पराली को जलाने के बजाय सड़ा दें खेत में, भूमि की बढ़ेगी उर्वरा शक्ति

Dr. CHETAN THATHERA
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पराली जलाने से नष्ट हो जाते हैं खेत ,खेत के लिए लाभदायक केंचुआ


लखनऊ/उपेन्द्र राय। पराली जलाने से खेत की उर्वरा शक्ति में कमी के साथ ही खेत के लिए फायदेमंद किटाणु मर जाते हैं। इससे वायु मंडल में भी प्रदूषण की मात्रा बढ़ जाती है। इस कारण किसानों को पराली अथवा पुआल नहीं जलानी चाहिए। उसकी जगह उसे खेत में गला देने से वह खाद का काम करता है। इसके लिए यूपी सरकार ने भी किसानों को 40 से 50 प्रतिशत अनुदान पर पराली प्रबंधन की मशीन उपलब्ध करा रही है। इसका उपयोग किसानों को करना चाहिए। 

इस संबंध में कानपुर कृषि विश्वविद्यालय के प्रोफेसर मुनीष कुमार का कहना है कि पराली जलाने से निकलने वाली कार्बनडाइऑक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड व अन्य ज़हरीली गैसों से स्वास्थ्य का नुकसान तो होता ही है, धरती का तापमान भी बढ़ता है। इससे बहुत से अन्य गंभीर दुष्परिणाम होते हैं। आग में कृषि में सहायक केंचुए, अन्य सूक्ष्म जीव भी नष्ट हो जाते हैं।


वहीं सीमैप लखनऊ के डाक्टर मनोज सेमवाल ने हिन्दुस्थान समाचार से बताया कि यदि पराली का समुचित ढंग से उपयोग किया जाय तो यह खेत के लिए उपयुक्त खाद बन सकती है। धान की पराली को खेत में ही सड़ा देना चाहिए। इससे खेत के वाष्पीकरण की प्रक्रिया भी कम हो जाएगी और लाभदायक केंचुए आदि के लिए भी फायदेमंद रहेगा। इससे खेत की उर्वरा शक्ति में बढ़ोत्तरी होगी। किसानों को इससे काफी फायदा हो सकता है।


कई हैं सरकारी योजनाएं, उठाएं फायदा


यह बता दें कि  प्रदेश सरकार ने किसान सहकारी समितियां, गन्ना समितियां और ग्राम पंचायतों को फार्म मशीनरी बैंक स्थापित करने के लिए प्रमोशन आफ एग्रीकल्चरल मैकेनाइजेशन फार इन सीटू मैनेजमेंट आफ क्राप रेजीड्यू योजना के तहत उपकरण खरीदने के लिए अनुदान की यह सुविधा दी है। ग्राम पंचायतें पांच लाख रुपये की धनराशि से मल्चर, पैडी स्ट्रा चॉपर, श्रब मास्टर, रोटरी स्लेशर, रिवर्सिबल एमबी प्लाउ की खरीद कर फसल प्रबंधन के लिए इस्तेमाल कर सकेंगी।


कृषि मंत्री ने कहा


  इस संबंध में प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही का कहना है कि  प्रदेश के किसानों को धान और गन्ने आदि की पराली को जलाने के बजाय प्रबंधन करने हेतु ग्राम पंचायतों,गन्ना और सहकारी समितियों को फार्म मशीनरी बैंक 80 प्रतिशत तथा 40 से 50 प्रतिशत अनुदान पर एकल यन्त्रों को उपलब्ध कराया जा रहा है। इन पराली प्रबंधन मशीनों की खरीद के लिए किसानों में भी काफी उत्साह दिख रहा है।

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चेतन ठठेरा ,94141-11350 पत्रकारिता- सन 1989 से दैनिक नवज्योति - 17 साल तक ब्यूरो चीफ ( भीलवाड़ा और चित्तौड़गढ़) , ई टी राजस्थान, मेवाड टाइम्स ( सम्पादक),, बाजार टाइम्स ( ब्यूरो चीफ), प्रवासी संदेश मुबंई( ब्यूरी चीफ भीलवाड़ा),चीफ एटिडर, नामदेव डाॅट काम एवं कई मैग्जीन तथा प समाचार पत्रो मे खबरे प्रकाशित होती है .चेतन ठठेरा,सी ई ओ, दैनिक रिपोर्टर्स.कॉम