थी और तब लक्ष्मण सिंह ने कहा था कि फांसी देने का शराबियों और कबाबियों का नहीं होता।

बेटा नहीं बनेगा जल्लाद

पवन का परिवार सात लोगों का है ।। हालांकि ये तय है कि उनका बेटा जल्लाद नहीं बनने वाला, क्योंकि वो ये काम नहीं करना चाहता। पवन को
मेरठ जेल से उसे हर महीने 5000 रुपए पगार के रूप में मिलते हैं।। फांसी देने से पहले पवन जल्लाद मां काली ची पूजा करता है ।

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चेतन ठठेरा ,94141-11350 पत्रकारिता- सन 1989 से दैनिक नवज्योति - 17 साल तक ब्यूरो चीफ ( भीलवाड़ा और चित्तौड़गढ़) , ई टी राजस्थान, मेवाड टाइम्स ( सम्पादक),, बाजार टाइम्स ( ब्यूरो चीफ), प्रवासी संदेश मुबंई( ब्यूरी चीफ भीलवाड़ा),चीफ एटिडर, नामदेव डाॅट काम एवं कई मैग्जीन तथा प समाचार पत्रो मे खबरे प्रकाशित होती है .चेतन ठठेरा,सी ई ओ, दैनिक रिपोर्टर्स.कॉम